खून सफेद मुंशी प्रेमचंद की कहानी















हिंदी कहानी




 



मुंशी प्रेमचंद

 








 


















खून सफेद . . मुंशी प्रेम चंद


चैत का महीना था, लेकिन वे खलियान, जहाँ अनाज की ढेरियाँ लगी रहती थीं, पशुओं के शरणास्थल बने हुए थे; जहाँ घरों से फाग और बसन्त का अलाप सुनाई पड़ता, वहाँ आज भाग्य का रोना था। सारा चौमासा बीत गया, पानी की एक बूँद न गिरी। जेठ में एक बार मूसलाधार वृष्टि हुई थी, किसान फूले न समाए। खरीफ की फसल बो दी, लेकिन इन्द्रदेव ने अपना सर्वस्व शायद एक ही बार लुटा दिया था। पौधे उगे, बढ़े और फिर सूख गए। गोचर भूमि में घास न जमी। बादल आते, घटाएं उमड़तीं, ऐसा मालूम होता कि जल-थल एक हो जाएगा, परन्तु वे आशा की नहीं, दुःख की घटाएँ थीं।
किसानों ने बहुतेरे जप-तप किए, ईंट और पत्थर देवी-देवताओं के नाम से पुजाएं, बलिदान किए, पानी की अभिलाषा में रक्त के पनाले बह गए, लेकिन इन्द्रदेव किसी तरह न पसीजे। न खेतों में पौधे थे, न गोचरों में घास, न तालाबों में पानी। बड़ी मुसीबत का सामना था। जिधर देखिए, धूल उड़ रही थी। दरिद्रता और क्षुधा-पीड़ा के दारुण दृश्य दिखाई देते थे। लोगों ने पहले तो गहने और बरतन गिरवी रखे और अन्त में बेच डाले। फिर जानवरों की बारी आयी और अब जीविका का अन्य कोई सहारा न रहा, तब जन्म भूमि पर जान देने वाले किसान बाल बच्चों को लेकर मजदूरी करने निकल पड़े। अकाल पीड़ितों की सहायता के लिए कहीं-कहीं सरकार की सहायता से काम खुल गया था। बहुतेरे वहीं जाकर जमे। जहाँ जिसको सुभीता हुआ, वह उधर ही जा निकला।

संध्या का समय था। जादोराय थका-माँदा आकर बैठ गया और स्त्री से उदास होकर बोला- दरखास्त नामंजूर हो गई। यह कहते-कहते वह आँगन में जमीन पर लेट गया। उसका मुख पीला पड़ रहा था और आँतें सिकुड़ी जा रही थीं। आज दो दिन से उसने दाने की सूरत नहीं देखी। घर में जो कुछ विभूति थी, गहने कपड़े, बरतन-भाँड़े सब पेट में समा गए। गाँव का साहूकार भी पतिव्रता स्त्रियों की भाँति आँखें चुराने लगा। केवल तकाबी का सहारा था, उसी के लिए दरखास्त दी थी, लेकिन आज वह भी नामंजूर हो गई, आशा का झिलमिलाता हुआ दीपक बुझ गया।
देवकी ने पति को करुण दृष्टि से देखा। उसकी आँखों में आँसू उमड़ आये। पति दिन भर का थका-माँदा घर आया है। उसे क्या खिलाए ? लज्जा के मारे वह हाथ-पैर धोने के लिए पानी भी न लायी। जब हाथ-पैर धोकर आशा-भरी चितवन से वह उसकी ओर देखेगा, तब वह उसे क्या खाने को देगी ? उसने आप कई दिन से दाने की सूरत नहीं देखी थी। लेकिन इस समय उसे जो दुख हुआ, वह क्षुधातुरता के कष्ट से कई गुना अधिक था। स्त्री घर की लक्ष्मी है घर के प्राणियों को खिलाना-पिलाना वह अपना कर्त्तव्य समझती है। और चाहे यह उसका अन्याय ही क्यों न हो, लेकिन अपनी दीनहीन दशा पर जो मानसिक वेदना उसे होती है, वह पुरुषों को नहीं हो सकती।

हठात् उसका बच्चा साधो नींद से चौंका और मिठाई के लालच में आकर वह बाप से लिपट गया। इस बच्चे ने आज प्रायः काल चने की रोटी का एक टुकड़ा खाया था। और तब से कई बार उठा और कई बार रोते-रोते सो गया। चार वर्ष का नादान बच्चा, उसे वर्षा और मिठाई में कोई संबंध नहीं दिखाई देता था। जादोराय ने उसे गोद में उठा लिया और उसकी ओर दुःख भरी दृष्टि से देखा। गर्दन झुक गई और हृदय-पीड़ा आँखों में न समा सकी।

दूसरे दिन वह परिवार भी घर से बाहर निकला। जिस तरह पृरुष के चित्त अभिमान और स्त्री की आँख से लज्जा नहीं निकलती, उसी तरह अपनी मेहनत से रोटी कमाने वाला किसान भी मजदूरी की खोज में घर से बाहर नहीं निकलता। लेकिन हा पापी पेट! तू सब कुछ कर सकता है ! मान और अभिमान, ग्लानि और लज्जा के सब चमकते हुए तारे तेरी काली घटाओं की ओट में छिप जाते हैं।
प्रभात का समय था। ये दोनों विपत्ति के सताए घर से निकले। जादोराय ने लड़के को पीठ पर लिया। देवकी ने फटे-पुराने कपड़ों की वह गठरी सिर पर रखी, जिस पर विपत्ति को भी तरस आता। दोनों की आँखें आँसुओं से भरी थीं। देवकी रोती रही। जादोराय चुपचाप था। गाँव के दो-चार आदमियों से भेंट भी हुई, किसी ने इतना भी नहीं पूछा कि कहाँ जाते हो? किसी के हृदय में सहानुभूति का वास न था।
जब ये लोग लालगंज पहुँचे, उस समय सूर्य ठीक सिर पर था। देखा, मीलों तक आदमी-ही-आदमी दिखाई देते थे। लेकिन हर चेहरे पर दीनता और दुख के चिन्ह झलक रहे थे।
बैसाख की जलती हुई धूप थी। आग के झोंके जोर-जोर से हरहराते हुए चल रहे थे। ऐसे समय में हड्डियों के अगणित ढाँचे, जिनके शरीर पर किसी प्रकार का कपड़ा न था, मिट्टी खोदने में लगे हुए थे, मानों वह मरघट भूमि थी, जहाँ मुर्दे अपने हाथों अपनी कबर खोद रहे थे। बूढ़े और जवान, मर्द और बच्चे, सबके-सब ऐसे निराश और विवश होकर काम में लगे हुए थे, मानो मृत्यु और भूख उनके सामने बैठी घूर रही है। इस आफत में न कोई किसी का मित्र था न हितू। दया, सहृदयता और प्रेम ये सब मानवीय भाव हैं, जिनका कर्ता मनुष्य है; प्रकृति ने हमको केवल एक भाव प्रदान किया है और वह स्वार्थ है। मानवीय भाव बहुधा कपटी मित्रों की भाँति हमारा साथ छोड़ देते हैं, पर यह ईश्वर-प्रदत्त गुण हमारा गला नहीं छोड़ता।



आठ दिन बीत गए थे। संध्या समय काम समाप्त हो चुका था। डेरे से कुछ दूर आम का एक बाग था। वहीं एक पेड़ के नीचे जादोराय और देवकी बैठी हुई थी। दोनों ऐसे कृश हो रहे थे कि उनकी सूरत नहीं पहचानी जाती थी। अब वह स्वाधीन कृषक नहीं रहे। समय के हेर-फेर से आज दोनों मजदूर बने बैठे हैं।
जादोराय ने बच्चे को जमीन पर सुला दिया। उसे कई दिन से बुखार आ रहा है। कमल-सा चेहरा मुरझा गया है। देवकी ने धीरे से हिलाकर कहा- बेटा ! आँखें खोलो, देखो साँझ हो गई।
साधों ने आँख खोल दीं, बुखार उतर गया था, बोला- क्या हम घर आ गये मां ?
घर की याद आ गई, देवकी की आँखें डबडबा आयीं। उसने कहा- नहीं, बेटा ! तुम अच्छे हो जाओगे तो घर चलेगें। उठकर देखो, कैसा अच्छा बाग है ?
साधो माँ के हाथों के सहारे उठा और बोला- माँ, मुझे बड़ी भूख लगी है; लेकिन तुम्हारे पास तो कुछ नहीं है। मुझे क्या खाने को दोगी ?
देवकी के हृदय में चोट लगी, पर धीरज धरके बोली- नहीं बेटा, तुम्हारे खाने को मेरे पास सब कुछ- है। तुम्हारे दादा पानी लाते हैं, तो नरम-नरम रोटियाँ अभी बनाएं देती हूँ।
साधों ने माँ की गोद में सिर रख लिया और बोला- माँ मैं न होता तो तुम्हें इतना दुःख न होता। यह कहकर वह फूट-फूटकर रोने लगा। यह वही बेसमझ बच्चा है, जो दो सप्ताह पहले मिठाइयों के लिए दुनिया सिर पर उठा लेता था। दुख और चिन्ता ने कैसा अनर्थ कर दिया है। यह विपत्ति का फल है। कितना दुःखपूर्ण,कितना करुणाजनक व्यापार है !
इसी बीच में कई आदमी लालटेन लिये हुए वहाँ आये। फिर गाड़ियाँ आयीं। उन पर डेरे और खेमे लदे हुए थे। दम-के-दम यहां खेमे गड़ गए। सारे बाग में चहल-पहल नजर आने लगी। देवकी रोटियाँ सेंक रही थी, साधो धीरे-धीरे उठा और आश्चर्य से देखता हुआ, एक डेरे के नजदीक जाकर खड़ा हो गया।

पादरी मोहनदास खेमे से बाहर निकले, तो साधो उन्हें खड़ा दिखाई दिया। उसकी सूरत पर उन्हें तरस आ गया। प्रेम की नदी उमड़ आयी। बच्चे को गोद में लेकर खेमे में एक गद्देदार कोच पर बिठा दिया और तब बिस्कुट और केले खाने को दिये। लड़के ने अपनी जिन्दगी में इन स्वादिष्ट चीजों को कभी न देखा था। बुखार की बेचैन करने वाली भूख अलग मार रही थी। उसने खूब मन-भर खाया और तब कृतज्ञ नेत्रों से देखते हुए पादरी साहब के पास जाकर बोला- तुम हमको रोज ऐसी चीजें खिलाओगे ?
पादरी साहब इन भोलेपन पर मुसकरा के बोले- मेरे पास इससे भी अच्छी-अच्छी चीजें हैं।
इस पर साधोराय ने कहा- अब मैं रोज तुम्हारे पास आऊँगा। माँ के पास ऐसी अच्छी चीजें कहाँ? वह मुझे रोज चने की रोटियाँ खिलाती है।
उधर देवकी ने रोटियाँ बनायीं और साधो को पुकारने लगी। साधो ने माँ के पास जाकर कहा–मुझे साहब ने अच्छी-अच्छी चीजें खाने को दी हैं। साहब बड़े अच्छे हैं।
देवकी ने कहा- मैंने तुम्हारे लिए नरम-नरम रोटियां बनायी हैं आओ तुम्हें खिलाऊँ।
साधो बोला- अब मैं न खाऊँगा। साहब कहते थे कि मैं तुम्हें रोज अच्छी-अच्छी चीजें खिलाऊँगा। मैं अब उनके साथ रहा करूँगा। माँ ने समझा कि लड़का हँसी कर रहा है। उसे छाती से लगाकर बोली क्यों बेटा, हमको भूल जाओगे ? देखो, मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूँ !

