कौन हैं खलनायक


 



 

नई दिल्ली, 


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब ओला, उबर की सेवाएं सस्ती होनी के कारण खासकर युवा लोग कार नहीं खरीदना चाह रहे, लेकिन सच तो यह है कि ऑटो सेल्स में गिरावट की कई वजहें हैं.



     


कारों की बिक्री घटने से बढ़ी दिक्कत


कभी देश की सबसे तेजी से बढ़ने वाली ऑटोमोबिल इंडस्ट्री की रफ्तार पर ब्रेक लग चुका है. घरेलू मांग में गिरावट की वजह से वाहनों और खासकर यात्री वाहनों की बिक्री 19 साल के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में कहा कि अब ओला, उबर की सेवाएं सस्ती होनी के कारण खासकर युवा लोग कार नहीं खरीदना चाह रहे. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक रिसर्च से यह बात सामने आई है कि कारों की बिक्री में गिरावट की सबसे बड़ी वजह पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रहा इजाफा है.


क्या कहता है RBI का रिसर्च


RBI ने अपने एक रिसर्च पेपर में कहा है, 'हमने यह पाया कि मैक्रो लेवल पर, ईंधन कीमतों में बदलाव से ऑटोमोबाइल सेल्स पर नेगेटिव असर पड़ा है, और इसमें कर्ज (लोन मिलने में दिक्कत) का कोई बड़ा असर नहीं दिखता. अपने विश्लेषण के आधार पर हमने यह पाया कि हाल की सुस्ती को ऊंची ईंधन कीमतों के आधार पर बेहतर समझा जा सकता है.'


 


अब टैक्सी रजिस्ट्रेशन  गिरावट


वैसे यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों में ओला, उबर जैसी किफायती टैक्सी एग्रीगेटर सेवाओं का पूरे देश के कई शहरों में जबरदस्त ग्रोथ हुआ है. इन सेवाओं के विस्तार की वजह से ही शुरुआती कई वर्षों में टैक्सी रजिस्ट्रेशन में काफी बढ़त हुई. लेकिन साल 2016 से टैक्सी रजिस्ट्रेशन में आंशिक तौर पर गिरावट देखी जाने लगी, इसकी वजह यह हो सकती है कि इन सेवाओं में परिपक्वता आने लगी और टैक्सी आपूर्ति में परिपूर्णता आ गई.



 



भोपाल नाव हादसा: जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे लोग, नहीं मिली मदद, विडियो वायरल


भोपाल नाव हादसा: जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे लोग, नहीं मिली मदद, विडियो वायरलभोपा
मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान 11 लोगों की नाव पलटने से मौत हो गई। भोपाल के छोटा तालाब में हुए इस हादसे के बाद नाव पर सवार लोग मदद के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन उन्‍हें समय पर मदद नहीं मिल पाई। काफी देर बाद एक दूसरी नौका पहुंची लेकिन तब तक 11 लोगों की पानी में डूबने से मौत हो गई। इस दुखद घटना का विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।


 

जानकारी के मुताबिक खटलापुरा घाट के पास बड़ी संख्‍या में लोग गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए खड़े थे। इसी बीच करीब 18 लोग एक नाव पर गणेश प्रतिमा को लेकर तालाब के अंदर गए। उन्‍होंने प्रतिमा का विसर्जन भी कर दिया। मूर्ति के विसर्जन के बाद जब वे लोग दोबारा घाट की तरफ बढ़ रहे थे, इसी बीच यह दुखद हादसा हो गया। नाव पर ज्‍यादा लोगों के होने की वजह से वह अचानक पलट गई।





नाव के पलटने के बाद उसमें सवार लोग तालाब में गिर गए और अपनी जान बचाने के लिए हाथ-पांव मारने लगे। इसी बीच उनके पास एक और नाव वहां पर पहुंची। पानी में डूब रहे लोग उसमें सवार होने की कोशिश करने लगे। दूसरी नाव को चला रहा नाविक भारी भीड़ को देखते हुए पानी में कूद गया। सभी लोग दूसरी नाव पर चढ़ने लगे। इस दौरान दूसरी नाव भी पानी में डूब गई।पानी में डूब रहे लोग बचाओ-बचाओ की आवाज लगा रहे थे लेकिन बचाव नौका के उन तक पहुंचने में टाइम लग गया और 11 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान कुछ ऐसे भी लोग थे जो पानी में तैर सकते थे, उन्‍होंने अंदर जाकर लोगों को बचाने की भी कोशिश की। तीसरी नौका से कुछ लोगों को निकाला जा सका। बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जो भी इसके पीछे दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।




कांग्रेस ने पकड़ी RSS की राह


भगवा ब्रिगेड की विशाल चुनावी मशीनरी का सामना करने के लिए अब देश की सबसे पुरानी पार्टी संघ के प्रचारकों की काट ढूंढने में लगी है. पार्टी सदस्यता अभियान और ट्रेनिंग ड्राइव के जरिए जमीन पर अपना काडर खड़ा करेगी.


