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Priya rajvansh murder mystery ! जुहू का बंगला बना हत्या का कारण। प्रिया राजवंश बॉलीवुड एक्ट्रेस।

Priya rajvansh murder mystery ! जुहू का बंगला बना हत्या का कारण। प्रिया राजवंश बॉलीवुड एक्ट्रेस। कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता कहीं जमीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता। दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकारा वीरा सुन्दर सिंह की जिन्हें लोग प्रिया राजवंश के नाम से जानते है। प्रिया राजवंश का जन्म साल 1937 में शिमला में हुआ था। शिमला में ही प्रिया ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई की थी। बचपन से ही कला में रुचि रखने वाली प्रिया ने पढ़ाई के दौरान कई नाटकों में हिस्सा लिया था। प्रिया राजवंश ने शिमला से ग्रेजुएशन करने के बाद लंदन की रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट से पढ़ाई की। उसी दौरान लंदन में एक फोटोग्राफर द्वारा क्लिक प्रिया की फोटो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री तक पहुंच गई। फिर क्या था उनकी खूबसूरती के चर्चे बॉलीवुड में होने लगे।  और वही निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद अपनी आने वाली फिल्म "हक़ीक़त" के लिए नए चेहरे की तलाश कर रहे थे और जब प्रिया राजवंश की तस्वीर उनके हाथ में आई। तो चेतन आनंद की तलाश खत्म हुई और उन्होंने फौरन प्रिया राजवंश से संपर्क क...

त्यौहार पर मचा हाहाकार तेज़ रफ़्तार वाहन महिंद्रा क्वांटो ने भीड़ को मारी टक्कर दर्जनभर घायल एक की मौत।

छत्तीसगढ़ में जशपुर जिले के पत्थलगांव में शुक्रवार को मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के लिए निकाले गए जुलूस में, तेज़ रफ़्तार वाहन महिंद्रा क्वांटो ने भीड़ को मारी टक्कर।  इसकी चपेट में आने से पत्थलगांव निवासी गौरव की मौक़े पर ही मौत हो गई, जबकि तीन लोगों ने अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया।  पर, प्रशासन ने केवल एक व्यक्ति की मौत की ही पुष्टि की है।  हादसे में दर्जनभर से अधिक लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।  इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दु:ख व्यक्त करते हुए मामले के जांच के निर्देश दिए हैं।  हादसे के बाद प्रदर्शन हुआ।  उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हादसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा घोषित पचास पचास लाख रुपये मुआवजे के तर्ज़ पर मरने वालों के परिजनों को मुआवज़ा देने की मांग की गई। वाहन में सवार बबलू विश्वकर्मा, निवासी ग्राम बैढ़ना, जिला सिंगरौली मघ्य प्रदेश और शिशुपाल साहू, थे कार चला रहे दोनों युवकों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है।

भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान

भारत के संविधान निर्माता के रूप में डॉ. भीमराव अम्बेडकर को पहचाना जाता है। इन्होंने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है। यह दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया। इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं। यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं। इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था।

कुतुबुद्दीन ऐबक , जिन्होंने कुतुब मीनार बनाई थी

कुतुबुद्दीन ऐबक के बारे में बचपन में एक कहानी पढी थी। ये वही हैं, जिन्होंने क़ुतुब मीनार बनवाया है, वो शिकार खेल रहे थे, तीर चलाया और जब शिकार के नज़दीक गए तो देखा कि एक बच्चा उनके तीर से घायल गिरा पड़ा है। कुछ ही पल में उस घायल बच्चे की मौत हो जाती है। पता करने पर मालूम हुआ कि वह पास के ही एक गाँव में रहने वाली वृद्धा का एकमात्र सहारा था और जंगल से लकड़ियाँ चुन कर बेचता और जो मिलता उसी से अपना और अपनी माँ का पेट भरता था। कुतुबुद्दीन उसकी माँ के पास गया, बताया कि उसके तीर से गलती से उसके बेटे की मौत हो गयी है। माँ रोते-रोते बेहोश हो गयी. फिर कुतुबुद्दीन ने खुद को क़ाज़ी के हवाले किया और अपना ज़ुर्म बताते हुए अपने खिलाफ मुकद्दमा चलाने की अर्ज़ी दी.. क़ाज़ी ने मुकदमा शुरू किया मृतक की बूढ़ी माँ को अदालत में बुलाया और कहा कि तुम जो सज़ा कहोगी वही सज़ा इस मुज़रिम को दी जायेगी। वृद्धा ने कहा कि ऐसा बादशाह फिर कहाँ मिलेगा जो अपनी ही सल्तनत में अपने खिलाफ ही मुकदमा चलवाए और उस गलती के लिए जो उसने जानबूझ कर नहीं की। आज से कुतुबुद्दीन ही मेरा बेटा है. मैं इसे माफी देती हूँ। क़ाज़ी ने कुतुबुद्दीन...