साधो तुतलाकर बोला तुम तो मुझे रोज चने की रोटियाँ दिया करती हो, तुम्हारे पास तो कुछ नहीं है। साहब मुझे केले और आम खिलाएंगे। यह कहकर वह फिर खेमे की ओर भागा और रात को वही सो रहा।
पादरी मोहनदास का पड़ाव वहाँ तीन दिन रहा। साधो दिन-भर उन्हीं के पास रहता। साहब ने उसे मीठी दवाइयाँ दीं। उसका बुखार जाता रहा। वह भोले-भाले किसान यह देखकर साहब को आशार्वाद देने लगे। लड़का चंगा हो गया और आराम से है। साहब को परमात्मा सुखी रखे। उन्होंने बच्चे की जान रख ली।
चौथे दिन रात को ही वहाँ से पादरी साहब ने कूच किया। सुबह को जब देवकी उठी, तो साधो का यहाँ पता न था। उसने समझा, कहीं टपके ढूँढ़ने गया होगा; किन्तु थोड़ी देर देखकर उसने जादोराय से कहा- लल्लू यहाँ नहीं है।
उसने भी यही कहा- कहीं टपके ढूँढ़ता होगा।

लेकिन जब सूरज निकल आया और काम पर चलने का वक्त हुआ, तब जादोराय को कुछ संशय हुआ। उसने कहा- तुम यहीं बैठी रहना, मैं अभी उसे लिये आता हूं।
जादो ने आस-पास के सब बागों को छान डाला और अन्त में जब दस बज गए तो निराश लौट आया। साधो न मिला, यह देखकर देवकी ढाढ़ें मारकर रोने लगी।
फिर दोनों अपने लाल की तलाश में निकले। अनेक विचार चित्त में आने-जाने लगे। देवकी को पूरा विश्वास था कि उस साहब ने उस पर कोई मन्त्र डालकर वश में कर लिया। लेकिन जादो को इस कल्पना के मान लेने में कुछ सन्देह था। बच्चा इतनी दूर अनजान रास्ते पर अकेले नहीं जा सकता। फिर भी दोनों गाड़ी के पहियों और घोड़े के टापों के निशान देखते चले जाते थे। यहाँ तक कि एक सड़क पर आ पहुँचे। वहां गाड़ी के बहुत से निशान थे। उस विशेष लीक की पहचान न हो सकती थी। घोड़े के टाप भी एक झाड़ी की तरफ जाकर गायब हो गए। आशा का सहारा टूट गया। दोपहर हो गई थी। दोनों धूप के मारे बेचैन और निराशा से पागल हो रहे थे। वहीं एक वृक्ष की छाया में बैठ गए। देवकी विलाप करने लगी। जादोराय ने उसे समझाना शुरू किया।

जब जरा धूप की तेजी कम हुई, तो दोनों फिर आगे चले। किन्तु अब आशा की जगह निराशा साथ थी, घोड़े के टापों के साथ उम्मीद का धुंधला निशान गायब हो गया था।
शाम हो गई। इधर-उधर गायों, बैलों के झुण्ड निर्जीव से पड़े दिखाई देते थे। यह दोनों दुखिया हिम्मत हारकर एक पेड़ के नीचे टिक रहे। उसी वृक्ष पर मैने का एक जोड़ा बसेरा लिये हुए था। उनका नन्हा-सा शावक आज ही एक शिकारी के चंगुल में फँस गया था। दोनों दिन-भर उसे खोजते फिरे। इस समय निराश होकर बैठ रहे। देवकी और जादो को अभी तक आशा की झलक दिखाई देती थी। इसी लिए वे बेचैन थे।

तीन दिन तक ये दोनों अपने खोए हुए लाल की तलाश करते रहे। दाने से भेंट नहीं; प्यास से बेचैन होते दो-चार घूँट पानी गले के नीचे उतार लेते।
आशा की जगह निराशा का सहारा था। दुख और करुणा के सिवाय और कोई वस्तु नहीं। किसी बच्चे के पैर के निशान देखते, तो उनके दिलों में आशा तथा भय की लहरें उठने लगतीं थी।
लेकिन प्रत्येक पग उन्हें अभीष्ट स्थान से दूर लिये जाता था।

इस घटना को हुए चौदह वर्ष बीत गए। इन चौदह वर्षों में सारी काया पलट गई। चारों ओर रामराज्य दिखाई देने लगा। इंद्रदेव ने कभी उस तरह अपनी निर्दयता न दिखाई और न जमीन ने ही। उमड़ी हुई नदियों की तरह अनाज से ढेकियाँ भरी चलीं। उजड़े हुए गाँव बस गए। मजदूर किसान बन बैठे और किसान जायदाद का तलाश में दौड़ने लगे। वही चैत के दिन थे। खलियानों में अनाज के पहाड़ खड़े थे। भाट और भिखमंगे किसानों की बढ़ती के तराने गा रहे थे। सुनारों के दरवाजे पर सारे दिन और आधी रात तक गाहकों का जमघट लगा रहता था। दरजी को सिर उठाने की फुरसत न थी। इधर-उधर दरवाजों पर घोड़े हिनहिना रहे थे। देवी के पुजारियों को अजीर्ण हो रहा था।

जादोराय के दिन भी फिरे। घर पर छप्पर की जगह खपरैल हो गया है। दरवाजे पर अच्छे बैलों की जोड़ी बँधी हुई है। वह अब अपनी बहली पर सवार होकर बाजार जाया करता है। उसका बदन अब उतना सुडौल नहीं है। पेट पर इस सुदशा का विशेष प्रभाव पड़ा है और बाल भी सफेद हो चले हैं। देवकी की गिनती भी गाँव की बूढी औरतों में होने लगी है। व्यावहारिक बातों में उसकी बड़ी पूछ हुआ करती है। जब वह किसी पड़ोसिन के घर जाती है, तो वहाँ की बहुएँ भय के मारे थरथराने लगती हैं। उसके कटु वाक्य और तीव्र आलोचना की सारे गाँव में धाक बँधी हुई है। महीन कपड़े अब उसे अच्छे नहीं लगते लेकिन गहनों के बारे में वह उतनी उदासीन नहीं है।
उनके लिए जीवन का दूसरा भाग इससे कम उज्जवल नहीं है। उनकी दो संतानें हैं। लड़का माधोसिंह अब खेतीबारी के काम में बाप की मदद करता है। लड़की का नाम शिवगौरी है। वह भी माँ को चक्की पीसने में सहायता दिया करती है और खूब गाती है। बर्तन धोना उसे पसंद नहीं लेकिन चौका लगाने में निपुण है। गुड़ियों के ब्याह करने से उसका जी कभी नहीं भरता। आये दिन गुड़ियों के विवाह होते रहते हैं। हाँ, इनमें किफायत का पूरा ध्यान रहता है। खोए हुए साधो की याद अभी बाकी है। उसकी चर्चा नित्य हुआ करती है और कभी बिना रुलाय नहीं रहती। देवकी कभी-कभी सारे दिन उस लाड़ले बेटे की सुध में अधीर रहा करती है।
साँझ हो गई थी। बैल दिन-भर के थके-माँदे सिर झुकाए चले आते थे। पुजारी ने ठाकुरद्वारे में घंटा बजाना शुरू किया।

आजकल फसल के दिन है। रोज पूजा होती है। जादोराय खाट पर बैठे नारियल पी रहे थे। शिवगौरी रास्ते में खड़ी उन बैलों को कोस रही थी, जो उसके भूमिस्थ विशाल भवन का निरादर करके उसे रौंदते चले जाते थे। घड़ियाल और घंटे की आवाज सुनते ही जादोराय भगवान का चरणामृत लेने के लिए उठे ही थे कि उन्हें अकस्मात् एक नवयुवक दिखाई पड़ा, जो भूंकते हुए कुत्तों को दुतकारता, बाईसिकल को आगे बढ़ाता हुआ चला आ रहा था। उसने उनके चरणों पर अपना सिर रख दिया। जादोराय ने गौर से देखा और तब दोनों एक दूसरे से लिपट गए। माधो भौंचक होकर बाईसिकल को देखने लगा। शिवगौरी रोती हुई घर में भागी और देवकी से बोली- दादा को साहब ने पकड़ लिया है। देवकी घबरायी हुई बाहर आयी। साधो उसे देखते ही उसके पैरों पर गिर प़डा। देवकी से छाती से लगाकर रोने लगी। गाँव के मर्द, औरतें और बच्चे सब जमा हो गए। मेला-सा लग गया।


साधो ने अपने माता-पिता से कहा- मुझ अभागे से जो कुछ अपराध हुआ हो, उसे क्षमा कीजिए। मैंने अपनी नादानी से स्वयं बहुत कष्ट उठाए और आप लोगों को भी दुःख दिया, लेकिन अब मुझे अपनी गोद में लीजिए।
देवकी ने रोकर कहा- जब हमको छोड़कर भागे थे, तो हम लोग तुम्हें तीन दिन तक बे-दाना-पानी के ढूँढ़ते रहे, पर जब निराश हो गए, तब अपने भाग्य को रोकर बैठ रहे। तब से आज तक कोई ऐसा दिन न गया कि तुम्हारी सुधि न आयी हो। रोते-रोते एक युग बीत गया; अब तुमने खबर ली है। बताओ बेटा ! उस दिन तुम कैसे भागे और कहां जाकर रहे ?
साधो ने लज्जित होकर उत्तर दिया-माताजी, अपना हाल क्या कहूँ ! मैं पहर रात रहे, आपके पास से उठकर भागा। पादरी साहब के पड़ाव का पता शाम ही को पूछ लिया था। बस पूछता हुआ उनके पास दोपहर को पहुँच गया। साहब ने मुझे पहले समझाया कि अपने घर लौट जाओ, लेकिन जब मैं किसी तरह राजी न हुआ, तो उन्होंने मुझे पूना भेज दिया। मेरी तरह वहाँ सैकड़ों लड़के थे। वहाँ बिस्कुट और नारंगियों का भला क्या जिक्र ! जब मुझे आप लोगों की याद आती, मैं अक्सर रोया करता। मगर बचपन की उम्र थी, धीरे-धीरे उन्हीं लोगों से हिल-मिल गया। हाँ, जब से कुछ होश हुआ है और अपना-पराया समझने लगा हूँ, तब से अपनी नादानी पर हाथ मलता रहा हूँ। रात-दिन आप लोगों की रट लगी हुई थी। आज आप लोगों के आशीर्वाद से यह शुभ दिन देखने को को मिला। दूसरों में बहुत दिन काटे, बहुत दिनों तक अनाथ रहा। अब मुझे अपनी सेवा में रखिए। मुझे अपनी गोद में लीजिए। मैं प्रेम का भूखा हूँ। बरसों से मुझे जो सौभाग्य नहीं मिला, वह अब दीजिए।

गाँव के बहुत से बुढ्ढे जमा थे। उनमें से जगतसिंह बोले- तो क्यों बेटा ? तुम इतने दिनों तक पादरियों के साथ रहे ? उन्होंने तुमको भी पादरी बना लिया होगा ?
साधो ने सिर झुकाकर कहा—जी हाँ, यह तो उनका दस्तूर है। जगतसिंह ने जादोराय की तरफ देखकर कहा यह बड़ी कठिन बात है। साधो बोला- बिरादरी मुझे जो प्रायश्चित बतलाएगी, मैं उसे करूँगा। मुझसे जो कुछ बिरादरी का अपराध हुआ है, नादानी से हुआ है लेकिन मैं उसका दण्ड भोगने के लिए तैयार हूँ।
जगतसिंह ने फिर जादोराय की तरफ कनखियों से देखा और गंभीरता से बोले- हिन्दू धर्म में ऐसा कभी नहीं हुआ है। यों तुम्हारे माँ-बाप तुम्हें अपने घर में रख लें, तुम उनके लड़के हो, मगर बिरादरी कभी इस काम में शरीक न होगी। बोलो जादोराय! क्या कहते हो, कुछ तुम्हारे मन की भी तो सुन लें ?
जादोराय बड़ी दुविधा में था। एक ओर तो अपने प्यारे बेटे की प्रीति थी, दूसरी ओर बिरादरी का भय मारे डालता था। जिस लड़के के लिए रोते-रोते आँखें फूट गईं, आज वही सामने खड़ा आँखों में आँसू भरे कहता है, पिताजी ! मुझे अपनी गोद में लीजिए; और मैं पत्थर की तरह अचल खड़ा हूँ। शोक ! इन निर्दयी भाइयों को किस तरह समझाऊँ, क्या करूँ, क्या न करूँ ?
लेकिन मां की ममता उमड़ आयी। देवकी से न रहा गया। उसने अधीर होकर कहा- मैं अपने घर में रखूँगी और कलेजे से लगाऊँगी। इतने दिनों के बाद मैंने उसे पाया है, अब उसे नहीं छोड़ सकती।
जगतसिंह रुष्ट होकर बोले- चाहे बिरादरी छूट ही क्यों न जाए ?
देवकी ने भी गरम होकर जवाब दिया- हाँ चाहे बिरादरी छूट जाए। लड़के–वालों ही के लिए आदमी बिरादरी की आड़ पकड़ता है। जब लड़का न रहा, तो भला बिरादरी किस काम आएगी ?
इस पर कई ठाकुर लाल-लाल आँखें निकालकर बोले –ठाकुराइन ! ठकुराइन बिरादरी की तो खूब मर्यादा करती हो। लड़का चाहे किसी रास्ते पर जाए, लेकिन बिरादरी चूं तक न करे ? ऐसी बिरादरी कहीं होगी ! हम साफ-साफ कहे देते हैं कि अगर यह लड़का तुम्हारे घर में रहा, तो बिरादरी भी बता देगी कि वह क्या कर सकती है।

जगतसिंह कभी-कभी जादोराय से रुपये उधार लिया करते थे। मधुर स्वर से बोले- भाभी ! बिरादरी यह थोड़े ही कहती है कि तुम लड़के को घर से निकाल दो। लड़का इतने दिनों के बाद घर आया है तो हमारे सिर आँखों पर रहे बस, जरा खाने–पीने और छूत-छात का बचाव बना रहना चाहिए। बोलो जादो भाई ! अब बिरादरी को कहां तक दबाना चाहते हो ?

