किसान भाइयों को इस किसान से जरूर सीखना चाहिए कि सफल खेती कैसे होती है।

 


 

   धार जिले के ग्राम एहमद के 39 वर्षीय कृषक राजेश पिता शांतिलाल पाटीदार शुरू से ही खेती करने की दृढ इच्छा रखते है। कड़ी मेहनत करके उत्पादन यथावत बनाऐ रखे हुऐ है। वे कक्षा 10 वी तक पढाई की। इसके बाद पढाई छोडकर खेती में लग गये। पिताजी से प्रेरणा प्राप्त कर खेती को किस तरह से नई-नई तकनीक अपनाकर लाभ का धंधा बनाया जाए। उनकी आर्थिक स्थिति शुरू से  अच्छी रही। उनके पास ट्रेक्टर तथा खेती में काम आने वाले सभी उपकरण उपलब्ध है। बैल से हल न जोतते हुए टेªक्टर का उपयोग किया जाता है। घर में गाये तथा भैसे भी पालन करते है। जिससे दूध-दही, छाछ तथा घी पाया जाता है। जिसका उपयोग घर में ही खाने में लिया जाता है।
   इस कृषक ने 20 बीघा क्षेत्र में अप्रैल-मई 2019 में 5 हजार जामफल के पौधे लगाये है। इसके बाद जून माह में 3 हजार जामफल के पौधे लगाये गये है। कुछ पौधे 50 रूपये प्रति पौधा तथा कुछ पौधे 100 रूपये प्रति पौधा के मान से हेदराबाद से बुलवाकर लगाये गये है। इन पौधों की वैरायटी थाईलेंड की है। कृषक ने कहा कि मैने सघन बागवानी पद्धति अपनाई है। जिसमें पास-पास पौधे लगाऐ जाते है। इसमें उत्पादन 3 से 4 गुना प्राप्त होता है। यह पद्धति बहुत अच्छी है। यह उत्तम प्रजाति के जामफल की फसल 18 माह में तैयार होकर आ जाऐगी अर्थात आगामी दीपावली तक यह फसल आ जाएगी। पुरानी पद्धति में दूर-दूर पौधे लगाये जाते है। पहला वर्ष होने के कारण गेंदे(पुष्प) की खेती की।  20 बीघा में गेंदे की फसल ली गई है। जिसमें से 15 बीघे की गेंदे की फसल का उत्पादन 15 लाख 50 हजार रूपये का हुआ। 5 बीघा गेंदे की फसल अभी निकालना बाकी है। बेची गई गेंदा की फसल में शुद्ध रूप से 11 लाख रूपये का मुनाफा हुआ है।
   इस किसान ने अपने खेतो में गर्मी में सिचाई के लिए महाराष्ट्र प्रदेश के तालाबो के पेर्टन पर साढे तीन बीघा क्षेत्र में 18 लाख रूपये की लागत से प्लास्टीक बिछाकर तालाब का निर्माण कर पानी संग्रहित किया है। यह तालाब पोखलेन मशीन से खुदवाया गया है। यह कार्य ठेकेदार द्वारा करवाया गया। इस तालाब की क्षमता 2 करोड 40 लाख लीटर पानी का है। वे 3 कुऐ तथा 1 नदी से पाईप लाईन बिछाकर इस तालाब में पानी भरा गया है। यह पानी गर्मी के सीजन में सिचाई में उपयोग करेगे। पहले वे कुऐ और नदी का पानी सिचाई में उपयोग करेगे। इसके बाद इस तालाब का पानी सिचाई में उपयोग करेगे। खेतो में ड्रीप लाईन बिछाई गई है। जिससे पानी कम खर्च होता है। वर्तमान में अमरूद के खेत में एक ड्रीप लाईन लगी है। पौधे बडे होने पर 2 ड्रीप लाईन और बिछाई जाएगी। सभी सिस्टम पहले से लगाये जा चुके है और यह एक स्थान से संचालित होगा। क्षेत्र के किसानों से प्ररेणा लेकर यह कृषक स्वयं के खर्चे पर माह जनवरी-फरवरी में महाराष्ट्र प्रदेश में भ्रमण किया और वहॉ किसानो द्वारा अपनाई जा रही नई-नई तकनीक का अवलोकन किया। इन किसानो से प्ररेणा लेकर उन तरीको को अपनी खेतो में अपनाएगे। वे इन तरीको को अपनाकर और अधिक उत्पादन बढाने में लगे है। समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों से आवश्यक सलाह भी ली जाती है। साथ ही कृषि विभाग तथा उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से आवश्यकतानुसार सलाह ली जाती रही है। 



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