अक्सर झोपड़ी पे लिखा होता है: "सुस्वागतम" और महल वाले लिखते हैं: "कुत्तों सॆ सावधान"


एक हसीन लडकी राजा के दरबार में डांस कर रही थी...


( राजा बहुत बदसुरत था ) लडकी ने राजा से एक सवाल की इजाजत मांगी . राजा ने कहा , " चलो पुछो ." . लडकी ने कहा , "जब हुस्न बंट रहा था तब आप कहां थे..?? . राजा ने गुस्सा नही किया बल्कि मुस्कुराते हुवे कहा ~ जब तुम हुस्न की लाइन् में खडी हुस्न ले रही थी , ~ . ~ तो में किस्मत की लाइन में खडा किस्मत ले रहा था . और आज तुझ जैसीे हुस्न वालीयां मेरी गुलाम की तरह नाच रही है........... . इसलीय शायर खुब कहते है, . " हुस्न ना मांग नसीब मांग ए दोस्त , हुस्न वाले तो अक्सर नसीब वालों के गुलाम हुआ करते है... " जो भाग्य में है , वह भाग कर आएगा, जो नहीं है , वह आकर भी भाग जाएगा....!!!!!." यहाँ सब कुछ बिकता है , दोस्तों रहना जरा संभाल के, बेचने वाले हवा भी बेच देते है, गुब्बारों में डाल के, सच बिकता है , झूट बिकता है, बिकती है हर कहानी, तीनों लोक में फेला है , फिर भी बिकता है बोतल में पानी , कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे , टूट कर बिखर्र जाओगे , जीना है तो पत्थर की तरह जियो ; जिस दिन तराशे गए ,


" भगवान " बन जाओगे...!!!


बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर, अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा। 


आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर, अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता! 


गिद्ध भी कहीं चले गए, लगता है उन्होंने देख लिया, कि इंसान हमसे अच्छा नोंचता है! 


कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर, क्या मस्त तलवे चाटता है इंसान! 


कोई टोपी, तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है, मिले अगर भाव अच्छा, जज भी कुर्सी बेच देता है! 


जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी, जिसकी खातिर बाप किडनी बेच देता है!


ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें, कली, फल, फूल, पेड़, पौधे सब माली बेच देता है!


 धन से बेशक गरीब रहो, पर दिल से रहना धनवान, अक्सर झोपड़ी पे लिखा होता है: "सुस्वागतम" और महल वाले लिखते हैं: "कुत्तों सॆ सावधान"


करियर के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन 800 रुपए की नौकरी करते थे

अमिताभ बच्चन के जन्म दिन पर ।


महानायक अमिताभ बच्चन को अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह दिन भी देखना पड़ा था, जब उनकी आवाज को आकाशवाणी ने नकार दिया था।


करियर के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन ने 'आकाशवाणी' में भी आवेदन किया लेकिन वहां काम करने का अवसर नहीं मिला। यहां तक कि फिल्म ..रेशमा और 'शेरा' में अपनी अच्छी आवाज के बावजूद उन्हें मूक भूमिका भी स्वीकार करनी पड़ी।


800 रुपए की नौकरी करते थे बिग बी-


11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्मे अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकत्ता में बतौर सुपरवाइजर की जहां उन्हें 800 रुपये मासिक वेतन मिला करता था। वर्ष 1968 में कलकत्ता की नौकरी छोड़ने के बाद मुंबई आ गये।  बचपन से ही अमिताभ बच्चन का झुकाव अभिनय की ओर था और दिलीप कुमार से प्रभावित रहने के कारण वह उन्हीं की तरह अभिनेता बनना चाहते थे।


न्यूज एजेंसी वार्ता के मुताबिक 1969 में अमिताभ बच्चन को पहली बार ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिंदुस्तानी में काम करने का मौका मिला। लेकिन इस फिल्म के असफल होने के कारण वह दर्शकों के बीच कुछ खास पहचान नहीं बना पाये। वर्ष 1971 में अमिताभ बच्चन को राजेश खन्ना के साथ फिल्म आनंद में काम करने का मौका मिला। राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार के रहते हुये भी अमिताभ बच्चन दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे। इस फिल्म के लिये उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया


इस फिल्म के बाद अमिताभ बने सुपरस्टार-


निमार्ता प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर' अमिताभ बच्चन के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। फिल्म की सफलता के बाद बतौर अभिनेता अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। दिलचस्प तथ्य यह है कि फिल्म जंजीर में अमिताभ बच्चन को काम करने का मौका सौभाग्य से ही मिला। साल 1973 मे निमार्ता-निदेर्शक प्रकाश मेहरा अपनी जंजीर फिल्म के लिये अभिनेता की तलाश कर रहे थे। पहले तो उन्होंने इस फिल्म के लिये देवानंद से गुजारिश की और बाद में अभिनेता राजकुमार से काम करने की पेशकश की लेकिन किसी कारणवश दोनों अभिनेताओं ने जंजीर में काम करने से इंकार कर दिया।


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