जादोराय ने साधो की तरफ करुणा भरे नेत्रों से देखकर कहा-बेटा, जहाँ तुमने हमारे साथ इतना सलूक किया है, वहाँ जगत भाई की इतनी कहा और मान लो !
साधो ने कुछ तीक्ष्ण शब्दों में कहा- क्या मान लूँ ? यह कि अपनों में गैर बनकर रहूँ, अपमान सहूँ; मिट्टी का घड़ा भी मेरे छूने से अशुद्ध हो जाय ! न, यह मेरा किया न होगा, इतनी निर्लज्ज नहीं !
जादोराय को पुत्र की यह कठोरता अप्रिय मालूम हुई। वे चाहते थे कि इस वक्त बिरादरी के लोग जमा हैं, उनके सामने किसी तरह समझौता हो जाय, फिर कौन देखता है कि हम उसे किस तरह रखते हैं ? चिढ़कर बोले- इतनी बात तो तुम्हें माननी ही पड़ेगी।
साधोराय इस रहस्य को न समझ सका। बाप की इस बात में उसे निष्ठुरता की झलक दिखाई पड़ी। बोला- मैं आपका लड़का हूँ। आपके लड़के की तरह रहूँगा। आपके भक्ति और प्रेम की प्रेरणा मुझे यहाँ तक लायी है। मैं अपने घर में रहने आया हूँ अगर यह नहीं है तो इसके सिवा मेरे लिए इसके और कोई उपाय नहीं है कि जितनी जल्दी हो सके, यहाँ से भाग जाऊँ। जिनका खून सफेद है, उनके बीच में रहना व्यर्थ है।
देवकी ने रोकर कहा- लल्लू मैं अब तुम्हें न जाने दूँगी।
साधो की आँखें भर आयीं, पर मुस्कराकर बोला- मैं तो तुम्हारी थाली में खाऊँगा।
देवकी ने उसे ममता और प्रेम की दृष्टि से देखकर कहा- मैंने तो तुझे छाती से दूध पिलाया है, तू मेरी थाली में खायगा तो क्या ? मेरा बेटा ही तो है, कोई और तो नहीं हो गया !
साधो इन बातों को सुनकर मतवाला हो गया। इनमें कितना स्नेह कितना अपनापन था। बोला- माँ, आया तो मैं इसी इरादे से था कि अब कहीं न जाऊँगा, लेकिन बिरादरी ने मेरे कारण यदि तुम्हें जातिच्युत कर दिया, तो मुझसे न सका जायगा। मुझसे इन गँवारों का कोरा अभिमान न देखा जाएगा। इसलिए। इस वक्त मुझे जाने दो। जब मुझे अवसर मिला करेगा तो तुम्हें देख जाया करूंगा। तुम्हारा प्रेम मेरे चित्त से नहीं जा सकता। लेकिन यह असम्भव है कि मैं इस घर में रहूँ और अलग खाना खाऊँ, अलग बैठूँ। इसके लिए मुझे क्षमा करना।

देवकी घर में से पानी लायी । साधो मुँह धोने लगा। शिवगौरी ने माँ का इशारा पाया, तो डरते-डरते साधो के पास गयी, साधो को आदरपूर्वक दंडवत की। साधो ने पहले उन दोनों को आश्चर्य से देखा, फिर अपनी माँ को मुस्कराते देख समझ गया। दोनों लड़को को छाती से लगा लिया और तीनों भाई-बहिन प्रेम से हँसने-खेलने लगे। मां खड़ी यह दृश्य देखती थी और उमंग से फूली न समाती थी।
जलपान करके साधो ने बाईसिकल सँभाली और माँ-बाप के सामने सिर झुकाकर चल खड़ा हुआ- वहीं, जहाँ से तंग होकर आया था; उसी क्षेत्र में,जहाँ अपना कोई न था।
देवकी फूट-फूटकर रो रही थी और जादोराय आँखों में आँसू भरे, हृदय में एक ऐंठन-सी अनुभव करता हुआ सोचता था, हाय ! मेरे लाल, तू मुझसे अलग हुआ जाता है। ऐसा योग्य और होनहार लड़का हाथ से निकला जाता है और केवल इसलिए कि अब हमारा खून सफेद हो गया।




 















 

 

 






गुप्त धन मुंशी प्रेम चंद की कहानी


















 


गुप्त धन मुंशी प्रेम चंद


बाबू हरिदास का ईंटों का पजावा शहर से मिला हुआ था। आसपास के देहातों से सैकड़ों स्त्री-पुरुष, लड़के नित्य आते और पजावे से ईंट सिर पर उठा कर ऊपर कतारों से सजाते। एक आदमी पजावे के पास एक टोकरी में कौड़ियाँ लिए बैठा रहता था। मजदूरों को ईंटों की संख्या के हिसाब से कौड़ियाँ बाँटता। ईंटें जितनी ही ज्यादा होतीं उतनी ही ज्यादा कौड़ियाँ मिलतीं। इस लोभ में बहुत से मजदूर बूते के बाहर काम करते। वृद्धों और बालकों को ईंटों के बोझ से अकड़े हुए देखना बहुत करुणाजनक दृश्य था। कभी-कभी बाबू हरिदास स्वंय आ कर कौड़ीवाले के पास बैठ जाते और ईंटें लादने को प्रोत्साहित करते। यह दृश्य तब और भी दारुण हो जाता था जब ईंटों की कोई असाधारण आवश्यकता आ पड़ती। उसमें मजूरी दूनी कर दी जाती और मजूर लोग अपनी सामर्थ्य से दूनी ईंटें ले कर चलते। एक-एक पग उठाना कठिन हो जाता। उन्हें सिर से पैर तक पसीने में डूबे पजावे की राख चढ़ाये ईंटों का एक पहाड़ सिर पर रखे, बोझ से दबे देख कर ऐसा जान पड़ता था मानो लोभ का भूत उन्हें जमीन पर पटक कर उनके सिर पर सवार हो गया है। सबसे करुण दशा एक छोटे लड़के की थी जो सदैव अपनी अवस्था के लड़कों से दुगनी ईंटें उठाता और सारे दिन अविश्रांत परिश्रम और धैर्य के साथ अपने काम में लगा रहता। उसके मुख पर ऐसी दीनता छायी रहती थी, उसका शरीर इतना कृश और दुर्बल था कि उसे देख कर दया आ जाती थी। और लड़के बनिये की दूकान से गुड़ ला कर खाते, कोई सड़क पर जानेवाले इक्कों और हवागाड़ियों की बहार देखता और कोई व्यक्तिगत संग्राम में अपनी जिह्वा और बाहु के जौहर दिखाता, लेकिन इस गरीब लड़के को अपने काम से काम था। उसमें लड़कपन की न चंचलता थी, न शरारत, न खिलाड़ीपन, यहाँ तक कि उसके ओंठों पर कभी हँसी भी न आती थी। बाबू हरिदास को उसकी दशा पर दया आती। कभी-कभी कौड़ीवाले को इशारा करते कि उसे हिसाब से अधिक कौड़ियाँ दे दो। कभी-कभी वे उसे कुछ खाने को दे देते।
एक दिन उन्होंने उस लड़के को बुला कर अपने पास बैठाया और उसके समाचार पूछने लगे। ज्ञात हुआ कि उसका घर पास ही के गाँव में है। घर में एक वृद्धा माता के सिवा कोई नहीं है और वह वृद्धा भी किसी पुराने रोग से ग्रस्त रहती है। घर का सारा भार इसी लड़के के सिर था। कोई उसे रोटियाँ बना कर देने वाला भी न था। शाम को जाता तो अपने हाथों से रोटियाँ बनाता और अपनी माँ को खिलाता था। जाति का ठाकुर था। किसी समय उसका कुल धन-धान्य सम्पन्न था। लेन-देन होता था और शक्कर का कारखाना चलता था। कुछ जमीन भी थी किन्तु भाइयों की स्पर्धा और विद्वेष ने उसे इतनी हीनावस्था को पहुँचा दिया कि अब रोटियों के लाले थे। लड़के का नाम मगनसिंह था।
हरिदास ने पूछा- गाँववाले तुम्हारी कुछ मदद नहीं करते?
मगन- वाह, उनका वश चले तो मुझे मार डालें। सब समझते हैं कि मेरे घर में रुपये गड़े हैं।
हरिदास ने उत्सुकता से पूछा- पुराना घराना है, कुछ-न-कुछ तो होगा ही। तुम्हारी माँ ने इस विषय में तुमसे कुछ नहीं कहा ?
मगन- बाबूजी नहीं, एक पैसा भी नहीं। रुपये होते तो अम्माँ इतनी तकलीफ क्यों उठातीं।

बाबू हरिदास मगनसिंह से इतने प्रसन्न हुए कि मजूरों की श्रेणी से उठा कर अपने नौकरों में रख लिया। उसे कौड़ियाँ बाँटने का काम दिया और पजावे में मुंशी जी को ताकीद कर दी कि इसे कुछ पढ़ना-लिखना सिखाइए। अनाथ के भाग्य जाग उठे।
मगनसिंह बड़ा कर्त्तव्यशील और चतुर लड़का था। उसे कभी देर न होती, कभी नागा न होता। थोड़े ही दिनों में उसने बाबू साहब का विश्वास प्राप्त कर लिया। लिखने-पढ़ने में भी कुशल हो गया।
बरसात के दिन थे। पजावे में पानी भरा हुआ था। कारबार बंद था। मगनसिंह तीन दिनों से गैरहाजिर था। हरिदास को चिंता हुई, क्या बात है, कहीं बीमार तो नहीं हो गया, कोई दुर्घटना तो नहीं हो गयी ? कई आदमियों से पूछताछ की, पर कुछ पता न चला ! चौथे दिन पूछते-पूछते मगनसिंह के घर पहुँचे। घर क्या था पुरानी समृद्धि का ध्वंसावशेष मात्र था। उनकी आवाज सुनते ही मगनसिंह बाहर निकल आया। हरिदास ने पूछा- कई दिन से आये क्यों नहीं, माता का क्या हाल है ?
मगनसिंह ने अवरुद्ध कंठ से उत्तर दिया- अम्माँ आजकल बहुत बीमार है, कहती है अब न बचूँगी। कई बार आपको बुलाने के लिए मुझसे कह चुकी है, पर मैं संकोच के मारे आपके पास न आता था। अब आप सौभाग्य से आ गये हैं तो जरा चल कर उसे देख लीजिए। उसकी लालसा भी पूरी हो जाय।
हरिदास भीतर गये। सारा घर भौतिक निस्सारता का परिचायक था। सुर्खी, कंकड़, ईंटों के ढेर चारों ओर पड़े हुए थे। विनाश का प्रत्यक्ष स्वरूप था। केवल दो कोठरियाँ गुजर करने लायक थीं। मगनसिंह ने एक कोठरी की ओर उन्हें इशारे से बताया। हरिदास भीतर गये तो देखा कि वृद्धा एक सड़े हुए काठ के टुकड़े पर पड़ी कराह रही है।
उनकी आहट पाते ही आँखें खोलीं और अनुमान से पहचान गयी, बोली- आप आ गये, बड़ी दया की। आपके दर्शनों की बड़ी अभिलाषा थी, मेरे अनाथ बालक के नाथ अब आप ही हैं। जैसे आपने अब तक उसकी रक्षा की है, वह निगाह उस पर सदैव बनाये रखिएगा। मेरी विपित्त के दिन पूरे हो गये। इस मिट्टी को पार लगा दीजिएगा। एक दिन घर में लक्ष्मी का वास था। अदिन आये तो उन्होंने भी आँखे फेर लीं। पुरखों ने इसी दिन के लिए कुछ थाती धरती माता को सौंप दी थी। उसका बीजक बड़े यत्न से रखा था; पर बहुत दिनों से उसका कहीं पता न लगता था। मगन के पिता ने बहुत खोजा पर न पा सके, नहीं तो हमारी दशा इतनी हीन न होती। आज तीन दिन हुए मुझे वह बीजक आप ही आप रद्दी कागजों में मिल गया। तब से उसे छिपा कर रखे हुए हूँ, मगन बाहर है। मेरे सिरहाने जो संदूक रखी है, उसी में वह बीजक है। उसमें सब बातें लिखी हैं। उसी से ठिकाने का भी पता चलेगा। अवसर मिले तो उसे खुदवा डालिएगा। मगन को दे दीजिएगा। यही कहने के लिए आपको बार-बार बुलवाती थी। आपके सिवा मुझे किसी पर विश्वास न था। संसार से धर्म उठ गया। किसकी नीयत पर भरोसा किया जाय।