लोकसभा चुनाव-2019 में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस अब दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है. गुरुवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में संगठन को मजबूत करने के मास्टर प्लान पर चर्चा हुई. इसको लेकर ट्रेनिंग इंचार्ज सचिन राव द्वारा बनाया गया चार पन्ने का नोट जारी किया गया. पार्टी नेताओं का ये विचार है कि कांग्रेस की विचारधारा, मुद्दों पर उसकी राय को लेकर जनता तक संदेश पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़ने और उनको प्रशिक्षण देने की जरूरत है.


भगवा ब्रिगेड की विशाल चुनावी मशीनरी का सामना करने के लिए अब देश की सबसे पुरानी पार्टी संघ के प्रचारकों की काट ढूंढने में लगी है. पार्टी सदस्यता अभियान और ट्रेनिंग ड्राइव के जरिए जमीन पर अपना काडर खड़ा करेगी. पार्टी का मानना है जनता का विश्वास जीतने के लिए नेताओं को जमीनी लड़ाई लड़ने की जरूरत है.


पार्टी के वरिष्ठ लोग होंगे 'प्रेरक'


इसके लिए कार्यकर्ताओं का समूह बनाया जाएगा जिनको 'प्रेरक' कहा जाएगा. इसको इत्तेफाक कहिए या संघ को लेकर कांग्रेस की उलझन पर 'प्रेरक' शब्द संघ के प्रचारक से बिल्कुल मिलता-जुलता है. यह 'प्रेरक' संगठन से जुड़े हुए वरिष्ठ लोग होंगे, जिनको कांग्रेस की विचारधारा और पार्टी के बारे में अच्छी जानकारी होगी.


'प्रेरक' के जरिए कांग्रेस पार्टी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं तक पहुंचेगी और उनको रेगुलर ट्रेनिंग देगी. यह प्रेरक पार्टी के वे लोग हैं, जिनको कार्यकर्ताओं का विश्वास प्राप्त होगा. वह सम्मानित नेताओं में से चुने जाएंगे और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अंतर्गत ही काम करेंगे.


'कोऑर्डिनेटर' और 'सहयोगी' शब्द की चर्चा


सूत्रों की मानें तो बैठक में 'प्रेरक' शब्द को लेकर कुछ नेताओं ने चिंता जाहिर की और सबकी सहमति से यह तय किया गया कि 'प्रेरक' शब्द को बदल के 'कोऑर्डिनेटर' या 'सहयोगी' कर दिया जाएगा. सूत्रों का कहना था कि सबसे पहले मुकुल वासनिक ने कहा कि 'प्रेरक' शब्द की जगह दूसरे शब्द का प्रयोग किया जाए. शब्द कोई भी हो मगर हकीकत यह है कि भाजपा को उसी के खेल में मात देना आसान नहीं होगा वो भी तब जब भाजपा के साथ संघ की विशाल मशीनरी जुड़ी हुई है.


विक्रम लैंडर की तलाश में इसरो के साथ नासा भी जुटा, उम्मीद बढ़ी



  • इसरो से साझा करेगी नासा

  • विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक बीत चुके हैं 6 दिन


चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से जल्द संपर्क होने की उम्मीद बढ़ गई है. इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की मदद के लिए अब अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी सामने आई है.


इसरो अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने की लगातार कोशिश कर रहा है. हालांकि चंद्रमा की सतह पर विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक 6 दिन गुजर चुके हैं. हालांकि अभी तक विक्रम से संपर्क नहीं हो पाया है.


अब विक्रम लैंडर से संपर्क करने में नासा भी इसरो की मदद कर रहा है. इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है.


इसे भी पढ़ें: 15 अगस्त से शुरू हुआ था ISRO का सफर, संसद ने आजतक नहीं बनाया कानून


नासा अपने मून ऑर्बिटर की मदद से विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहा है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने नासा के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया कि नासा चंद्रयान-2 के उड़ान भरने से पहले और बाद की तस्वीर को इसरो के साथ साझा करेगा. साथ ही नासा चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट के आसपास की तस्वीर लेने की कोशिश कर रहा और इसरो से साझा करेगा.


समाचार एजेंसी आईएएनएस ने इसरो के एक अधिकारी ने हवाले से बताया कि लैंडर विक्रम के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. यह कोशिश तभी तक की जाएगी, जब सूरज की रोशनी उस क्षेत्र में होगी, जहां विक्रम उतरा है. इसका मतलब यह हुआ कि लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश 20-21 सितंबर तक ही की जाएगी.


पता चल ही गया कि सलमान खान शादी क्यों नही कर रहे हैं.

एक्टर सलमान खान की शादी की चिंता उनके हर चाहने वालों को है. जब किसी को सलमान खान ' का इंटरव्यू करने का मौका मिला है तब-तब शादी वाला सवाल उठा है |उनके हर फैन्स को ये इंतजार रहता है की सलमान खान कब शादी करेंगे.


उनके पिता ने कहा , जब सलमान खान नए रिश्ते में होते हैं तो शुरुआत में सब ठीक चलता है. लेकिन कुछ समय बाद ही जब सलमान उस लड़की में अपनी मां की छवि और उनकी जैसी आदतें तलाशने लगते हैं मामला बिगड़ने लगता है.