1947 में कितनी थी महंगाई, जानें सारी चीजों का दाम

RIYA SONI2019-11-12 16:49:39   एक समय हमारा भारत देश ब्रिटिश का गुलाम था. लोग ब्रिटिश की गुलामी से उब गये थे. हर घर का बच्चा भारत को आजाद बनाने का सपना देख रहा था. कंई सैनिकोने देश को आजादी दिलाने के लिये खुद के जीवन की आहुती तक देदी. जिसमें भगत सिंह, सुखदेव, गांधी बापु, लाला लजपत राय आदी नाम सामेल है. आखिर 1947में देश आजाद हो ही गया. आझादी मिले हमे 70 साल हो गये. तो आईये यहां देखिए की आजादी पहले कितनी महंगाई थी. आजादी के वक्त बासमती राईस 65 पैसे प्रति किलो के भाव से बिकते थे और गेहं 26 पैसे प्रति किलो के हिसाब से बिकते थे. आज सुगर 40 रूपैये प्रति किलो बिकती है जब की आजादी के समय 57 पैसा प्रति किलो के भाव से मिलती थी 1947में डीजल का दाम 35 पैसा था. उस समय अहमदाबाद से मुंबई तक की प्लेन 18 रूपैये थी. आज के जमाने में फिल्मो की टिकट 500 रूपैये में मिलती है जो आजादी के वक्त 40 पैसेमें मिलती थी.

कारसेवक रहे आमिर का ओवैसी को जवाब, खैरात नहीं मुआवजा है 5 एकड़ जमीन

आशीष पांडेय हैदराबाद, 11 November, 2019   असदुद्दीन ओवैसी की तीखी प्रतिक्रिया के एक दिन बाद मोहम्मद आमिर ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को जो जमीन मस्जिद बनाने के लिए मिली है, वह कोई खैरात नहीं बल्कि मुआवजा है. मोहम्मद आमिर उर्फ बलबीर सिंह कारसेवक रह चुके हैं बाद में बलबीर सिंह ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था मोहम्मद आमिर उर्फ बलबीर सिंह ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख  असदुद्दीन ओवैसी  के उस बयान का जवाब दिया है जिसमें उन्होंने  अयोध्या  फैसले में मस्जिद निर्माण के लिए मिली 5 एकड़ जमीन को खैरात बताया था. बलबीर सिंह कारसेवक रह चुके हैं जो  बाबरी  विध्वंस में शामिल थे. बाद में उन्होंने मुस्लिम धर्म अपना लिया था. तब से उन्हें मोहम्मद आमिर नाम से पुकारा जाता है. सुप्रीम कोर्ट  ने शनिवार को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया. फैसले में शीर्ष अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का बंदोबस्त किया जाए. कोर्ट के इस फैसले पर ओवैसी ने नाराजगी...

लाल बहादुर शास्त्री रियल हीरो ऑफ़ इंडिया

  प्रेस रिव्यू लालबहादुर शास्त्री वो जिसने जय जवान जय किसान का नारा दिया और देश को कृषि उत्पादन की दिशा दी। भारतीय किसानों को सम्मान देते हुए जय जवान जय किसान का नारा दिया। 2 अक्टूबर,1904 को मुगलसराय,उत्तरप्रदेश में इनका जनम हुआ। ये घर में सबसे छोटे बेटे थे। इन की परवरिश इनकी माँ और इनके मौसा ने की। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलते ही इन्होने अपना जाति का नाम श्रीवात्सव से हटा कर शास्त्री कर लिया। शास्त्री जी गांधीजी को अपना गुरु मानते थे। गाँधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए इन्हे सात सालों की सजा हुई। इन्होने गाँधी जी के साथ कई आंदोलन किये। देश आजाद होने के बाद इन्होने कई मंत्रालयों में अलग अलग विभागों में काम किया। पुलिस मंत्री होने पर पहलीबार लाठीचार्ज की जगह पानी की तेज फुहारों का प्रयोग शुरू कराया । नेहरू जी के निधन के बाद जून 1964 में देश के प्रधानमंत्री बने। इनके कार्यकाल में दो युद्धों का सामना देश ने किया । 1962 में चीन से युद्ध करके देश आर्थिक रूप से कमजोर हो गया था और साथ ही देश में भयंकर सूखा पड़ा था जिसके कारण देश में अन्न की कमी हो गयी और अन्...