हरिदास ने बीजक का समाचार किसी से न कहा। नीयत बिगड़ गयी। दूध में मक्खी पड़ गयी। बीजक से ज्ञात हुआ कि धन उस घर से 500 डग पश्चिम की ओर एक मंदिर के चबूतरे के नीचे है।
हरिदास धन को भोगना चाहते थे, पर इस तरह कि किसी को कानों-कान खबर न हो। काम कष्ट-साध्य था। नाम पर धब्बा लगने की प्रबल आशंका थी जो संसार में सबसे बड़ी यंत्रणा है। कितनी घोर नीचता थी। जिस अनाथ की रक्षा की, जिसे बच्चे की भाँति पाला, उसके साथ विश्वासघात ! कई दिनों तक आत्म-वेदना की पीड़ा सहते रहे। अंत में कुतर्कों ने विवेक को परास्त कर दिया। मैंने कभी धर्म का परित्याग नहीं किया और न कभी करूँगा। क्या कोई ऐसा प्राणी भी है जो जीवन में एक बार भी विचलित न हुआ हो। यदि है तो वह मनुष्य नहीं, देवता है। मैं मनुष्य हूँ। मुझे देवताओं की पंक्ति में बैठने का दावा नहीं है।
मन को समझाना बच्चे को फुसलाना है। हरिदास साँझ को सैर करने के लिए घर से निकल जाते। जब चारों ओर सन्नाटा छा जाता तो मंदिर के चबूतरे पर आ बैठते और एक कुदाली से उसे खोदते। दिन में दो-एक बार इधर-उधर ताक-झाँक करते कि कोई चबूतरे के पास खड़ा तो नहीं है। रात की निस्तब्धता में उन्हें अकेले बैठे ईंटों को हटाते हुए उतना ही भय होता था जितना किसी भ्रष्ट वैष्णव को आमिष भोजन से होता है।
चबूतरा लम्बा-चौड़ा था। उसे खोदते एक महीना लग गया और अभी आधी मंजिल भी तय न हुई। इन दिनों उनकी दशा उस पुरुष की-सी थी जो कोई मंत्र जगा रहा हो। चित्त पर चंचलता छायी रहती। आँखों की ज्योति तीव्र हो गयी थी। बहुत गुम-सुम रहते, मानो ध्यान में हों। किसी से बातचीत न करते, अगर कोई छेड़ कर बात करता तो झुँझला पड़ते। पजावे की ओर बहुत कम जाते। विचारशील पुरुष थे। आत्मा बार-बार इस कुटिल व्यापार से भागती, निश्चय करते कि अब चबूतरे की ओर न जाऊँगा, पर संध्या होते ही उन पर एक नशा-सा छा जाता, बुद्धि-विवेक का अपहरण हो जाता। जैसे कुत्ता मार खा कर थोड़ी देर के बाद टुकड़े की लालच में जा बैठता है, वही दशा उनकी थी। यहाँ तक कि दूसरा मास भी व्यतीत हुआ।
अमावस की रात थी। हरिदास मलिन हृदय में बैठी हुई कालिमा की भाँति चबूतरे पर बैठे हुए थे। आज चबूतरा खुद जायगा। जरा देर तक और मेहनत करनी पड़ेगी। कोई चिंता नहीं। घर में लोग चिंतित हो रहे होंगे। पर अभी निश्चित हुआ जाता है कि चबूतरे के नीचे क्या है। पत्थर का तहखाना निकल आया तो समझ जाऊँगा कि धन अवश्य होगा। तहखाना न मिले तो मालूम हो जायगा कि सब धोखा ही धोखा है। कहीं सचमुच तहखाना न मिले तो बड़ी दिल्लगी हो। मुफ्त में उल्लू बनूँ। पर नहीं, कुदाली खट-खट बोल रही है। हाँ, पत्थर की चट्टान है। उन्होंने टटोल कर देखा। भ्रम दूर हो गया। चट्टान थी। तहखाना मिल गया; लेकिन हरिदास खुशी से उछले-कूदे नहीं।
आज वे लौटे तो सिर में दर्द था। समझे थकान है। लेकिन यह थकान नींद से न गयी। रात को ही उन्हें ज़ोर से बुखार हो गया। तीन दिन तक ज्वर में पड़े रहे। किसी दवा से फायदा न हुआ।
इस रुग्णावस्था में हरिदास को बार-बार भ्रम होता था कहीं यह मेरी तृष्णा का दंड तो नहीं है। जी में आता था, मगनसिंह को बीजक दे दूँ और क्षमा की याचना करूँ; पर भंडाफोड़ होने का भय मुँह बंद कर देता था। न जाने ईसा के अनुयायी अपने पादरियों के सम्मुख कैसे अपने जीवन भर के पापों की कथा सुनाया करते थे।

हरिदास की मृत्यु के पीछे यह बीजक उनके सुपुत्र प्रभुदास के हाथ लगा। बीजक मगनसिंह के पुरखों का लिखा हुआ है, इसमें लेशमात्र भी संदेह न था। लेकिन उन्होंने सोचा पिताजी ने कुछ सोच कर ही इस मार्ग पर पग रखा होगा। वे कितने नीतिपरायण, कितने सत्यवादी पुरुष थे। उनकी नीयत पर कभी किसी को संदेह नहीं हुआ। जब उन्होंने इस आचार को घृणित नहीं समझा तो मेरी क्या गिनती है। कहीं यह धन हाथ आ जाय तो कितने सुख से जीवन व्यतीत हो। शहर के रईसों को दिखा दूँ कि धन का सदुपयोग क्योंकर होना चाहिए। बड़े-बड़ों का सिर नीचा कर दूँ। कोई आँखें न मिला सके। इरादा पक्का हो गया।
शाम होते ही वे घर से बाहर निकले। वही समय था, वही चौकन्नी आँखें थीं और वही तेज कुदाली थी। ऐसा ज्ञात होता था मानो हरिदास की आत्मा इस नये भेष में अपना काम कर रही है।
चबूतरे का धरातल पहले ही खुद चुका था। अब संगीन तहखाना था, जोड़ों को हटाना कठिन था। पुराने जमाने का पक्का मसाला था; कुल्हाड़ी उचट-उचट कर लौट आती थी। कई दिनों में ऊपर की दरारें खुलीं, लेकिन चट्टानें ज़रा भी न हिलीं। तब वह लोहे की छड़ से काम लेने लगे, लेकिन कई दिनों तक जोर लगाने पर भी चट्टानें न खिसकीं। सब कुछ अपने ही हाथों करना था। किसी से सहायता न मिल सकती थी। यहाँ तक कि फिर वही अमावस्या की रात आयी ! प्रभुदास को जोर लगाते बारह बज गये और चट्टानें भाग्यरेखाओं की भाँति अटल थीं।
पर, आज इस समस्या को हल करना आवश्यक था। कहीं तहखाने पर किसी की निगाह पड़ जाय तो मेरे मन की लालसा मन ही में रह जाय।
वह चट्टान पर बैठ कर सोचने लगे क्या करूँ, बुद्धि कुछ काम नहीं करती। सहसा उन्हें एक युक्ति सूझी, क्यों न बारूद से काम लूँ ? इतने अधीर हो रहे थे कि कल पर इस काम को न छोड़ सके। सीधे बाजार की तरफ चले, दो मील का रास्ता हवा की तरह तय किया। पर वहाँ पहुँचे तो दूकानें बन्द हो चुकी थीं। आतिशबाज हीले करने लगा। बारूद इस समय नहीं मिल सकती। सरकारी हुक्म नहीं है। तुम कौन हो ? इस वक्त बारूद ले कर क्या करोगे ? न भैया; कोई वारदात हो जाय तो मुफ्त में बँधा-बँधा फिरूँ, तुम्हें कौन पूछेगा ?
प्रभुदास की शांति-वृत्ति कभी इतनी कठिन परीक्षा में न पड़ी थी। वे अंत तक अनुनय-विनय ही करते रहे, यहाँ तक कि मुद्राओं की सुरीली झंकार ने उसे वशीभूत कर लिया। प्रभुदास यहाँ से चले तो धरती पर पाँव न पड़ते थे।
रात के दो बजे थे। प्रभुदास मंदिर के पास पहुँचे। चट्टानों की दराजों में बारूद रख पलीता लगा दिया और दूर भागे। एक क्षण में बड़े जोर का धमाका हुआ। चट्टान उड़ गयी। अँधेरा गार सामने था, मानो कोई पिशाच उन्हें निगल जाने के लिए मुँह खोले हुए है।

प्रभात का समय था। प्रभुदास अपने कमरे में लेटे हुए थे। सामने लोहे के संदूक में दस हजार पुरानी मुहरें रखी हुई थीं। उनकी माता सिरहाने बैठी पंखा झल रही थीं। प्रभुदास ज्वर की ज्वाला से जल रहे थे। करवटें बदलते थे, कराहते थे, हाथ-पाँव पटकते थे; पर आँखें लोहे के संदूक की ओर लगी हुई थीं। इसी में उनके जीवन की आशाएँ बन्द थीं।
मगनसिंह अब पजावे का मुंशी था। इसी घर में रहता था। आ कर बोला पजावे चलिएगा ? गाड़ी तैयार कराऊँ ?
प्रभुदास ने उसके मुख की ओर क्षमा-याचना की दृष्टि से देखा और बोले नहीं, मैं आज न चलूँगा, तबीयत अच्छी नहीं है। तुम भी मत जाओ।
मगनसिंह उनकी दशा देख कर डाक्टर को बुलाने चला।
दस बजते-बजते प्रभुदास का मुख पीला पड़ गया। आँखें लाल हो गयीं। माता ने उसकी ओर देखा तो शोक से विह्वल हो गयीं। बाबू हरिदास की अंतिम दशा उनकी आँखों में फिर गयी। जान पड़ता था, यह उसी शोक घटना की पुनरावृत्ति है ! यह देवताओं की मनौतियाँ मना रही थीं, किंतु प्रभुदास की आँखें उसी लोहे के संदूक की ओर लगी हुई थीं, जिस पर उन्होंने अपनी आत्मा अर्पण कर दी थी।
उनकी स्त्री आ कर उनके पैताने बैठ गयी और बिलख-बिलख कर रोने लगी। प्रभुदास की आँखों से भी आँसू बह रहे थे, पर वे आँखें उसी लोहे के संदूक की ओर निराशापूर्ण भाव से देख रही थीं।
डाक्टर ने आ कर देखा, दवा दी और चला गया, पर दवा का असर उल्टा हुआ। प्रभुदास के हाथ-पाँव सर्द हो गये, मुख निस्तेज हो गया, हृदय की गति मंद पड़ गयी, पर आँखें सन्दूक की ओर से न हटीं।
मुहल्ले के लोग जमा हो गये। पिता और पुत्र के स्वभाव और चरित्र पर टिप्पणियाँ होने लगीं। दोनों शील और विनय के पुतले थे। किसी को भूल कर भी कड़ी बात न कही। प्रभुदास का सम्पूर्ण शरीर ठंडा हो गया था। प्राण था तो केवल आँखों में। वे अब भी उसी लोहे के सन्दूक की ओर सतृष्ण भाव से देख रही थीं।
घर में कोहराम मचा हुआ था। दोनों महिलाएँ पछाड़ें खा-खा कर गिरती थीं। मुहल्ले की स्त्रियाँ उन्हें समझाती थीं। अन्य मित्रगण आँखों पर रूमाल जमाये हुए थे। जवानी की मौत संसार का सबसे करुण, सबसे अस्वाभाविक और भयंकर दृश्य है। यह वज्राघात है, विधाता की निर्दय लीला है। प्रभुदास का सारा शरीर प्राणहीन हो गया था, पर आँखें जीवित थीं। वे अब भी उसी संदूक की ओर लगी हुई थीं। जीवन ने तृष्णा का रूप धारण कर लिया था। साँस निकलती है, पर आस नहीं निकलती।
इतने में मगनसिंह आ कर खड़ा हो गया। प्रभुदास की निगाह उस पर पड़ी। ऐसा जान पड़ा मानो उनके शरीर में फिर रक्त का संचार हुआ। अंगों में स्फूर्ति के चिह्न दिखायी दिये। इशारे से अपने मुँह के निकट बुलाया, उसके कान में कुछ कहा, एक बार लोहे के सन्दूक की ओर इशारा किया और आँखें उलट गयीं, प्राण निकल गये।





फिल्म 'होटल मुम्बई' देश में 29 नवंबर को रिलीज होगी.