वैसे इसमें कोई शक नहीं है कि सलमान अपनी मां से बेहद प्यार करते हैं| एक रिपोर्ट की माने तो सलमान खान अपने परिवार वालों से बहुत प्यार करते है और वो अपना प्यार किसी में नही बाँट सकते है|उनके कहने के मुताबिक अगर उनकी पार्टनर आएगी तो उसके कुछ शर्त होंगे जिससे वो अपने परिवार से अलग हो सकते है |यही वजह है की वो अभी तक कुंवारे है|


ऐसा थाना, जहां 19 सालों में दर्ज हुई सिर्फ दो FIR, अफसर भी हैरान

एटा। उत्तर प्रदेश के अपराधग्रस्त जिले के नाम से जाना जाने वाले एटा में एक ऐसा भी थाना है, जहां पर 19 सालों में मात्र दो ही एफआईआर दर्ज हुई हैं। 16 साल तक थाने की जीडी में एक भी शिकायत दर्ज नहीं की गई। इसको लेकर पुलिस विभाग भी हैरान है कि आखिर ऐसा कैसे होता रहा। लेकिन यह सच है कि जीआरपी का थाना पूरी तरह से शांतप्रिय माहौल होने का दावा कर रहा है।रेलवे कालोनी स्थित बना जीआरपी का एटा थाना की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। इससे पहले तक एटा जिले में जीआरपी की चौकी रही। एटा से टूंडला तक चलने वाली पैसेंजर ट्रेन की सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी पहले चार सिपाहियों के जिम्मे थी, लेकिन जब से थाने की स्थापना हुई तो एक प्रभारी, एक हैड कांस्टेबिल सहित आठ कर्मियों को लगाया गया। थाना का संचालन होने के बाद से वर्ष 2016 तक थाने में रखी जीडी पूरी तरह से खाली पड़ी रही। लंबे समय तक जीआरपी थाना पर एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई, वर्ष 2016 में ट्रेन की बोगी में एक शव मिला तब एक एफआईआर दर्ज हो सकी। हालांकि इस मामले में बाद में एफआर लग गई।इसके बाद वर्ष 2019 में कुछ अराजक तत्वों ने गेटमैन के साथ मारपीट की वारदात को अंजाम दिया। इस मामले की दूसरी एफआईआर दर्ज हो सकी है। एटा जिला अपराध ग्रस्त की सूची में शामिल है अथवा लोगों की ऐसी धारणा भी है। लेकिन थाना की जीडी साबित कर रही है कि एटा पर लगाए जाते रहे आरोप और दावे खोखले साबित हो रहे हैं। आठ छोटी बड़ी स्टेशनों की निगरानी करता है थाना एटा जीआरपी थाना की पुलिस एटा और आगरा बॉर्डर की अंतिम स्टेशन बरहन तक निगरानी करता है।एटा जिले की शाह नगर टिमरूआ स्टेशन अंतिम स्टेशन है। जीआरपी के दो सिपाही ट्रेन के साथ जाते हैं जो ट्रेन ले जाने और लाने का कार्य करते हैं। थाने की स्थापना होने के बाद से ट्रेन में अब तक किसी भी तरह की लूट चोरी की वारदात तक नहीं हुई है। वहीं, थाना प्रभारी प्रताप सिंह ने बताया कि जब से यह थाना बना है उसके बाद से महज दो ही एफआईआर दर्ज हुई है।


भोपालः मां से लेना था बदला, दो साल की बच्ची को बरसात के पानी में डुबोकर मार डाला

 


भोपालः मां से लेना था बदला, दो साल की बच्ची को बरसात के पानी में डुबोकर मार डालाभोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दो साल की बच्ची की हत्या की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। मृतक बच्ची की मां से कहासुनी होने के बाद उससे बदला लेने के लिए आरोपी 40 वर्षीय महिला ने बच्ची को सड़क के गड्डों में इकट्ठा बरसात के पानी में डुबोकर मार दिया। पुलिस की पूछताछ में महिला ने अपना गुनाह कबूल किया और बताया कि उसने बच्ची की मां से बदला लेने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया।पहले मुंह दबाया फिर पानी में डुबो दिया बच्ची का सिर
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आरोपी महिला अनुषा पाल का बुधवार सुबह अपने पड़ोस में रहने वाली महिला के साथ झगड़ा हो गया। इसके बाद उसने महिला से बदला लेने की ठान ली और उसकी दो साल की बच्ची को बिस्कुट का लालच देकर अगवा कर लिया। आरोपी महिला बच्ची को लेकर शाहपुर इलाके के एक सुनसान जगह पर ले गई। वहां उसने सबसे पहले बच्ची का मुंह दबाकर उसे मारने की कोशिश की और जब उसने देखा कि इससे उसकी मौत नहीं हुई तब उसने बच्ची के सिर को सड़क के गड्ढों में भरे पानी में डुबो दिया।