अयोध्या फैसला: पूर्व जस्टिस एके गांगुली बोले- अल्पसंख्यकों के साथ गलत हुआ

जस्टिस गांगुली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये संवैधानिक कर्तव्य है कि वो सभी के अधिकारों की रक्षा करे. इसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, "इस देश के लोग क्या देखेंगे...यहां एक मस्जिद थी, जिसे 1992 में तोड़ दिया गया...उस जमीन पर कोर्ट एक मंदिर बनाने की इजाजत दे रही है. अयोध्या फैसले पर जस्टिस गांगुली के सवाल 'मुसलमानों के साथ गलत हुआ है' 'संविधान का छात्र होने के नाते फैसला समझ नहीं पा रहा' अयोध्या के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए के गांगुली ने कहा कि इस मामले में मुसलमानों के साथ गलत हुआ है. कोलकाता में आजतक से बात करते हुए रिटायर्ड जज एके गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे इस फैसले से व्यथित हैं. जस्टिस गांगुली ने कहा कि अयोध्या में आखिर मस्जिद गिराई गई थी. कोई भी कहेगा कि मुसलमानों की मस्जिद गिराई गई थी. सरकार इस मस्जिद को बचाना चाहती थी. इस मामले में अदालत में अभी भी केस चल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान जब अस्तित्व में आया तो नमाज यहां पढ़ी जा रही थी. एक वैसी जगह जहां नमाज़ पढ़ी, जहां पर मस्जिद थी, अब इस जगह क...

ऐतिहासिक फैसले के बाद बोले पीएम- दुनिया ने भारत के सदभाव को देखा

दशकों पुराने अयोध्या मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत विवादित भूमि रामलला के मंदिर के लिए हिंदू समुदाय को सौंप दी गई है जबकि मुस्लिम समुदाय को अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाएगी जिसपर मस्जिद का निर्माण किया जा सकेगा। बता दें कि इस फैसले के बाद जहां एक तरफ कई राजनीतक प्रतिक्रियाएं तेज हुई हैं वहीं अब पीएम नरेंद्र मोदी भी इसको लेकर देश को संबोधित कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शनिवार को सुबह 10:30 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 5 जजों की संविधान पीठ सर्वसम्मति से फैसला सुना रही है। 45 मिनट तक पढ़े गए फैसले में सीजेआई ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाएं और इसकी योजना 3 महीने में तैयार करें। पीठ ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के वैकल्पिक जमीन मुहैया कराने के निर्देश भी दिए। सीजेआई गोगोई ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम विवादित स्थान को जन्मस्थान मानते हैं, लेकिन आस्था से मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें चीफ जस्टिस ने कहा- हम सर्वसम्मति से फैसला सुना रहे हैं। इस अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। धर्मशास्त्र में प्रवेश करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा। विवादित जमीन रेवेन्यू रिकॉर्ड में सरकारी जमीन के तौर पर चिह्नित थी। राम जन्...

करतारपुर गलियारा खुलने के साथ इतिहास का साक्षी बना पंजाब

पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब के गुरदासपुर जिला स्थित ऐतिहासिक शहर डेरा बाबा नानक शनिवार को इतिहास रचा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करतारपुर गलियारे का उद्घाटन करा। इस गलियारे के माध्यम से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने के लिए सिख तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना हुआ। यह सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के 12 नवंबर को होने वाले 550वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर होने जा रहा है। यह अवसर 72 वर्षों के बाद आया है जब श्रद्धालु भारत से पाकिस्तान जाकर आसानी से करतारपुर साहिब में मत्था टेक सकेंगे।  इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी सुल्तानपुर लोधी शहर के बेर साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकेंगे।  मनमोहन सिंह के अलावा प्रतिनिधिमंडल में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, आर. पी. एन. सिंह, रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा और जितिन प्रसाद शामिल होंगे। इसके अलावा पंजाब राज्य के सभी विधायक और सांसद भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए इस शहर में यूरोपीय शैली के कुल 544 टेंट और 100 स्विस कॉटेज तैयार की गई हैं...

