ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए ओला-उबर जिम्मेदार!



देश में इस वक्त ऑटो सेक्टर सबसे बड़े मंदी के दौर से गुजर रहा है. पिछले महीने देश में 21 सालों में सबसे कम कार बिकी. घरेलू बाजार में इस महीने कारों की बिक्री में 41 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. ऐसे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दलील दे रही हैं कि मिलेनियल आजकल गाड़ी खरीदने की जगह ओला-उबर को तवज्जो दे रहे हैं.





ज्यादातर लोगों की सोच में बदलाव आया है जो अब मासिक किस्तों में एक कार खरीदने की जगह ओला और उबर जैसे टैक्सी सेवा का लाभ लेना पसंद करते हैं और यह आटो सेक्टर में मंदी के कई कारणों में से एक है.

निर्मला सीतारमण, वित्तमंत्री



ऑटो सेक्टर में मंदी को ओला-उबर से जोड़ने वाले वित्त मंत्री के इस बयान की विपक्ष से लेकर इंडस्ट्रलिस्ट तक आलोचना कर रहे हैं. देश के सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के एक टॉप अधिकारी ने कहा, भारत में कार खरीदने को लेकर विचारधारा में अभी भी कोई बदलाव नहीं आया है और लोग अपनी आकांक्षा के तहत कार की खरीदते हैं.




 



'गाड़ियां कम बिक रहीं क्योंकि ट्रांसपोर्ट सिस्टम सुधरा'


परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऑटो सेक्टर में आर्थिक मंदी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की 'ओला-उबर' थ्योरी को और आगे बढ़ा दिया. गडकरी ने कहा, 'हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में लगातार सुधार कर रहे हैं. नई नई तकनीक लेकर आ रहे हैं. ऑटो सेक्टर पर इसका भी असर होता है.'


नितिन गडकरी ने निर्मला सीतारमण का बचाव करते हुए कहा कि वित्त मंत्री के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया. उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर में मंदी की एक नहीं कई वजह हैं, जिसमें से ओला-उबर का बढ़ना भी एक वजह है.


'सावन-भादो में तो मंदी रहती ही है'


बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी की आर्थिक मंदी पर अलग ही थ्योरी है. सुशील मोदी का कहना है कि हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार मंदी का ज्यादा शोर मचाकर कुछ लोग चुनावी हार की खीझ निकाल रहे हैं. सुशील मोदी ने ये भी कहा, "बिहार में मंदी का खास असर नहीं है, इसलिए वाहनों की बिक्री नहीं घटी.''


सुशील कुमार का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में मंदी की जबरदस्त मार है. पहली तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5 फीसदी के स्‍तर पर आ गई. ऑटो सेक्टर में 2 लाख नौकरियां जा चुकी हैं. अगले क्वार्टर में दस लाख नौकरियां जा सकती हैं.




 



मंदी का 'आइंस्टीन' लॉजिक


केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी मंदी पर एकदम नया लॉजिक दिया है. गोयल ने कहा, 'अगर आइंस्टीन ने आंकड़ों और गणित की चिंता की होती तो वो कभी भी ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) के नियम की खोज नहीं कर पाते.' गोयल के इस बयान की सोशल मीडिया पर खूब मजाक उड़ा है. देखते ही देखते ट्विटर पर न्यूटन और आइंस्टीन ट्रेंड करने लगे.


दरअसल, गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन (1642-1727) ने की थी. वहीं, आइंस्टीन (1879-1955) ने थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी की खोज की थी. बाद में गोयल ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने बयान एक खास संदर्भ में दिया था लेकिन कुछ लोगों ने उसे संदर्भ से हटा दिया, एक लाइन पकड़कर शरारती नैरेटिव बनाने लगे.


मंदी तो है ही नहीं!


केंद्रीय मंत्री ही नहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पीछे नहीं है. हमारे पीएम को देश में मंदी दिखती ही नहीं. हाल ही में उन्होंने अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर उपलब्धियां गिनाते हुए कहा था, "जिस तेजी से देश आगे जा रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है.''





विकास हमारी प्राथमिकता और प्रतिबद्धता है. हमने 100 दिनों में लोगों के कल्याण के लिए फैसले लिए हैं. यह महज शुरुआत है, 5 साल बाकी हैं. जिस तेजी से देश आगे जा रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है.