झाड़ी में छिपाया शव
पानी में दम घुटने की वजह से बच्ची की मौत हो गई। इसके बाद उसने मृतका की बॉडी को बगल की झाड़ी में छिपा दिया और उसे प्लास्टिक से ढंककर घर आ गई। उधर अपने पांच साल के बच्चे को स्कूल छोड़कर महिला जब घर पहुंची तो उसने देखा कि उसकी बच्ची वहां नहीं है। उसने बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज करा दी। पुलिस ने बिल्डिंग के हर कमरे की तलाशी ली लेकिन बच्ची का कहीं पता न चला। बाद में उसी बिल्डिंग में रहने वाली एक महिला ने आरोपी के संदिग्ध बर्ताव के बारे में बताया।पुलिस के सामने कबूला अपराध
अनुषा पर शक गहराने के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने सारी सच्चाई उगल दी। अनुषा ने बताया कि बच्ची की मां से उसका झगड़ा हो गया था, जिसका बदला लेने के लिए उसने बच्ची का अपहरण किया और बाद में उसकी हत्या कर दी।


ख़त्म हो गया वंश लेकिन नहीं ख़त्म हुआ 'क़र्ज़'

 


बरनाला: पंजाब के बरनाला जिले के अंतर्गत आने वाले गांव भोतना में पिछले 50 सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे कर्ज ने एक परिवार का वंश ही समाप्त कर दिया। कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से परिवार के छह पुरुष किसान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन उनका कर्ज समाप्त नहीं हुआ। अब परिवार में केवल तीन महिलाएं बची हैं। परदादा से लेकर परपौते तक सभी काल के गाल में समा चुके हैं। दरअसल, 10 सितंबर को ग्राम भोतना में इसी परिवार के 21 साल के लवप्रीत सिंह उर्फ लब्बू ने खेत में जहरीली स्प्रे पीकर ख़ुदकुशी कर ली थी।


अब इस परिवार में मृतक लवप्रीत सिंह की 70 साल की दादी गुलदीप कौर, 50 वर्षीय माता हरपाल कौर व 23 वर्षीय बहन मनप्रीत कौर ही बाकी बचे हैं। इस हृदयविदारक घटना के बाद से उनकी आंखों के आंसू भी रो-रोकर सूख चुके हैं। घर में अब कोई भी कमाने वाला पुरुष शेष नहीं बचा। गांव भोतना में परिवार की बुजुर्ग गुलदीप कौर ने मीडिया को बताया कि लवप्रीत के परदादा जोगिंदर सिंह ने आढ़ती से कुछ ऋण लिया था, जिसे वह चुका नहीं पाए थे। उसी वजह से 1970 में उन्होंने स्प्रे पीकर जान दे दी। इसके बाद लवप्रीत के परदादा के भाई भगवान सिंह पर इसी कर्ज का बोझ आ गया और उन्होंने 1980 में फंदा लगाकर ख़ुदकुशी कर ली।


दिन-प्रतिदिन लगते ब्याज के साथ कर्ज भी पहाड़ की तरह बढ़ता गया और परिवार के सदस्यों ने आगे बैंक व को-ऑपरेटिव सोसायटी से लोन ले लिया। इसे न चुका न पाने की वजह से लवप्रीत के दादा नाहर सिंह ने वर्ष 2000 में, 2010 में लवप्रीत के चाचा जगतार सिंह ने भी मौत को गले लगा लिया। मजबूर होकर आखिर लवप्रीत सिंह के पिता कुलवंत सिंह ने 6 जनवरी 2018 व इस साल 10 सितंबर को परिवार में बचे एकमात्र पुरुष लवप्रीत ने भी कर्ज के कारण मरने का रास्ता चुना। इतनी जिंदगियां जाने के बाद भी परिवार पर अब भी 15 लाख का ऋण बकाया है।


मीठी मिश्री का सेवन सेहत के लिए होता है बहुत लाभकारी


अक्सर आपने घर में प्रसाद के तौर पर, कई बार मिश्री खूब खाई होगी। कई बार छुपाकर भी खाई है। मिश्री अपने स्वाद के लिए जितनी जानी जाती है उससे ज्यादा इसके कई सारे फायदे हैं। जानिए कैसे इसे खाकर सेहत को बहुत फायदा होता है।


लगभग 10 ग्राम मिश्री को 10 ग्राम सांप की केंचुली में अच्छी तरह से घोंटें और इसे घोंटकर शीशी में भर लें। लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग की मात्रा में इस मिश्रण को बताशे में भरकर रोगी को खिला दें और ऊपर से 3-4 घूंट पानी पिला दें। ऐसा करने से पुराने से पुराना सिर का दर्द भी ठीक हो जाता है।


बहरापन


मिश्री और लाल इलायची को लेकर बारीक पीस लें। फिर इस चूर्ण को सरसों के तेल में डालकर 2 घंटों तक रहने दें। 2 घंटे के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 3-4 बंदे रोजाना सुबह-शाम कान में डालने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।


नकसीर


50 ग्राम सूखे हुए कमल के फूल और 50 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच गर्म दूध के साथ फंकी लेने से सिर्फ 1 ही हफ्ते में ही नकसीर (नाक से खून बहना) का रोग दूर हो जाता है।