भारत को इन 3 चीज़ों की वजह से कहा जाता था सोने की चिड़िया

भारत प्राचीन काल मे अमीर देश था लेकिन प्राचीन काल मे भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। दोस्तो क्या आप जानते हैं कि भारत को सोने की चिड़िया क्यो कहा जाता था, तो आज हम आपको बताएंगे उन 3 चीजों के बारे मे। तो चलिए दोस्तो कोहिनूर हीरा सबसे खूबसूरत व महंगा हीरा है। प्राचीन काल मे कोहिनूर हीरा भारत मे था जिसके लिए कई राजा आपस मे युद्ध लड़ते थे। आज कोहिनूर हीरा भारत मे नही है, वर्तमान में यह हीरा ब्रिटेन की महारानी के ताज में लगा हुआ है। दोस्तो पुराने समय में भारत एक ऐसा देश था जो पूरी दुनिया मे वस्त्रों का निर्यात करता था। दुनिया के कई देश सूती वस्त्र खरीदने के लिए भारत आते थे। इसलिए भारत कपास से बने वस्त्र के उत्पादन से अच्छी आय प्राप्त करता था।     दोस्तो प्राचीन समय मे भारत मे सभी प्रकार के मसले पैदा होते थे, जिससे भारत दुनिया भर में मसालों का निर्यात करता था। दुनिया के कई देश भारत से मसाले खरीदते थे। जिस कारण से भारत के कई देशों से व्यापारिक सम्बन्ध बने हुए थे। दोस्तो जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तो को भी शेयर करे औऱ हमारे पेज को फॉलो अवश्य करें। धन्यवाद    

मृत्यु से पहले सिकंदर महान की थीं 3 अंतिम इच्छाएं, जिनसे आज भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है

सिकंदर महान यूनान का एक महाशक्तिशाली योद्धा था | उसका शासन कई साम्राज्यों पर था और वह धीरे धीरे अन्य साम्राज्यों पर भी अपना अधिपत्य स्थापित करने लगा था | एक युद्ध के दौरान जहरीले तीर लगने के कारण उसकी मौत हो गयी थी | मृत्यु से पहले उसकी 3 अंतिम इच्छाएं थीं, जिनसे आज भी सभी को बहुत कुछ सीखने को मिलता है | आइये जानते हैं  1: अपनी पहली इच्छा में सिकंदर महान ने कहा कि जनाज़े के समय उसके दोनों हाँथ बाहर की ओर लटका दिए जाएं ताकि लोग यह देख सकें कि इंसान खाली हाँथ पैदा होता है और खाली हाँथ इस दुनिया से जाता है | मैंने पूरी ज़िन्दगी तमाम दौलत और शोहरत अर्जित की लेकिन आज मैं सबकुछ यहीं छोड़कर जा रहा हूँ | इसी कारण संतुष्ट होकर जीवन व्यतीत करना बेहतर है | 2: सिकंदर ने कहा कि जिन हकीमों ने मेरा इलाज किया है, वे ही मेरे जनाज़े को कंधा देंगे ताकि लोग यह देख सकें कि इस संसार में मौत को कोई भी नहीं हरा सकता है | 3: सिकंदर महान ने ने कहा कि जनाज़े की राह में में सारी दौलत को बिछाकर रख दिया जाए, जो मैंने ज़िन्दगी भर इकट्ठा की हैं | ताकि लोगों का यह पता चल सके कि संसार की सारी दौलत मौ...

भारत के इतिहास में रजिया सुल्तान का नाम स्वर्ण अक्षरों में इसलिए लिखा जाता है क्योंकि उसे भारत की प्रथम महिला शाषक होने का गर्व प्राप्त है |