मुंबई: मुंबई हमले पर बनी हॉलीवुड फिल्म 'होटल मुम्बई' देश में 29 नवंबर को रिलीज होगी. इस फिल्म में दिग्गज एक्टर अनुपम खेर एक शेफ़ हेमंत ओबेरॉय के किरदार में नज़र आयेंगे. बता दें कि हमले के बाद हेमंत ओबेरॉय ने अपनी बहादुरी, हौसले और सूझबूस से ताज महल होटल में फंसे सैकड़ों मेहमानों और स्टाफ की जान बचायी थी.


फिल्म में हेमंत ओबेरॉय के किरदार के बारे में अनुपम खेर‌ ने एबीपी न्यूज़ के साथ विस्तार से बात की. उन्होंने बताया कि फिल्म में यह दिखाया गया है कि हमले के बाद हेमंत ने कैसे सूझबूझ का परिचय दिया. उन्होंने कहा हेमंत ओबेरॉय के पास होटल से भागने के कई मौके थे लेकिन वह अपने गेस्ट और स्टाफ को बचाने के लिए होटल में रुका हुआ था.


अनुपम‌ खेर ने हेमंत ओबेरॉय के हिम्मत और जांबाजी की खूब तारीफ की. बता दें कि इस फिल्म में 'स्लमडॉग ‌मिलेनियर' के एक्टर देव पटेल‌, अनुपम खेर, आर्मी हैमर, नाजनीन बोनादी अहम रोल में नजर आएंगे. फिल्म का निर्देशन एंथोनी मारस ने किया है. फिल्म में 26/11 के आतंकी हमले की दिल दहला देने वाली कहानी दिखाई जाएगी.


कांग्रेस देगी बहार से समर्थन, शिवसेना-NCP मिलकर बनाएगी सरकार,

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के बीच सोमवार को मुलाकात हुई जिसके बाद महाराष्‍ट्र में सरकार बनाने को लेकर अटकलें तेज हो गयीं हैं. मुलाकात के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में नयी तस्वीर सामने आने की बात पॉलिटिकल पंडित कर रहे हैं. इस मुलाकात को लेकर अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक खबर छापी है.


अखबार को एनसीपी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पार्टी शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा बन सकती है. इसके लिए एनसीपी स्पीकर पद चाहती है. एनसीपी की इच्छा है कि कांग्रेस इस गठबंधन को बाहर से समर्थन दे ताकि सरकार बनाने में दिक्कत न हो. हालांकि नेता ने आगे यह भी कहा है कि अभी कुछ साफ नहीं कहा जा सकता है. यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि शिवसेना और भाजपा का गठबंधन आगे बनता है या फिर दोनों अलग राह अपनाते हैं.


खबरों की मानें तो एनसीपी ने 1995 के सेना-भाजपा जैसा फॉर्म्युला सुझाया है जिसमें सेना का नेता मुख्‍यमंत्री था जबकि भाजपा के नेता को उपमुख्यमंत्री पद मिला था. यदि एनसीपी के सहयोग से सरकार बनी तो सेना का नेता सीएम हो सकता है और डेप्युटी सीएम एनसीपी के किसी नेता को चुना जा सकता है. यहां चर्चा कर दें कि भाजपा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 105 सीटों पर कब्जा जमाया है जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें अपने नाम की है.


अस्थाई जेलें असमाजिक तत्वों के लिए बनाई गई है

गौरतलब है कि अयोध्‍या बेहद संवेदनशील मामला है। ऐसे में उत्‍तर प्रदेश सरकार काफी सतर्कता बरत रही है। राज्‍य के असमाजिक तत्वों को रोकने के लिए अस्थाई जेलें बनाने का सिलसिला शुरू कर दिया गया है। प्रशासन और पुलिस ने इसके लिए अब तक 12 स्थान चिह्नित किए हैं। प्रशासन की मानें तो इनकी संख्‍या बढ़ाई भी जा सकती है। अस्थाई जेलों को सुप्रीम फैसले के सिक्योरिटी प्लान में शामिल किया गया है।


अयोध्या फैसले के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को किया अलर्ट

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले अयोध्या मामले के संभावित फैसले के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने की हिदायत दी है. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक सामान्य सलाह दी गई है. अधिकारी ने बताया कि राज्यों को सभी संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो.


अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने कानून व्यवस्था बनाए रखने में राज्य सरकार की सहायता के लिए उत्तर प्रदेश में अर्धसैनिक बलों की 40 कंपनियों (प्रत्येक में लगभग 100 कर्मी) को भी उतारा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने सभी मंत्रियों को अयोध्या फैसले के संबंध में अनावश्यक बयान देने से बचने के लिए भी कहा था.


गृह मंत्रालय ने बुधवार को योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार को अयोध्या में सभी सुरक्षा तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए आगाह किया था. अयोध्या को सुरक्षा तैयारियों के साथ किसी भी अप्रिय घटना को विफल करने के लिए एक किले की तरह बदल दिया जाएगा.


झारखंड में भी हाई अलर्ट जारी

झारखंड में भी हाई अलर्ट जारी


अयोध्या मामले में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले को लेकर पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी सर्तकता बरती जा रही है। यहां कई इलाकों के साथ-साथ पूर्वी सिंहभूम जिले में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। सुरक्षा के हर बिंदु पर विचार कर एसपी अनूप बिरथरे ने मातहतों को आवश्यक निर्देश दिये हैं। शहर के संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की तैनाती के इंतजाम किए गए हैं।


बताया गया है कि किसी भी चूक की गुंजाइश नहीं है। शहर में क्यूआरटी का मार्च होगा। लोगों को अलर्ट रहने और किसी तरह के अफवाह से बचने को कहा गया है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के कारण पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लगी है। दागियों के खिलाफ 107 की कार्रवाई की जा रही है। जो भी पुराने वारंटी हैं उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे है। संगीन अपराधियों को जिला प्रशासन की ओर से जिला बदर किया गया है।


अयोध्या फैसला: गृह मंत्रालय ने जारी किया हाई अलर्ट,

नई दिल्‍ली: आने वाले अयोध्या केस के संभावित फैसले की संवेदनशीलता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामान्‍य एडवाइजरी जारी कर सतर्क रहने के लिए कहा है। यह खबर गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से मिल रही है।


बता दें कि उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ अयोध्‍या मामले के संभावित फैसले को लेकर काफी सर्तक हैं। यहां अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिन नजदीक आने के कारण पुलिस और प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी हैं। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए जिले को तीन सेक्टर में बांटा जाएगा। सामान्य, संवेदनशील और अतिसंवेदनशील। इनके लिए क्षेत्र चिह्नित किए जा रहे हैं। सभी सेक्टर में पुलिस के साथ ही मजिस्ट्रेट भी तैनात रहेंगे। अयोध्या शहर की निगरानी इस समय ड्रोन से की जा रही है।


सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हुए क्रिया और प्रतिक्रिया न जाहिर करे साथ ही संयम और धैर्य बनाये रखे ।

जो फैसला सुनाया जाएगा उसे माननीय सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हुए क्रिया और प्रतिक्रिया न जाहिर करे साथ ही संयम और धैर्य बनाये रखे ।


प्रेम और सौहार्द का परिचय देने की सबसे कठिन परीक्षा है।
किसी भी अफवाह और भ्रामक जानकारी से बचें, सोशल मीडिया का उपयोग सजगता से करे और विवादित ,धार्मिक,साम्प्रदायिक, राजनैतिक या उन्माद फैलाने वाले संदेशो से खुद को दूर रखें । ऐसे संदेश आगे न बढ़ाए साथ ही दूसरों को भी ऐसी ही समझाइश दे।


ये देश आपका और हमारा सभी का है देश की एकता और अखंडता को बनाये रखना और मानवता धर्म का पालन करना हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य और दायित्व दोनों है।



आखिर सुलझ गया रहस्य, इस वजह से बरमूडा ट्राएंगल खो जाते हैं समुद्री जहाज और प्लेन!

बरमूडा ट्राएंगल का रहस्य सुलझ चुका है। यह पिछले कई सालों से लोगों के लिए मिस्ट्री बना हुआ था। बता दें कि यहां से गुजरने वाले ना जाने कितने ही समुद्री जहाज और प्लेन खो चुके हैं।

 

 

इसका कारण कोई नहीं जान पाया। लेकिन अब साइंटिस्ट्स ने काफी रिसर्च के बाद इस बात का दावा किया है कि उन्हें इन सबके पीछे का कारण पता चल चुका है।

 

 

साइंटिस्ट्स ने बरमूडा ट्राएंगल के आसपास के मौसम की काफी बारीकी से स्टडी में उन्हें ऐसी कई बातें पता चली, जिनके आधार पर वो इसकी मिस्ट्री सुलझाने का दावा कर रहे हैं।

 

 

अब तक कोई भी इस जगह से जिंदा लौट कर नहीं आ पाया। साइंटिस्ट्स की रिसर्च के मुताबिक, इस ट्राएंगल के ऊपर खतरनाक हवाएं चलती हैं। इन हवाओं की गति 170 मील प्रति घंटे रहती है। जब कोई जहाज इस हवा की चपेट में आता है, तो अपना संतुलन खो बैठता है। जिसके कारण उनका एक्सीडेंट हो जाता है। ये हवाएं इसके ऊपर बनने वाले बादलों के कारण चलती हैं।


इस ट्राएंगल के ऊपर 'killer clouds', यानी कि जानलेवा बादल छाए रहते हैं। इन बादलों को जानलेवा इस लिए कहा जाता है क्योंकि ये काफी घने होते हैं। इनके अंदर कई तूफान भी उठते हैं। जैसे ही इन बादलों के अंदर प्लेन जाता है, बैलेंस खो देता है, जिसकी वजह से ज्यादातर प्लेन्स में विस्फोट हो जाता है।

 

 

सेटेलाइट से देखने पर पता चलता है कि इस ट्राएंगल के वेस्टर्न साइड पर छाए बादलों का दायरा 20 से 55 मील तक का होता है। इनसे गुजरना वाकई खतरों भरा काम है।

 

 

सेटेलाइट से देखने पर भी इन बादलों की दिशा का अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल है। हवाओं के साथ ये किसी भी दिशा मुड़ सकते हैं। ऐसे में इनसे गुजरते हुए प्लेन को बैलेंस रख पाना वाकई चुनौती भरा काम है।

 

 

साइंटिस्ट्स का दावा है कि इस आइलैंड पर कई एयर बम हैं। इनकी वजह से यहां की हवाएं काफी तेज गति से चलती है। इस दौरान जो कुछ भी इनकी चपेट में आता है, उसमें विस्फोट हो जाता है।

 

 

कहा जाता है कि धरती के जिस हिस्से में बरमूडा ट्राएंगल स्थित है, वहां काफी तेज चुम्बकीय शक्ति मौजूद है। इसकी वजह से जो कुछ भी इसके नजदीक जाता है, वो तेजी से समुद्र के अंदर चला जाता है।


6 साल बाद साल 4 बच्चों को जन्म दिया महिला ने

लखनऊ, कहते हैं 'देने वाला जब भी देता है तो छप्पर फाड़कर देता ', कुछ ऐसी ही मिसाल गोंडा की एक महिला पर फिट बैठती है। शादी के छह साल बाद भी महिला को बच्चा नहीं हो रहा था। जिसकी वजह से वो काफी परेशान थी। वहीं जब वो प्रेग्नेंट हुई थी तो उसे उम्मीद नहीं थी कि उसे एक नहीं चार-चार बच्चे होंगे।


यूट्रस में सूजन का चल रहा था इलाज
गोंडा के कपूरपुर साईं तकिया निवासी रेहाना (25) की शादी साल 2013 में हुई थी। पति जियाउल हक मुंबई में प्राइवेट नौकरी करते हैं। बच्चे न होने पर गोंडा की एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से उपचार शुरू कराया गया। जियाउल के मुताबिक, जांच में पता चला कि रेहाना के यूट्रस (बच्चेदानी) में सूजन थी। उपचार के बाद रेहाना ने गर्भधारण किया। बुधवार को रेहाना को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उन्हें राजधानी के पुरनिया स्थित एक निजी अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा मिश्र, एनेस्थेटिस्ट डॉ. पुरुनेंद्र, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वैभव जैन आदि की टीम ने ऑपरेशन से प्रसव कराया। चारों बच्चे बड़े ऑपरेशन से जन्मे।