माउथ फ्रेशनर


सौंफ के साथ मिश्री का प्रयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में बहुत प्रचलित है। इस शुगर कैंडी का मीठा स्वाद आपको फ्रेश फील देने के साथ ही आपके मुह में बैक्टीरिया को बनने से भी रोकती है। यही कारण है कि कई भारतीयों को खाने के बाद सौंफ के साथ मिश्री खाने की आदत है।


खांसी में आराम


मौसम बदलने पर बच्चों को खांसी जुखाम हो जाना एक आम बीमारी है। हालांकि खांसी से बचने के लिए कफ़ सीरप का इस्तेमाल ज्यादा प्रचलित है लेकिन तुरंत आराम के लिए मिश्री का प्रयोग भी एक अच्छा घरेलु उपचार है। इसमें ऐसे ज़रूरी पोषक तत्व होतें है जो कफ़ को साफ़ करके गले की खराश को दूर करते हैं।


इंटरनेट का परिचय (सबके लिए जरुरी)।

 


इंटरनेट विश्व व्यापी सूचनाओं का राजमार्ग है।


सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट एक ऐसे सूचना प्रदाता 'जिन्न' की तरह सामने आया है जिसे हुक्म मिलते ही वह मनचाही सूचना हमें उपलब्ध करवा सकता है।


इंटरनेट या अंतरजाल एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का एक ऐसा विश्व व्यापी जाल है जिसमें लोग अपनी सूचनाओं का आदान-प्रदान पलक झपकते कर सकते हैं।इंटरनेट के जरिए मिलने वाली सूचनाओं में और सेवाओं में वेब पेज ,ई-मेल, बातचीत, ऑडियो और वीडियो सूचनाएं प्रमुख हैं। यह विश्व भर के शैक्षणिक, औद्योगिक, सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं और व्यक्तियों को आपस में जोङता है। इंटरनेट पर आते ही आप विश्व के लाखों-करोड़ों लोगों के समूह का एक हिस्सा बन जाते हैं जहां आप दूसरों के साथ और दूसरे आप के साथ सूचनाओं का संचार कर सकते हैं।क्षा हो या चिकित्सा, खरीदारी हो या बैंकिंग, मनोरंजन या जॉब की तलाश जैसे कई कार्य इंटरनेट के माध्यम से किए जा सकते हैं। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो इंटरनेट से अछूता रह गया हो। मजे की बात यह है कि कंप्यूटर पर चलने वाला इंटरनेट न कोई सॉफ्टवेयर है और न ही कोई प्रोग्राम और न ही हार्डवेयर । दरअसल यह एक ऐसा नेटवर्क है जो विश्व भर के कंप्यूटरों को आपस में जोङता है।


शुगर फ्री रागी बर्फी रेसिपी


शुगर फ्री रागी बर्फी रेसिपी |



मीठा खाने के शौकीन लेकिन शुगर के पेशंट्स के साथ अक्सर यह समस्या रहती है कि वे क्या डेटर्ज लें। खुद की इच्छा पर काबू रखना कई बार इतना मुश्किल हो जाता है कि सारी दिक्कते भुलाकर आप मीठा खा ही लेते हैं। चाहे फिर बाद में बढ़ी हुई शुगर आपको परेशान करे।


लेकिन अब आपको ऐसा नहीं करना पड़ेगा। हम समय-समय पर डायबिटीज के पेशंट्स के लिए मिठाइयों को ऑप्शंस लाते रहते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपके लिए लाए हैं शुगर फ्री रागी बर्फी बनाने की विधि।







शुगर फ्री रागी बर्फी की सामग्री



  • 1 कप रागी का आटा

  • 1 कप घी

  • 1 चम्मच पिसी हुई हरी इलायची

  • 1 चांदी वर्क

  • 1 कप गुड़ पाउडर

  • 1/4 कप गुनगुना दूध

  • 2 बड़ा चम्मच मिश्रित ड्राई फ्रूट




शुगर फ्री रागी बर्फी बनाने की वि​धि



  •  Step 1

    इस बर्फी को बनाने के लिए सबसे पहले एक कड़ाही गर्म होने के लिए रखें और उसमें घी डालकर मेल्ट कर लें। घी गर्म होने के बाद इसमें रागी का आटा डालें और अच्छी तरह भून लें। आंच धीमी रखें और आटे को लगातार चलाते रहें। आटा जब चॉकलेट ब्राउन हो जाए तो गैस बंद कर दें और 5 से 6 मिनट के लिए ठंडा होने दें।




  •  Step 2


    इसके बाद दूसरे पैन को धीमी आंच पर रखें और उसमें हरी इलायची पाउडर के साथ गुड़ पाउडर डालें और फिर अच्छी तरह मिलाएं। गुड़ धीरे-धीरे पिघल जाएगा। लेकिन इस दौरान आप इस मिश्रण को लगातार हिलाते रहें। अब इसमें रागी आटा डालें और बर्फी के लिए मिश्रण तैयार करें। अगर इसका सही पेस्ट बनाने में दिक्कत हो तो थोड़ा सा गर्म दूध डालकर अच्छी तरह मिलाएं।