भारत के इतिहास में रजिया सुल्तान का नाम स्वर्ण अक्षरों में इसलिए लिखा जाता है क्योंकि उसे भारत की प्रथम महिला शाषक होने का गर्व प्राप्त है | दिल्ली सल्तनत  के दौर में जब बेगमो को सिर्फ महलो के अंदर आराम के लिए रखा जाता था वही रजिया सुल्तान  से महल से बाहर निकलकर शाषन की बागडोर सम्भाली थी |  रजिया सुल्तान ने अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान भी लिया था जिसकी बदौलत उसे दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शाषक बनने का गौरव मिला था | उसने दुसरे सुल्तान की पत्नियों की तरह खुद को “सुल्ताना” कहलवाने के बजाय सुल्तान कहलवाया था क्योंकि वो खुद को किसी पुरुष से कम नही मानती थी | आइये आज आपको उसी जाबांज महिला शाषक की जीवनी से आपको रूबरू करवाते है | रज़ीया सुल्ततान ने सबसे पहले अपने करिश्माई व्यक्तित्व का प्रदर्शन दिल्ली की प्रजा को अपने सुल्तान पद पर स्थापित होने के लिए समर्थन प्राप्त करने के लिए किया. उसने दिल्ली की प्रजा से न्याय मांग पर रुकनुदीन फिरोज के विरुध विद्रोह का माहौल पैदा कर दिया. वह कूटनीति में चतुर थी अत: अपनी चतुराई का प्रदर्शन करते हुए उसने तुर्क ए चहलगानी की महत्वकांक्षा और एकाधिकार को...

भारतीय मुसलमानों द्वारा बनाई गयी ये इमारतें अमर हैं

हिन्दुस्तान: हमेशा से विशाल और अनैक धर्मो की एकता के लिए विश्व में प्रसिद्ध है| आज भी यहाँ कई ऐसी इमारते और स्मारक मौजूद है जो की भारत के गौरवशाली इतिहास की कहानियों को बयां करती है| भारत हमेशा से ही अपनी ऐतिहासिक इमारतों को लेकर विश्व में मशहूर है जिसकी वजह से आये दिन हज़ारों विदेशी यात्री और पर्यटक भारत घूमने आते हैं| यह इमारतें कोई और नहीं बल्कि मुस्लिम राजाओं द्वारा बनवाई गयी थी जिनको आज तक ना तो कोई नक़ल कर सका है और शायद आगे भी नहीं हो पायेगी| हम बात कर रहे हैं ऐसी ही कुछ इमारतों की जिन्हें दुनियां के कई देशो में दोबारा बनाने की कोशिश तो की गई लेकिन वह सफल नहीं हो पाये। भारत की 10 सबसे मशहूर इमारतें और स्मारक जिनको मुसलमानों द्वारा बनवाया गया- ताज महल: यह दुनिया की वो इमारत है जिसको दुनिया के साथ अजूबों में शामिल किया है| पूरी दुनियां इसको मोहब्बत की निशानी के नाम से जानती है क्यूंकि इसको मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में बन बाया था| बता दें कि ताजमहल के अन्दर बादशाह शाहजहाँ और मुमताज़ का मकबरा है जो ताजमहल का मुख्य आकषण है|   लाल किला: लाल किला प्रसिद्ध किले '...

गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का पूरा सच

गांधी के जिस हत्यारे को आजकल महिमामंडित करने का प्रयास किया जा रहा है, उसके बारे में यह जानना दिलचस्प है कि वह गांधी की हत्या से पहले तक क्या था? क्या वह चिंतक था, ख्याति प्राप्त राजनेता था, हिंदू महासभा का जिम्मेदार पदाधिकारी या स्वतंत्रता सेनानी था?   महात्मा गांधी की हत्या के मुख्य अभियुक्त नाथूराम गोडसे को महिमामंडित करने के जो प्रयास इन दिनों किए जा रहे हैं, वे नए नहीं हैं। गोडसे का संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बताया जाता रहा है और इसीलिए गांधीजी की हत्या के बाद देश के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि संघ गोडसे से अपने संबंधों को हमेशा नकारता रहा है और अपनी इस सफाई को पुख्ता करने के लिए वह गोडसे को गांधी का हत्यारा भी मानता है और उसके कृत्य को निंदनीय करार भी देता है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के सत्तारूढ़ होने के बाद ही गोडसे को महिमामंडित करने का सिलसिला तेज हो गया? इस सिलसिले में एकाएक उसका मंदिर बनाने के प्रयास शुरू हो गए। उसकी 'जयंती' और 'पुण्यतिथि' मनाई जाने लगी। ...