नेपाल और कनाडा भारत के सच्चे मित्र

कनाडा दुनिया का 5वां ऐसा शक्तिशाली देश है जो भारत की हर मुश्किल परिस्थिति में भारत की मदद करता है कनाडा को दुनिया का एक विकसित और शक्तिशाली देश माना जाता है कनाडा में ज्यादातर प्रवासी लोग निवास करते हैं। आपको कनाडा में ज्यादा भारतीय लोग देखने को मिल जाएंगे।


नेपाल को दुनिया का एक छोटा देश माना जाता है। भले ही नेपाल शक्तिशाली देश ना हो, लेकिन वह मनोबल बढ़ाने के लिए भारती हमेशा सहायता करता है। नेपाल और भारत का रिश्ता काफी ज्यादा मजबूत माना जाता है नेपाल दुनिया का एक छोटा और खूबसूरत देश है, जहां का लाखों लोग घूमने के लिए जाते हैं।


कांग्रेस के आरोप से महाराष्ट्र का सियासी माहौल गर्म

महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल शनिवार को समाप्त होने जा रहा है, लेकिन अभी तक इस राज्य में नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है। प्रदेश के प्रमुख दलों के बीच सरकार गठन को लेकर अभी तक सहमति नहीं बनी है


अब तो आने वाला समय ही बता पाएगा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होगा या नई सरकार का गठन होगा। इसी बीच कांग्रेस ने महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया है।


कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने ये आरोप लगाते हुए बताया कि महाराष्ट्र में विधायकों को पार्टी बदलने के लिए 50-50 करोड़ रुपए तक की पेशकश की जा रही है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस विधायकों से इसके लिए फोन पर संपर्क करने का प्रयास भी किया जा रहा है। कांग्रेस के इस आरोप के बाद अब महाराष्ट्र में सियासी माहौल और भी गरमा गया है।


बच्चों की मदद से आरोपितों तक पहुंची पुलिस

चार दिन से लापता तीन वर्षीय मासूम का शव शुक्रवार को बरामद करने के लिए पुलिस को बच्चों से महत्वपूर्ण टिप्स मिले थे। उसी के आधार पर पुलिस ने मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या करने के आरोपितों की गिरफ्तारी की और शव को नारायणबाग के समीप झाड़ियों से बरामद किया।


घर के बाहर खेल रही तीन वर्षीय बच्ची को लेकर पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तो बच्चों ने बताया कि मोहल्ले का एक युवक उसे अपने साथ लेकर गया था। बच्चों से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने युवक को पूछताछ के लिये गिरफ्तार कर लिया। युवक ने बच्ची के अपहरण कर दुष्कर्म कर हत्या की बात कबूल कर ली।


मासूम का शव पशु नोंच गये


झाड़ियों से बरामद मासूम का शव पूरा नहीं था, बल्कि उसके दो से तीन हिस्से थे। शरीर का कुछ हिस्सा गायब था। एसएसपी डॉ ओपी सिंह ने कहा कि शव जहां मिला है वहां जंगल है। बच्ची की 5 नवम्बर को हत्या कर दी गई। इसके बाद आरोपित शव छिपाकर भाग गये। उन्होंने कहा कि आवारा जानवर ने शव को नोंच लिया है।


पत्थर से कूंचकर की हत्या


क्षेत्राधिकारी शहर अभिषेक राहुल ने बताया कि आरोपितों ने मासूम की हत्या पत्थर से कूंचकर की थी। उन्होंने बताया कि मौके पर पत्थर के ऊपर खून पड़ा था, जबकि एक अन्य पत्थर पर भी खून के निशान थे। इससे सम्भावना जताई जा रही है कि आरोपितों ने पत्थर पर मासूम को रखकर ऊपर से पत्थर मारकर उसकी हत्या कर दी।


हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे थे. 5 एकड़ जमीन की खैरात की जरूरत नहीं है.,असदुद्दीन ओवैसी

एआईएमआईएम) प्रमुख सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर मस्जिद वहां पर रहती तो सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेती. यह कानून के खिलाफ है. बाबरी मस्जिद नहीं गिरती तो फैसला क्या आता है. हमें हिंदुस्तान के संविधान पर भरोसा है. हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे थे. 5 एकड़ जमीन की खैरात की जरूरत नहीं है. मुस्लिम गरीब हैं, लेकिन मस्जिद बनाने के लिए हम पैसा इकट्ठा कर सकते हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमें 5 एकड़ के ऑफर को खारिज कर देना चाहिए. ओवैसी ने आरोप लगाया कि ये मुल्क अब हिंदूराष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या से इसकी शुरुआत की है और एनआरसी, सिटिजन बिल से यह पूरा किया जाएगा.


सिक्किम के उच्च न्यायालय कर रहा है चतुर्थ श्रेणी पदों पर भर्ती

सिक्किम के उच्च न्यायालय ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कई पदों पर भर्ती के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए हैं। इनमें ड्राइवर, चपरासी, अर्दली, बावर्ची आदिपद शामिल हैं।


पद का नाम : अर्दली व चपरासी सहित तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कई पद।


कुल पदों की संख्या : चार


शैक्षणिक योग्यता : विभिन्न पदों के अनुसार किसी भी मान्यता प्राप्त शिक्षा संस्थान या शिक्षा बोर्ड से कक्षा पांच या आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की हो। ड्राइवर पद के उम्मीदवार के पास भारी वाहन चलाने में तीन साल का न्यूनतम अनुभव के साथ भारी वाहन चलाने का वैध लाइसेंस भी होना चाहिए।


आयु सीमा : 18 वर्ष से 40 वर्ष। ऊपरी आयु सीमा में आयु छूट सरकारी श्रेणी के अनुसार आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए स्वीकार्य होगी।


आवेदन व चयन प्रक्रिया : योग्य उम्मीदवार आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपना आवेदन गंगटोक स्थित सिक्किम के उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को भेजें।


ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि : 23 नवंबर 2019।


स्रोत : highcourtofsikkim.nic.in


हाउसफुल 4" की धुंआधार कॉमेडी ने दर्शकों के दिलों को जीत लिया

"हाउसफुल 4" की धुंआधार कॉमेडी ने दर्शकों के दिलों को जीत लिया है, नजीतन फ़िल्म का जादू अभी भी बॉक्स ऑफिस पर बरकरार रहा है। इतना ही नहीं, फिल्म की सफलता के साथ टिकट के दाम कम कर दिए गए है जिसने इस जश्न को दुगना कर दिया है।

निर्माताओं ने इस रोमांचक खबर को अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया है 


सफाईकर्मी, चौकीदार और माली की भर्तियों के लिए इंजीनियर, MBA डिग्री वालों ने किया आवेदन ,बिहार ग्रुप डी भर्ती 2019 :

 बिहार विधान परिषद् में निकली ग्रुप डी भर्तियों के लिए इंजीनियर और एमटेक डिग्री धारकों ने आवेदन किया है। जी हां। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार बिहार विधान परिषद् मे निकली सफाइकर्मियों, चौकीदार, माली, ड्राइवर, ऑफिस अटेंडेंट जैसे क्लास-4 के पदों पर निकली 136 वैकेंसी के लिए करीब 5 लाख आवेदन आए हैं, इनमें से ढेरों उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके पास बीटेक, एमबीए, पोस्ट ग्रेजुएशन, ग्रेजुएशन की डिग्रिया हैं। ये भर्तियां बिहार विधान परिषद ने सितंबर माह में निकाली थी। इन पदों के लिए 10वीं पास की योग्यता मांगी गई थी। अधिकारी के मुताबिक 18 से 37 वर्ष की आयु वर्ग के आवेदकों की तादाद ज्यादा है। 


क्लास 3 के 7 कैटेगरी के पदों के लिए भारी संख्या में आवेदन आए हैं। 125 पदों के लिए 2.75 आवेदन आए हैं। क्लास-2 की नौकरी के लिए उम्मीदवारों को दो स्तरीय परीक्षा देनी होगी। पहले प्रीलिमिनेरी एग्जाम होगा और फिर मेन्स।


सचिवालय प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ आवेदक ऐसे हैं जो बीपीएससी और सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षाएं भी दे रहे हैं। जॉब श्योरिटी के अलावा उन्हें अच्छी सैलरी भी यहां खींच रही है। यहां शुरुआती सैलरी 18000 से 56000 तक है। उन्होंने बताया कि इंटरव्यू चल रहे हैं और ये फरवरी 2020 तक चलेंगे। 


ऐतिहासिक फैसले के बाद बोले पीएम- दुनिया ने भारत के सदभाव को देखा

दशकों पुराने अयोध्या मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत विवादित भूमि रामलला के मंदिर के लिए हिंदू समुदाय को सौंप दी गई है जबकि मुस्लिम समुदाय को अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाएगी जिसपर मस्जिद का निर्माण किया जा सकेगा। बता दें कि इस फैसले के बाद जहां एक तरफ कई राजनीतक प्रतिक्रियाएं तेज हुई हैं वहीं अब पीएम नरेंद्र मोदी भी इसको लेकर देश को संबोधित कर रहे हैं।


एटीके-जमशेदपुर मुकाबले में

एटीके और जमेशदुपर की टीमें शनिवार को हीरो इंडियन सुपर लीग के छठे सीजन में विवेकानंद युवा भारती क्रीड़ांगन स्टेडियम में आमने-सामने होंगी तो सभी की नजरें दोनों टीमों के स्टार खिलाड़ियों पर रहेंगी।


 


दोनों टीमें शीर्ष-4 में हैं। जमशेदपुर तीन मैचों में सात अंकों के साथ तीसरे नंबर है जबकि दो बार की विजेता एटीके छह अंकों के साथ जमशेदपुर से एक स्थान नीचे है। एटीके को इस सीजन के पहले मैच में केरला ब्लास्टर्स से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इसके बाद टीम ने दमदार वापसी की और आईसीएल में अपनी दूसरी सबसे अच्छी शुरुआत हासिल की। जमशेदपुर अभी तक लीग में अजेय है। यह उनका आईएसएल का तीसरा सीजन है और यह उनकी अभी तक की सबसे अच्छी शुरुआत है।


एटीके ने अभी तक सिर्फ दो गोल खाए हैं जबकि उनका आक्रमण दमदार रहा है। एटीके के आक्रमण का नेतृत्व कर रहे डेविड विलियम्स ने अभी तक तीन गोल किए हैं। उन्हें रॉय कृष्णा से अच्छा साथ मिला है। एटीके ने अभी तक सात गोल किए हैं। टीम के कोच एंटोनियो हबास ने कहा, 'हमें अब हर टीम का सम्मान करना होगा। जमशेदपुर की टीम अच्छी है और उनका कोच भी अच्छा है। हमें उनके खिलाफ सावधानी से खेलना होगा। हम सिर्फ एक निश्चित खिलाड़ी को निशाना बनाकर नहीं उतर सकते।'


एटीके की सबसे बड़ी ताकत उसकी टीम में मौजूद लचीलापन है। हैदराबाद एफसी के खिलाफ 5-0 से जीत हासिल करने के बाद टीम ने चेन्नइयन एफसी के खिलाफ अपने डिफेंस की मजबूती का भी परिचय दिया।


आर्थिक वृद्धि का हवाला देकर भारत की रेटिंग घटाई

मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने भारत की रेटिंग पर अपना परिदृश्य बदलते हुए इसे स्थिर से नकारात्मक कर दिया है। एजेंसी ने कहा कि पहले के मुकाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका रही है। एजेंसी ने भारत के लिए ba2 विदेशी मुद्रा एवं स्थानीय मुद्रा रेटिंग की पुष्टि करी है जो कि दूसरे सबसे कम स्कोर है।


आपको बता दें कि रेटिंग एजेंसी में हाल ही में दिए अपने बयान में कहा है कि परिदृश्य को नकारात्मक करने का मूड इसका फैसला आर्थिक वृद्धि के मुकाबले काफी कम रहने के बढ़ते जोकिंग को दिखाता है। मुड़ इसके पूर्व अनुमान के मुकाबले बर्तनों की रेटिंग लंबे समय से चली आ रही आर्थिक एवं संस्थागत कमजोरी से निपटने में सरकार एवं नीति के प्रभाव को कम होते दिखाई देते हैं पुलिस अब जिसके कारण ही पहले ही उच्च स्तर पर कर्जा का बहुत धीरे-धीरे हो कि और बढ़ सकता है।


आपको बता दें कि उन्होंने आगे कहा है कि जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था समर्थन देने के लिए सरकारी उपायों से भारत की आर्थिक सुस्ती की गहराई और समय सीमा को काम करने की मदद मिलेगी वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों की धर्म समय तक व्यक्ति तनाव कमजोर रोजगार सृजन और थाली में गैर बैंक किसानों के बीच क्रिकेट की वजह से अधिक सुस्ती की संभावना की वृद्धि हुई है।