  •  Step 3


    अब गैस बंद कर दें और एक प्लेट में घी लगा लें। घी लगी प्लेट में इस तैयार मिश्रण को पलट दें और अच्छी तरह से फैला दें। अब आप इसे मिक्स ड्राई फ्रूट्स और सिल्वर वर्क के साथ गार्निश करें। इसे ठंडा होने और जमने दें। जब यह अच्छी तरह जम जाए तो इसे डायमंड शेप में काटें और इंजॉय करें।







मुहम्मद बिन क़ासिम ने 17 साल की उम्र में, हिन्द व सिंध के ज़ालिम हुक्मरानों को रौंद डाला


वो ख़त जिसको पढ़कर मुहम्मद बिन क़ासिम ने 17 साल की उम्र में, हिन्द व सिंध के ज़ालिम हुक्मरानों को रौंद डाला…


यह ख़त अबुल हसन की बेटी नाहिद ने सिंध से एक सफेद रुमाल पर अपने खून से हज्जाज़ बिन यूसुफ के लिए लिखा था, और क़ासिद से कहा था…
“अगर हज्जाज बिन युसुफ़ का खून मुंजमद हो गया हो तो मेरा ये खत पेश कर देना वरना इसकी जरूरत नहीं है।


हज्जाज़ बिन यूसुफ ने खत के चंद सुतूर पढ़कर कंपकपा उठा, और उसकी आंखों के शोले पानी में तब्दील होने लगे, उसने रुमाल मुहम्मद बिन क़ासिम के हाथों में दे दिया, मुहम्मद बिन कासिम ने शुरू से लेकर आखिर तक लिखे अल्फ़ाज़ पढ़ा उसमे लिखा था……


“मुझे यक़ीन है कि वालि-ए-बसरा क़ासिद की ज़बानी मुसलमान बच्चों और औरतों का हाल सुनकर अपनी फ़ौज के गय्यूर सिपाहियों को घोड़ों पर ज़िनें डालने का हुक्म दे चुका होगा, और क़ासिद को मेरा ये खत दिखाने की जरूरत पेश नहीं आएगी, अगर हज्जाज बिन युसुफ़ का खून मुंजमद हो चुका है तो शायद मेरी तहरीर भी बेसूद साबित हो, मैं अबुल हसन की बेटी हूं मैं और मेरा भाई अभी तक दुश्मन के दस्तरस से महफूज़ हैं, लेकिन हमारे साथी एक ऐसे दुश्मन की कैद में है जिसके दिल में रहम के लिए कोई जगह नहीं है।
क़ैदख़ाने की इस तारीक कोठरी का तसउव्वुर कीजिए जिसके अंदर असीरों के कान मुजाहिदीन-ए-इस्लाम के घोड़ों की टापूँ की आवाज़ सुनने के लिए बेकरार हैं। ये एक मोअजज़ा था कि मैं और मेरा भाई दुश्मन के क़ैद से बच गए थे, लेकिन हमारी तलाश जारी है और मुमकिन है, हमें भी किसी तारीक कोठरी में फेंक दिया जाए। मुमकिन है कि इससे पहले मेरा जख्म मुझे मौत की नींद सुला दे और मैं इबरतनाक अंजाम से बच जाऊं, लेकिन मरते वक़्त मुझे इस बात का अफ़सोस होगा कि, वो सबा रफ्तार घोड़े जिनके सवार तुर्किस्तान और अफ्रीका के दरवाज़े खटखटा रहे हैं, अपनी कौम की यतीम और बेबस बच्चों की मदद को ना पहुंच सके, क्या ये मुमकिन है कि वो तलवार जो रोम और ईरान के मफदूर ताजदारों के सिर पर साबक़ा बनकर कुंदी-
सिंध के मग़रूर राजा के सामने कुंद साबित होंगी?
मैं मौत से क़त्तई नहीं डरती लेकिन ऐ हज्जाज़ अगर तुम जिंदा हो तो अपनी अपनी ग़य्यूर क़ौम के यतीमों और बेवाओं की मदद को पहुंचो”


“नाहिद एक ग़य्यूर क़ौम की बेबस बेटी”


इस खत को पढ़ने के बाद 17 साल की उम्र के मुहम्मद बिन क़ासिम की सिपहसालारी में मुजाहिदीन-ए-इस्लाम ने हिन्द व सिंध को रौंद डाला था, और क़ौम के बच्चों और औरतों के साथ साथ सालों से ज़ालिम हुक्मरानों के हाथों पिसती सिंध व हिन्द की अवाम को निजात दिलाई थी, और राजा दाहिर को दिखा दिया था कि अभी मुजाहिदीन-ए-इस्लाम की तलवारे कुंद नहीं हुई हैं।


(मुहम्मद बिन क़ासिम)
नसीम हिजाज़ी----


संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए के संबंध में निर्णय

 