आरिफ़ बेग मुस्लिम महान नेता

भोपाल. भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, तीन राज्यों के गवर्नर, उप राष्ट्रपति और भारत के नौवें राष्ट्रपति रहे डॉ. शंकर दयाल शर्मा के जीवन में एक मोड़ ऐसा भी आया जब वे अपने ही शहर में युवा से चुनाव हार गए। जनता में उनकी अच्छी पैठ थी, सभी शर्मा को चाहते थे, फिर हार का कारण क्या रहा? 1977 की इस घटना को लोग चार दशक बाद भी नहीं भूले हैं।  शर्मा से नाराजगी नहीं थी, आरिफ बेग के आकर्षण में फंसे मतदाता 70 का दशक आते तक शंकर दयाल शर्मा भोपाल की शान बन चुके थे। इसके बावजूद वे चुनावी जनसम्पर्क में तामझाम नहीं करते। छोटी सी कार में तीन-चार कार्यकर्ताओं के साथ निकल पड़ते थे। जिस भी मोहल्ले में शर्मा की गाड़ी रुकती तो लोग एक-दूसरे को आवाज लगाने लगते डॉक्टर साहब आ गए... और लोग जुटना शुरू हो जाते। शर्मा अपनी बात कहते, सबसे एक-एक कर मुलाकात करते। घरों में जाकर बड़ों का आशीर्वाद लेते और आगे बढ़ते जाते। धार्मिक कट्टरता या धर्म विशेष के प्रतिनिधि वाली छवि उनकी कभी नहीं रही। वे जितने हिंदुओं में लोकप्रिय थे, उतना ही दुलार उन्हें मुस्लिमों का भी मिलता। 1977 के मध्यावधि चुनाव म...

विक्रम लैंडर की तलाश में इसरो के साथ नासा भी जुटा, उम्मीद बढ़ी

इसरो से साझा करेगी नासा विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक बीत चुके हैं 6 दिन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से जल्द संपर्क होने की उम्मीद बढ़ गई है. इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की मदद के लिए अब अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी सामने आई है. इसरो अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने की लगातार कोशिश कर रहा है. हालांकि चंद्रमा की सतह पर विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक 6 दिन गुजर चुके हैं. हालांकि अभी तक विक्रम से संपर्क नहीं हो पाया है. अब विक्रम लैंडर से संपर्क करने में नासा भी इसरो की मदद कर रहा है. इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है. इसे भी पढ़ें: 15 अगस्त से शुरू हुआ था ISRO का सफर, संसद ने आजतक नहीं बनाया कानून नासा अपने मून ऑर्बिटर की मदद से विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहा है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने नासा के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया कि नासा च...

मुहम्मद बिन क़ासिम ने 17 साल की उम्र में, हिन्द व सिंध के ज़ालिम हुक्मरानों को रौंद डाला

वो ख़त जिसको पढ़कर मुहम्मद बिन क़ासिम ने 17 साल की उम्र में, हिन्द व सिंध के ज़ालिम हुक्मरानों को रौंद डाला… यह ख़त अबुल हसन की बेटी नाहिद ने सिंध से एक सफेद रुमाल पर अपने खून से हज्जाज़ बिन यूसुफ के लिए लिखा था, और क़ासिद से कहा था… “अगर हज्जाज बिन युसुफ़ का खून मुंजमद हो गया हो तो मेरा ये खत पेश कर देना वरना इसकी जरूरत नहीं है। हज्जाज़ बिन यूसुफ ने खत के चंद सुतूर पढ़कर कंपकपा उठा, और उसकी आंखों के शोले पानी में तब्दील होने लगे, उसने रुमाल मुहम्मद बिन क़ासिम के हाथों में दे दिया, मुहम्मद बिन कासिम ने शुरू से लेकर आखिर तक लिखे अल्फ़ाज़ पढ़ा उसमे लिखा था…… “मुझे यक़ीन है कि वालि-ए-बसरा क़ासिद की ज़बानी मुसलमान बच्चों और औरतों का हाल सुनकर अपनी फ़ौज के गय्यूर सिपाहियों को घोड़ों पर ज़िनें डालने का हुक्म दे चुका होगा, और क़ासिद को मेरा ये खत दिखाने की जरूरत पेश नहीं आएगी, अगर हज्जाज बिन युसुफ़ का खून मुंजमद हो चुका है तो शायद मेरी तहरीर भी बेसूद साबित हो, मैं अबुल हसन की बेटी हूं मैं और मेरा भाई अभी तक दुश्मन के दस्तरस से महफूज़ हैं, लेकिन हमारे साथी एक ऐसे दुश्मन की कैद में है जिसके दिल में रहम के लिए कोई...