जनपद से सटीं मध्य प्रदेश की सीमाएं सील

अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पुलिस प्रशासन पूरे दम-खम के साथ शहर की सुरक्षा व्यवस्था में उतर आया है। मुख्यमंत्री की वीडियो कांफ्रेसिंग के बाद डीआईजी सुभाष सिंह बघेल ने बताया कि जनपद के सटी मध्य प्रदेश की सीमाओं को सील किया गया है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस लाइन में दंगा रिहर्सल कर एसएसपी डॉ ओ पी सिंह ने अधीनस्थों को सम्भवना पड़ने पर त्वरित एक्शन प्लान की बारीकियों के सम्बंध में समझाया।


अयोध्या प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर जनपद की पुलिस तैयार हो गई है। पिछले करीब एक माह से अपराधियों के खिलाफ पुलिस प्रशासन का अभियान व खुराफातियों पर कार्रवाई के साथ धार्मिक संगठनों के साथ बैठक कर अफसरों ने सुरक्षा का माहौल बनाना शुरू कर दिया था। शहरी क्षेत्र के ऐसे सभी इलाकों में पैदल गश्त कर पुलिसिंग का एहसास कराया। इधर क्षेत्रों में लगातार ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद पुलिस लाइन में दंगा रिहर्सल का आयोजन किया गया। एसएसपी डॉ ओ पी सिंह की मौजूदगी में अफसरो ने हर सम्भव स्थिती से निपटने के लिये तैयार कराया गया। सभी शस्त्रों आदि का परीक्षण किया गया। साथ ही दंगाईयों से निपटने के लिये एक्शन प्लॉन तैयार किया गया। इधर मुख्यमंत्री की वीडियों कांफ्रेसिंग में धार्मिक गुरुओं के साथ बैठक कर शहर में सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने के लिये जिला व पुलिस प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गये। डीआईजी सुभाष सिंह बघेल ने बताया किया कि सुरक्षा की दृष्टि से जनपद से सटी मध्य प्रदेश की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है। शाम के समय सिटी मजिस्ट्रेट व सीओ सिटी अभिषेक राहु़ल के नेतृत्व में शहर क्षेत्र में पैदल गश्त किया गया।


इंसेट


खुले में सोते नहीं मिले कोई, रैन बसेरा भेजो


सुरक्षा की दृष्टि से शहर के फुटपाथ, सड़क किनारे, प्लेटफार्म के अलावा खुले स्थान पर रात के समय कोई भी सोता नही मिलेगा। इसके लिये अफसरों को आदेश दिये गये हैं कि वह ऐसे सभी लोगों को रैन बसेरा में भेजे। आदेश के बाद भी यदि कोई खुले में सोता पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।


पार्किंग स्थलों की जांच


शहर के सभी पार्किंग स्थलों की जांच की जाएगी। पार्किंग स्टैण्ड में खड़े लावारिस वाहनों की जांच की जाएगी। इसके अलावा जो भी वाहन पार्किंग स्टैण्ड में लगाये जाएंगे, उनकी पूरी जांच के बाद भी प्रवेश दिया जाएगा। संदिग्ध वाहनों की सूचना पर पुलिस तत्काल कार्रवाई कर जब्तीकरण करेंगी। अफसरों को आदेश दिये गये है कि रेलवे स्टेशन पार्किंग स्थल व शहरी क्षेत्र के पार्किंग स्थलों पर विशेष निगाह रखी जाए।


धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ाई


शहर के सभी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। इसको लेकर सभी थानेदारों को आदेश दिये गये है। खुराफातियों व भ्रामण सूचनाओं से माहौल बिगाड़ने वालों को चिंहित कर कार्रवाई होगी। सोशल मीडिया पर भ्रामक व अफवाह फैलाने वालों की मॉनीटरिंग शुरू हो गई है।


रेलवे के स्टेशन पहुंचे अफसरों ने देखी व्यवस्थाएं


एसएसपी डॉ ओपी सिंह ने देर शाम रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया। इस मौके पर जीआरपी व आरपीएफ को विशेष निर्देश जारी किये। बताया कि किसी प्रकार की सूचना पर त्वरित कंट्रोल रूम का सहारा लें। अफसरों से सीधे बात कर जानकारी दें। हर सम्भव प्रयास करे कि यात्रियों को कोई समस्या न हो। इसके अलावा उन्होने टैक्सी व पार्किंग स्थलों को भी देखा।


सत्ते पे सत्ता रीमेक में अनुष्का शर्मा

आखिरी बार साल 2018 में बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा आनंद एल राय की फिल्म जीरो में शाहरुख खान और कैटरीना कैफ के साथ नजर आईं थी. अनुष्का शर्मा काफी लंबे समय से ब्रेक पर थी, और उन्होने कोई भी फिल्म साइन नहीं की थी. हाल ही में अनुष्का शर्मा अपने पति विराट कोहली के साथ छुट्टियां बिताती हुई नजर आईं थी, दोनो भूटान में वेकेशन एन्जॉय कर रहे थे. इस वेकेशन के दौरान की कुछ तस्वीरें अनुष्का शर्मा ने अपने इंस्टा स्टोरी पर उपलब्ध कराई है.


अगर आपकों नही पता तो बता दे कि अनुष्का शर्मा फराह खान की फिल्म सत्ते पे सत्ता के रिमेक में लीड रोल प्ले करती हुई नजर आएंगी. वैसे तो फराह खान ने अभी तक इस बारे में किसी भी तरह का कोई खुलासा नहीं किया है, लेकिन किसी भी बात से इंकार भी नहीं किया है. फराह खान ने कहा था कि वो जल्द ही अपने नए प्रोजक्ट के बारे में घोषणा करेंगी.


माना जा रहा है कि सत्ते पे तस्सा के रिमेक में अनुष्का शर्मा एक्टर ऋतिक रोशन के साथ रोमांस करती हुई नजर आने वाली हैं. ये पहला मौका होगा जब ऋतिक रोशन और अनुष्का शर्मा एक साथ स्क्रीन शेयर करते हुए नजर आएंगे. टॉइम्स ऑफ इंडिया के एक रिपोर्ट कि मानें तो उन्होने अनुष्का शर्मा के फिल्म में कैरेक्टर को लेकर एक बहुत ही मजेदार बात का खुलासा किया है.ऑरिजनल सत्ते पे सत्ता फिल्म में हेमा मालिनी ने नर्स की भूमिका निभाई थी, डायरेक्टर फराह खान ने सत्ते पे सत्ता के रिमेक में अनुष्का शर्मा के प्रोफेशन को बदल दिया है. रिपोर्ट के अनुसार ये माना जा रहा है कि सत्ते पे सत्ता रिमेक में अनुष्का शर्मा टीचर की भूमिका निभाती हुई नजर आएंगी.


भारत 2023 में लगातार दूसरे पुरुष हॉकी विश्व कप की मेजबानी करेगा

अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ (एफआईएच) ने शुक्रवार को यहां भारत को 2023 पुरूष हाकी विश्व कप की मेजबानी के लिये चुना जिससे देश लगातार दूसरी बार इस प्रतियोगिता का आयोजन करेगा। एफआईएच के अनुसार पुरूष हाकी विश्व कप भारत में 13 से 29 जनवरी तक खेला जायेगा। एफआईएच की साल की अंतिम बैठक शुक्रवार को हुई और इसके कार्यकारी बोर्ड ने यह फैसला किया। इसी बैठक में फैसला किया गया कि स्पेन और नीदरलैंड एक से 22 जुलाई तक आयोजित होने वाले 2022 महिला विश्व कप के सह मेजबान होंगे। 


 


पुरूष और महिला दोनों विश्व कप के स्थलों की घोषणा बाद में मेजबान देशों द्वारा की जायेगी। भारत इस तरह चार पुरूष हाकी विश्व कप का आयोजन करने वाला पहला देश बन गया। वह इससे पहले 1982 में मुंबई में, 2010 में नयी दिल्ली और 2018 में भुवनेश्वर में इस टूर्नामेंट का आयोजन कर चुका है। नीदरलैंड ने तीन पुरूष हाकी विश्व कप की मेजबानी की है। भारत 2023 में स्वतंत्रता के 75 साल पूरे करेगा इसलिये हाकी इंडिया इस मौके पर देश में इस खेल के विकास को दर्शाने के लिये विश्व कप की मेजबानी करना चाहता था। पुरूष विश्व कप के अगले चरण की मेजबानी के लिये भारत सहित तीन देशों (बेल्जियम और मलेशिया अन्य दो देश) ने दावेदारी पेश की थी। 


 


महिला विश्व कप के लिये पांच देशों - जर्मनी, स्पेन, नीदरलैंड, मलेशिया और न्यूजीलैंड - ने बोली लगायी थी। 2023 विश्व कप का प्रारूप पिछले चरण की तरह ही होगा। एफआईएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थिएरी वेल ने कहा कि खेल के विकास के अलावा टूर्नामेंट से मिलने वाले फायदे को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि एफआईएच को इन प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिये शानदार बोली प्राप्त हुई। फैसला करना मुश्किल था। एफआईएच का मुख्य लक्ष्य खेल का दुनिया भर में विकास करना है जिसके लिये निश्चित रूपसे निवेश की जरूरत है इसलिये प्रत्येक बोली में मिलने वाले लाभ ने फैसला करने में अहम भूमिका निभायी। 


 


विश्व कप के अलावा भारत ने हाल में कुछ बड़े हाकी टूर्नामेंट का आयोजन किया है जिसमें 2014 में एफआईएच चैम्पियंस ट्राफी, 2016 में जूनियर पुरूष विश्व कप, 2017 में एफआईएच हाकी विश्व लीग फाइनल, 2019 में एफआईएच पुरूष सीरीज फाइनल्स शामिल हैं और हाल में एफआईएच हाकी ओलंपिक क्वालीफायर का समापन हुआ है। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष मोहम्मद मुश्ताक अहमद ने कहा, ''हम खुश हैं कि हम 2023 पुरूष हाकी विश्व कप की मेजबानी की बोली जीतने में सफल रहे। जब हमने दावेदारी पेश की थी तो हम अपने देश को स्वतंत्रता के 75 साल का जश्न मनाने के लिये एक और कारण देना चाहते थे क्योंकि हमने अंतिम बार यह टूर्नामेंट 1975 में जीता था।


कर्नाटक ने उत्तराखंड को हराकर रचा इतिहास, बनाया नया भारतीय रिकॉर्ड

कर्नाटक ने शुक्रवार को यहां सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के ग्रुप ए मैच में उत्तराखंड को नौ विकेट से हराकर लगातार 15 वां टी20 मैच जीता और भारतीय रिकार्ड बनाया। सलामी बल्लेबाज रोहन कदम और देवदत्त पडीक्क्ल ने नाबाद अर्धशतकों की मदद से कर्नाटक ने 133 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत हासिल की।


कदम ने 55 गेंद में छह चौके और तीन छक्के से नाबाद 67 रन बनाये जबकि पडीक्क्ल ने नाबाद 53 रन बनाने के लिये 33 गेंदों का सामना किया। दोनों ने दूसरे विकेट के लिये नाबाद 108 रन बनाकर कर्नाटक को 15.4 ओवर में जीत दिलायी।


 


इससे पहले टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए उत्तराखंड की टीम छह विकेट पर 132 रन ही बना सकी, उसके लिये कप्तान तन्मय श्रीवास्तव 39 रन बनाकर शीर्ष स्कोरर रहे। इस जीत से कर्नाटक ने लगातार टी20 मैचों में जीत (15) का भारतीय रिकार्ड ही नहीं बनाया बल्कि वह विश्व स्तर की सूची में न्यूजीलैंड की ओटागो के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गयी। 


सियालकोट स्टालियंस ने 2006 से 2010 के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रीय टी20 कप में लगातार 25 मैचों में जीत हासिल की। ग्रुप के अन्य मैचों में गोवा ने बड़ौदा को चार विकेट से जबकि आंध्र प्रदेश ने बिहार को 10 विकेट से हराया।


आयकर छापे में एक कारोबारी के खिलाफ छापेमारी कर 9.55 करोड़ रुपये जब्त किये हैं.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने करचोरी के एक मामले में पुणे क्षेत्र में एक कारोबारी के खिलाफ छापेमारी कर 9.55 करोड़ रुपये जब्त किये हैं. आयकर छापे में यह अब तक की सबसे बड़ी नकदी की बरामदगी है. सीबीडीटी ने कहा कि यह कार्रवाई 4 नवंबर को की गयी. हालांकि, एजेंसी ने कारोबारी का नाम नहीं बताया. मगर बताया जा रहा है कि, कारोबारी निर्माण, ठेके तथा रियल एस्टेट से जुड़ा है.