राम पुनियानी


भारत सरकार ने कश्मीर के लोगों की राय जानने की प्रजातांत्रिक कवायद किए बगैर अत्यंत जल्दबाजी में संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए के संबंध में निर्णय लिया है। जम्मू-कश्मीर राज्य अब दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बंट गया है। इसके साथ हीहवा में ढ़ेरों अर्धसत्य तैर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है और श्यामाप्रसाद मुकर्जी - जिन्होंने अनुच्छेद 370 का विरोध किया था और जो कश्मीर का  भारत में जबरदस्ती विलय करवाने के पक्षधर थे - की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं। भाजपा के नेताओं ने अब एक नया शिगूफा छोड़ा है। उनका कहना है कि डॉ अम्बेडकरअनुच्छेद 370 के खिलाफ थे और इस प्रावधान को हटा कर भाजपा ने उन्हें श्रद्धांजलि है (अर्जुन राम मेघवालइंडियन एक्सप्रेस, 20 अगस्त 2019)


मेघवाल का दावा है कि अम्बेडकर ने एक बैठक में शेख अब्दुल्ला से कहा था कि ''आप चाहते हैं कि भारत कश्मीर की रक्षा करेवहां के नागरिकों का पेट भरे और कश्मीरियों को पूरे भारत में समान अधिकार दे। परंतु आप भारत को कश्मीर में कोई अधिकार नहीं देना चाहते...''। मेघवाल यह इशारा भी करते हैं कि नेहरू की कश्मीर नीति के कारण भारत और पाकिस्तान में शत्रुता हुई जिसके नतीजे में दोनों देशों के बीच तीन युद्ध हुए। मेघवाल के अनुसारअम्बेडकरकश्मीर समस्या का स्थायी हल चाहते थे और यह भी कि अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को हवा मिली।


यह तत्समय के घटनाक्रम को विकृत स्वरूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है। इसमें कोई संदेह नहीं कि बाबासाहब के अलावा मौलाना हसरत मोहानी ने भी अनुच्छेद370 का विरोध किया था। मेघवाल के अनुसारमोहानी को संसद में इस अनुच्छेद का विरोध करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। बाबासाहब ने उस बैठक में भाग ही नहीं लिया जिसमें इस अनुच्छेद से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसमें कोई संदेह नहीं कि बाबासाहब ने इस अनुच्छेद के प्रति अपना विरोध सार्वजनिक किया था। परंतु इसमें भी कोई संदेह नहीं कि बाबासाहब की प्रजातंत्र में अटूट आस्था थी और अगर वे आज होते तो निश्चित रूप से कहते कि कश्मीर के लोगों की राय को सर्वोपरि माना जाना चाहिए।


पाकिस्तान के साथ हुए तीन युद्धों के लिए नेहरू सरकार की नीतियों को दोषी ठहराना कतई उचित नहीं है। पाकिस्तान के साथ पहला युद्ध इसलिए हुआ क्योंकि उसने कबाईलियों के भेष में अपने सैनिकों की कश्मीर में घुसपैठ करवाई ताकि हिन्दू महासभा के सावरकर के द्विराष्ट्र सिंद्धात के अनुरूपवह कश्मीर पर नियंत्रण स्थापित कर सके। मुस्लिम लीग भी इसी नीति की समर्थक थी। जिन्ना और पाकिस्तान का मानना था कि चूंकि कश्मीर मुस्लिम-बहुल क्षेत्र है इसलिए उसे पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए। दूसरी ओर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की स्पष्ट राय थी कि कश्मीर का विलय दोनों में से किस देश में होइसका निर्णय कश्मीर के लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। सरदार वल्लभभाई पटेल की भी यही मान्यता थी कि कश्मीर के लोगों की इच्छा का आदर होना चाहिए। नेहरू के शेख अब्दुल्ला से सन् 1930 के दशक से निकट संबंध थे। दोनों प्रजातंत्रबहुवाद और समाजवाद में आस्था रखते थे। अपनी विचारधारात्मक प्रतिबद्धताओं के कारण ही अब्दुल्ला ने कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाने का फैसला किया।


जहां तक सन् 1965 के युद्ध का सवाल है उसके पीछे कश्मीर समस्या की भी भूमिका थी परंतु उसके लिए भारत की कश्मीर नीति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह युद्ध दोनों देशों के कश्मीर के मुद्दे पर अलग-अलग सोच का नतीजा था। जहां तक सन् 1971 के युद्ध का सवाल हैउसका संबंध पूर्वी पाकिस्तान के घटनाक्रम से था जहां पाकिस्तान की सेना ने अभूतपूर्व दमन चक्र चला रखा था। सेना के अत्याचारों से पीड़ित लगभग एक लाख शरणार्थी भारत आ गए थे। इस युद्ध से बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजादी मिली।


जहां तक कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के जड़ पकड़ने का सवाल हैउसके लिए भारत की साम्प्रदायिक ताकतों की कारगुजारियां जिम्मेदार हैं। मेघवाल की विचारधारा में आस्था रखने वाले गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या ने भारत की धर्मनिरपेक्षता में शेख अब्दुल्ला की आस्था को हिलाकर रख दिया। उनका भारत से मोहभंग हो गया और उन्होंने पाकिस्तान और चीन से वार्ताएं शुरू कर दीं। इसके नतीजे में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और यहीं से कश्मीर में अलगाववाद का भाव जन्मा जिसने बाद में आतंकवाद की शक्ल ले ली। इसीका लाभ पाकिस्तान ने उठाया। आगे चलकर अल्कायदा जैसे तत्वों ने कश्मीरियत की रक्षा के मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम विवाद का रूप दे दिया।


