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कब तलक यूँ ही चुप रहा जाए हाले-दिल क्यूँ न कह दिया जाये

बस इतनी सी बात पे मशहूर हो गई हूं में  के तुझसे दूर बहोत दूर हो गई हूं में 

शाइस्ता जमाल भोपाल व हिंदुस्तान की मशहूर शायरा

वो कागज की कश्ती वो बारिश???? का पानी।

हंगामा है क्यूं बरपा थोड़ी सी जो पी ली है।

मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी हो, खोजने पर समाधान मिल ही जाता है।

अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

चले आओ मेरे ख्वाबों की ताबीर ले आओ

हम अहल-ए-मोहब्बत हैं फ़ना हो नहीं सकते,, ,,"असद भोपाली,,

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ ,अल्लामा इक़बाल

इस्लामी सभ्यता पर मुंशी प्रेमचंद का वह लेख जिसे हर हिंदुस्तानी को पढ़ना चाहिए

खून सफेद मुंशी प्रेमचंद की कहानी

गुप्त धन मुंशी प्रेम चंद की कहानी

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है , शायर अल्लामा इक़बाल

हिदुस्तान जिंदाबाद

अक्सर झोपड़ी पे लिखा होता है: "सुस्वागतम" और महल वाले लिखते हैं: "कुत्तों सॆ सावधान"

यह माटी है बलिदान की

मुझे इज़्ज़त से बस दो वक़्त की रोटी कमाने दो

कल रात की है बात

उदास रहता है मोहल्ले में बारिशों का पानी आजकल. . ....