तबलीगी जमात को हम मुसलमान ‘अल्लाह मियाँ की गाय’ कहते आए हैं दशकों से। मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग, वो भी इतना सीधा सादा की पूछिए मत। एकदम से गैरराजनीतिक। सिर्फ मस्जिद में रहना। अल्लाह-अल्लाह करना और घरों को चले जाना। आपस में ही इस्लाम की बातें करना, सबको अपना मानना। पैजामे टखनों से ऊपर, लंबी दाढ़ी, सर पर टोपी, ईमानदारी ऐसी की गैरमुस्लिम भी उनकी मिसाल दें। अब आपको गाय से भी दिक्कत हो गई। आपदाएं जब आती हैं तो फासीवाद को मजबूत करके जाती हैं। कल से टीवी पर देख रहा हूं। किसी ने भी सच्चाई नहीं दिखाई। दिल्ली के निज़ामउद्दीन इलाके में बंगले वाली मस्जिद को तबलीगी जमात का वैश्विक मुख्यालय कहते हैं। सबसे पहले तो हमें गर्व करना चाहिए कि हमारे देश में इस्लाम धर्म के एक प्रमुख वैचारिक धड़े का मुख्यालय है जहां हर साल लाखों की तादाद में दुनिया के हर देश से मुसलमान आते हैं और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों की मस्जिदों में जाकर इस्लाम-कुरान और हजरत मोहम्मद साहब की बातें बताते हैं। इसी को तबलीग कहते हैं। तबलीग करना मतलब मुसलमानों को कुरान-हदीस की बातें बताना। हमारे देश में जब कोविड-19 को लेकर किसी भी प्रकार की हेल