सीबीडीटी ने एक बयान में कहा, ''खुफिया सूचनाएं मिली कि कारोबारी के पास उसके निवास स्थान पर भारी मात्रा में नकदी उपलब्ध है और जिसे जल्दी ही ठिकाने लगाया जा सकता है. इसके आधार पर तत्काल कार्रवाई करते हुए नकदी की उपलब्धता को लेकर जानकारियां जुटायी गयीं. इसके बाद कारोबारी के आवास और उसके कारोबारी परिसर की तलाशी के लिये एक वारंट जारी किया गया.”


सीबीडीटी ने कहा कि कारोबारी निर्माण, ठेके तथा रियल एस्टेट से जुड़े कारोबार में शामिल है. हालांकि उसका नाम बताने से इनकार किया गया है. बोर्ड ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान 9.55 करोड़ रुपये की बिना हिसाब किताब की नकदी को जब्त किया गया. आयकर विभाग द्वारा पुणे में यह अब तक की सबसे बड़ी नकदी की जब्ती हुई है. इस मामले में अभी जांच कार्य जारी है.


सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शनिवार को सुबह 10:30 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 5 जजों की संविधान पीठ सर्वसम्मति से फैसला सुना रही है। 45 मिनट तक पढ़े गए फैसले में सीजेआई ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाएं और इसकी योजना 3 महीने में तैयार करें। पीठ ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के वैकल्पिक जमीन मुहैया कराने के निर्देश भी दिए।


सीजेआई गोगोई ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम विवादित स्थान को जन्मस्थान मानते हैं, लेकिन आस्था से मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें



  • चीफ जस्टिस ने कहा- हम सर्वसम्मति से फैसला सुना रहे हैं। इस अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए।

  • चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा- मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। धर्मशास्त्र में प्रवेश करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा।

  • विवादित जमीन रेवेन्यू रिकॉर्ड में सरकारी जमीन के तौर पर चिह्नित थी।

  • राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है, जबकि भगवान राम न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं।

  • विवादित ढांचा इस्लामिक मूल का ढांचा नहीं था। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था।

  • ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था, इस तथ्य की पुष्टि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) कर चुका है। पुरातात्विक प्रमाणों को महज एक ओपिनियन करार दे देना एएसआई का अपमान होगा। हालांकि, एएसआई ने यह तथ्य स्थापित नहीं किया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई।

  • हिंदू इस स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं, यहां तक कि मुस्लिम भी विवादित जगह के बारे में यही कहते हैं। प्राचीन यात्रियों द्वारा लिखी किताबें और प्राचीन ग्रंथ इस बात को दर्शाते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है। ऐतिहासिक उद्धहरणों से भी संकेत मिलते हैं कि हिंदुओं की आस्था में अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है।

  • ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। हालांकि, मालिकाना हक को धर्म, आस्था के आधार पर स्थापित नहीं किया जा सकता। ये किसी विवाद पर निर्णय करने के संकेत हो सकते हैं।

  • यह सबूत मिले हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई पर हिंदू अंग्रेजों के जमाने से पहले भी पूजा करते थे। रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य बताते हैं कि विवादित जमीन का बाहरी हिस्सा हिंदुओं के अधीन था।

  • 1946 के फैजाबाद कोर्ट के आदेश को चुनौती देती शिया वक्फ बोर्ड की विशेष अनुमति याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया। शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे पर था। इसी को खारिज किया गया है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया। निर्मोही अखाड़े ने जन्मभूमि के प्रबंधन का अधिकार मांगा था। 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।


 


सहवाग बाेले,- रोहित के 1 ओवर में 3-4 छक्के लगाने जैसी निरंतरता विराट में भी नहीं है

 


रोहित शर्मा ने बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए दूसरे टी-20 मैच में शानदार 85 रनों की पारी खेल भारत को जीत दिलाई और तीन मैचों की सीरीज में 1-1 से बराबरी पर भी ला दिया। पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग इस पारी के बाद से रोहित की स्कोरिंग रेट के मुरीद हो गए हैं।


उन्होंने यहां तक कह दिया है कि जब तेजी से रन करने की बात आती है तो टीम के नियमित कप्तान विराट कोहली भी इस तरह की निरंतरता नहीं दिखा सकते, जिस तरह की रोहित दिखा रहे हैं। क्रिकबज ने सहवाग के हवाले से लिखा है, “एक ओवर में तीन-चार छक्के मारना और 45 गेंदों पर 80-90 रन बनाना एक कला है जो मैंने विराट में भी उतनी निरंतरता से नहीं देखी जितनी रोहित में है।”


 


सहवाग ने कहा, “सचिन हमेशा कहा करते थे कि जो मैं मैदान पर कर सकता हूं वो आप क्यों नहीं कर सकते? लेकिन उन्होंने इस बात को कभी नहीं समझा कि भगवान सिर्फ एक ही होता है और जो भगवान करता है वो कोई और नहीं कर सकता।”भारत और बांग्लादेश के बीच गुरुवार रात को खेले गया मैच रोहित के करियर का 100वां इंटरनेशनल मैच था। उन्होंने इस मैच में 43 गेंदों पर 85 रनों की पारी खेली। वह मैन ऑफ द मैच भी चुने गए। रोहित मैच के बाद चहल टीवी पर आए जहां भारत के ही लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल ने उनसे बात की। 


रोहित ने कहा, “मैंने जब लगातार तीन छक्के मारे तो मैं एक और मारने के लिए गया। लेकिन मैं चौथे पर चूक गया। मैंने फैसला किया कि मैं एक रन लूंगा। आपको बड़े छक्के मारने के लिए भारी भरकम शरीर नहीं चाहिए। आप (चहल) भी छक्के मार सकते हो। ताकत की जरूरत नहीं है, बल्कि आपको टाइमिंग की जरूरत है। गेंद को बल्ले के बीच में लगना चाहिए और आपका सिर स्थिर रहना चाहिए।”


रजनीकांत ने कहा कि कुछ लोग मुझे भगवा रंग में रंगना चाहते हैं.

रजनीकांत ने शुक्रवार को कहा कि कुछ लोग मुझे भगवा रंग में रंगना चाहते हैं. तमिल कवि तिरुवल्लुवर के भी भगवाकरण की कोशिश की गई. लेकिन सच्चाई यह है कि न तो तिरुवल्लुवर और न ही मैं उनके जाल में फसूंगा. अयोध्या मामले पर उन्होंने लोगों से कोर्ट के फैसले का सम्मान करने और शांति बनाए रखने की अपील की. बीते दिनों रजनीकांत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में बयान दिया था. इसके बाद से भाजपा खेमे से जोड़कर देखा जाने लगा.


फिल्म अभिनेता कमल हासन और रजनीकांत ने चेन्नई में शुक्रवार को राज कमल फिल्म्स इंटरनेशनल के नए कार्यालय में दिवंगत फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर की प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान रजनीकांत ने कहा कि तिरुवल्लुवर को भगवा चोला पहनाना भाजपा का एजेंडा है. कुछ लोग और मीडिया यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मैं भाजपा का आदमी हूं। यह सच नहीं है. साथ देने पर ई भी राजनीतिक दल खुश होगा, लेकिन फैसला लेना मेरे ऊपर है.


उधर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव के मुताबिक, हमने यह कभी नहीं कहा कि रजनीकांत पार्टी में शामिल हो रहे हैं या शामिल होना चाहते हैं. भाजपा को इन सब अटकलों में कोई दिलचस्पी नहीं है.


युवक की मौत जहर खाने की वजह से

मध्य प्रदेश  के आर्थिक  शहर इंदौर  मैं एमजी रोड थाने के सामने जहर खाने वाले युवक की मौत हो गई. ३० वर्षीय युवक अहीरखेड़ी निवासी सोनू बेरोजगारी से परेशान था. जहर खाने के बाद पुलिस उसे एमवाय अस्पताल इलाज हेतु ले गई लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.


अपील

माननीय सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हुए क्रिया और प्रतिक्रिया न जाहिर करे साथ ही संयम और धैर्य बनाये रखे ।


प्रेम और सौहार्द का परिचय देने की सबसे कठिन परीक्षा है।
किसी भी अफवाह और भ्रामक जानकारी से बचें, सोशल मीडिया का उपयोग सजगता से करे और विवादित ,धार्मिक,साम्प्रदायिक, राजनैतिक या उन्माद फैलाने वाले संदेशो से खुद को दूर रखें । ऐसे संदेश आगे न बढ़ाए साथ ही दूसरों को भी ऐसी ही समझाइश दे।


ये देश आपका और हमारा सभी का है देश की एकता और अखंडता को बनाये रखना और मानवता धर्म का पालन करना हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य और दायित्व दोनों है।


                          


                                               इरफ़ान अली


                                             अवाम का ख़त



करतारपुर गलियारा खुलने के साथ इतिहास का साक्षी बना पंजाब

पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब के गुरदासपुर जिला स्थित ऐतिहासिक शहर डेरा बाबा नानक शनिवार को इतिहास रचा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करतारपुर गलियारे का उद्घाटन करा। इस गलियारे के माध्यम से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने के लिए सिख तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना हुआ।

यह सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के 12 नवंबर को होने वाले 550वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर होने जा रहा है। यह अवसर 72 वर्षों के बाद आया है जब श्रद्धालु भारत से पाकिस्तान जाकर आसानी से करतारपुर साहिब में मत्था टेक सकेंगे। 

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी सुल्तानपुर लोधी शहर के बेर साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकेंगे। 

मनमोहन सिंह के अलावा प्रतिनिधिमंडल में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, आर. पी. एन. सिंह, रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा और जितिन प्रसाद शामिल होंगे। इसके अलावा पंजाब राज्य के सभी विधायक और सांसद भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे

तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए इस शहर में यूरोपीय शैली के कुल 544 टेंट और 100 स्विस कॉटेज तैयार की गई हैं। इसके अलावा दरबार शैली के 20 आवास भी ऐतिहासिक समारोह से पहले पूरी तरह तैयार कर दिए गए हैं। 

यहां मुख्य पंडाल में 30,000 तीर्थयात्रियों की क्षमता है। 11 नवंबर तक डेरा बाबा नानक उत्सव के दौरान यहां प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। 

'लंगर' हॉल को एक समय में 1,500 लोगों को खाना खिलाने के लिहाज से तैयार किया गया है, जिसमें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित रसोई घर है। 

टेंट के बसाए गए इस शहर के प्रोजेक्ट में 4.2 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिसमें 3,544 लोगों के आवास की सुविधा है। 

इसकी अन्य विशेषताओं में एक पंजीकरण कक्ष, एक 'जोडा घर', एक क्लॉकरूम, एक वीआईपी लाउंज और एक फायर स्टेशन शामिल हैं। 

बुकिंग और पंजीकरण मुफ्त है और इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है।


दिल से जो बात निकलती है असर रखती है , शायर अल्लामा इक़बाल

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है


अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है

तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख


माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

असर करे न करे सुन तो ले मिरी फ़रियाद
नहीं है दाद का तालिब ये बंदा-ए-आज़ाद
 

असल मायने महबूब से इश्क के इकरार और तकरार से है...


यूं तो शेरो-शायरी के असल मायने महबूब से इश्क के इकरार और तकरार से है, लेकिन इकबाल इन सभी से बेहद आगे हैं। वो अपने शेरों में सिर्फ माशूका की खूबसूरती, उसकी जुल्फें, उसके यौवन की बात नहीं करते बल्कि उनके शेरों में मजलूमों का दर्द भी नजर आता।

मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ


नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी

तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

लज़्ज़त सरोद की हो चिड़ियों के चहचहों में


दिल की बस्ती अजीब बस्ती है,
लूटने वाले को तरसती है

दुनिया के ग़म का दिल से काँटा निकल गया हो
लज़्ज़त सरोद की हो चिड़ियों के चहचहों में

तेरी आँख मस्ती में होश्यार क्या थी


भरी बज़्म में अपने आशिक़ को ताड़ा
तेरी आँख मस्ती में होश्यार क्या थी
 

इस नज्म ने तो इकबाल को बुलंदियों पर पहुंचाया


सितारों से आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं

तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएं
यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं

क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी आशियां और भी हैं

अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां और भी हैं

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आसमां और भी हैं

इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जा
कि तेरे ज़मान ओ मकां और भी हैं

गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में
यहां अब मिरे राज़-दां और भी हैं

Featured Post

भोपाल में ई-रिक्शा प्रतिबंध | ट्रैफिक सुधार के लिए बड़ा फैसला

भोपाल में ई-रिक्शा प्रतिबंध | ट्रैफिक सुधार के लिए बड़ा फैसला भोपाल में ई-रिक्शा प्रतिबंध: ट्रैफ...