हमें यह ठीक से समझ लेना चाहिए कि कश्मीर में अलगाववाद इसलिए नहीं पनपा क्योंकि राज्य को विशेष दर्जा प्राप्त था। अलगाववाद पनपने के पीछे दो कारक थे। जहां भारत ने राज्य की बहुवादी संस्कृति को कमजोर किया वहीं पाकिस्तान ने आग में घी डाला। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम और कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के विभिन्न प्रस्तावइस क्षेत्र में शांति की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम थे। पश्चिमी राष्ट्रों की शह पर पाकिस्तान ने कश्मीर के उस हिस्से को छोड़ने से इंकार कर दिया जिस पर उसने जबरदस्ती कब्जा जमा लिया था। कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह के प्रस्ताव को डीप फ्रीजर में रख दिया गया।


दरअसलमेघवाल शायद कश्मीर के मुद्दे को उसकी समग्रता में समझ ही नहीं सके। वे इधर-उधर से इतिहास की कुछ घटनाओं को उठाकर उनका इस्तेमाल अपनी पार्टी के मनमाने निर्णय को सही ठहराने के लिए कर रहे हैं। इस निर्णय में पारदर्शिता और प्रजातांत्रिकता दोनों का अभाव है। बाबासाहब की राजनीति पूरी तरह पारदर्शी और सिद्धांतों पर आधारित थी। वे जो सोचते थे वही कहते थे और जो कहते थे वही करते थे। अम्बेडकरसंविधान की मसविदा समिति के अध्यक्ष थे और इस समिति ने संविधान का जो मसविदा तैयार किया थाउसमें अनुच्छेद 370 शामिल था।


हांयह स्वीकार करने में किसी को कोई गुरेज नहीं होना  चाहिए कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। परंतु इसे हटाने के पहले हमें यह सुनिश्चित करना था कि पड़ोसी देश से हमारे संबंध सौहार्दपूर्ण हों और हम कश्मीर के लोगों के दिलों को जीत सकें। पाकिस्तान चाहे जो समस्याएं खड़ी करे हमें कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत करनी ही चाहिए। बाबासाहब और सरदार पटेल भी यही करते। राष्ट्रों की नींव प्रेम और सौहार्द पर रखी जाती है। लोगों पर जबरन कोई व्यवस्था लादने से नुकसान की संभावना अधिक होती हैलाभ की कम। (अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आईआईटीमुंबई में पढ़ाते थे और सन्  2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)


संपादक महोदय,                 


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-एल एस हरदेनिया


रिश्वत लेने के लिए पकड़ी गयी महिला राजस्वकर्मी ने की आत्महत्या

गुजरात के अहमदाबाद में लगभग चार माह पहले पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई में कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए पकड़ी गयी राजस्व विभाग की एक महिला कर्मी (तलाटी) ने आज अपने घर में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली।


पुलिस ने बताया कि मूल रूप से धोलका की रहने वाली शीतल वेगड़ा (28) ने यहां नारोल इलाके के अपने आवास में आत्महत्या कर ली। उन्होंने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें लिखा है कि गत 14 मई को रिश्वत लेने के मामले में उन्हें गलत ढंग से फंसाया गया था।


ज्ञातव्य है कि विरासत संबंधी एक दस्तावेज जारी करने के एवज में कथित तौर पर एक व्यक्ति से 4000 रूपये की रिश्वत ले रही शीतलाबेन को गत 14 मई को एसीबी की टीम ने पकड़ा था।


कमलनाथ ने ट्वीट करा 11 -11लाख रूपये मुआवज़ा के निर्देश

गणेश विसर्जन के दौरान भोपाल के खटलापुरा घाट पर डूबने से 11 लोगों की मौत बेहद दुःखद। सरकार पीड़ित परिवारों के साथ है। जिसकी भी लापरवाही होगी उसे बख्शा नहीं जायेगा। सभी पीड़ित परिवारों को 11-11 लाख रूपये की मुआवजा राशि दी जायेगी। घटना की मजिस्ट्रियल जाँच के निर्देश


मोदी ने भोपाल नौका हादसे पर शोक व्यक्त किया

 


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान नौका पलटने के कारण लोगों की मौत पर शोक व्यक्त किया है।


 


श्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा है,“भोपाल में नौका पलटने के कारण हुआ हादसा दुखी करने वाला है। दुख की इस घड़ी में उन परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं जिन्होंने अपने लोगों को खोया है।”


उल्लेखनीय है कि भोपाल में आज तड़के लगातार बारिश के बीच गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान आपस में जुड़ी हुईं दो नाव पलटने से उसमें सवार लोग डूब गये। इनमें से 11 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं।


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