अकेले इंसान की जान

लंदन में  ये आदमी ख़ुदकुशी करने की ग़र्ज़ से छलांग लगाने जा रहा था। एक अजनबी आदमी ने उसे देखा और उसके पैर पकड़ लिए और उसे मनाता रहा के ऐसा ना करें। कुछ देर बाद कई और अजनबी लोग जमा होगये। किसी ने उसकी पतलून के बेल्ट को पकड़ा और किसी ने उसे रस्सी से बाँध दिया ताकि वो कूद ना सके।


एक तरफ ऐसे समाज की तस्वीर है जहां एक भीड़ एक अकेले इंसान को बचा रही है। दूसरी तरफ एक ऐसा समाज बन चूका है जहाँ एक भीड़ एक अकेले इंसान की जान ले लेती है। इस भीड़ केलिए मारने केलिए धर्म, ज़ात या कुछ भी कारण बनता जा रहा है।


जो समाज दुसरे इंसानों की क़द्र करता है वो फलता फूलता है और जो समाज दुसरे इंसानों की क़द्र नहीं करता वो तबाह ओ बर्बाद हो जाता है


एक नागरिक खतरे में है तो पूरा समाज व पूरा देश खतरे में है।

एक *चूहा* एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था।


एक दिन *चूहे* ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।


उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक *चूहेदानी* थी।


ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर *कबूतर* को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।


कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?


निराश चूहा ये बात *मुर्गे* को बताने गया।


मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है।


हताश चूहे ने बाड़े में जा कर *बकरे* को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।


उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला *साँप* फँस गया था।


अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।


तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे *कबूतर* का सूप पिलाने की सलाह दी।


कबूतर अब पतीले में उबल रहा था।


खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी *मुर्गे* को काटा गया।


कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो *बकरे* को काटा गया।


*चूहा* अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….।


*_शिक्षा_* ⤵


_*अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये।*_


*_समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा समाज व पूरा देश खतरे में है।_*


_अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये। स्वयं तक सीमित मत रहिये। सामाजिक बनिये.."_✍🏻


बागी नेता ने मोदी सरकार पर अर्थव्यवस्था को लेकर साधा निशाना


इंदौरः पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर आर्थिक संकट को लेकर कड़ा प्रहार किया है। सिन्हा ने कहा कि मौजूदा वित्त मंत्री सीतारमण और पीयूष गोयल के हालिया बयान को लेकर तंज कसा है। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हए कहा कि सरकार में बैठे लोग अटपटे बयान दे रहे हैं। उनके इन बयानों से देश की अर्थव्यवस्था का हल नहीं होगा। इससे सरकार की छवि धूमिल होगी।


सिन्हा ने कहा कि देश के ऑटोमोबाइल क्षेत्र की मंदी की पृष्ठभूमि में ओला और उबर जैसी ऑनलाइन टैक्सी सेवा प्रदाताओं को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाल ही में दिए गए बयान पर आश्चर्य हुआ। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि यदि ओला-उबर के चलते यात्री गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आई, तो फिर दोपहिया वाहनों और ट्रकों की बिक्री में गिरावट क्यों आई?


पूर्व वित्त मंत्री ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बयान पर भी निशाना साधा। गौरतलब है कि सुशील मोदी ने बयान दिया था कि सावन-भादों के चलते देश में मंदी का माहौल है। सिन्हा ने निर्यात बढ़ाने के लिए दुबई शॉपिंग फेस्टिवल की तर्ज पर भारत में सालाना मेगा शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित करने की सीतारमण की ताजा घोषणा पर भी सवाल उठाए।


सिन्हा ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात और भारत की अर्थव्यवस्थाओं के हालात एकदम अलग हैं। भारत की अर्थवस्था तभी तरक्की करेगी, जब मध्यप्रदेश के मंदसौर जैसे इलाकों के किसान तरक्की करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया इसलिए समस्या इतनी विकट हो गई। बता दें कि यशवंत सिन्हा वाजपेयी सरकार में देश के वित्त मंत्री रह चुके हैं।


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