अचानक पिता के गुजरने पर मुसीबत में फंसा एक बेरोजगार नवयुवक कहीं का नहीं रहा। उसके परिवार की आर्थिक हालत इतनी बदतर हो गई कि वह एक तरह से मजदूरी करने के लिए मजबूर हो गया। लेकिन आड़े वक्त में एक स्वरोजगार मूलक योजना का लाभ मिल जाने से वह और उसका परिवार मजदूरी पर जाने से बच गया।
दतिया नगर में पढ़ाई पूरी करने के बाद व्यवसाय में शीर्ष पर पहुंचने का ख्वाब देखने वाले पवन प्रजापति का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। बुरे वक्त में मानसिक रूप से परेशान उसके सगे संबंधी भी उससे कन्नी काटने लगे थे। पवन के पिता क्या गुजरे मानो उसकी दुनिया ही उजड़ गई थी। उसकी पढ़ाई बीच में छूट गई थी और आजीविका चलाने के लिए वह चिंता में डूब गया था।
दतिया नगर के वाईपास पर गोंडबाबा कालोनी के रहने वाले पवन के दो भाई हैं। भाई और मां पवन के साथ ही रहते हैं। पवन दोनों भाइयों से बड़ा है। उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं है। जिस समय पवन अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था कि उसी समय उसके पिता ने उसकी शादी कर दी। उसके विवाह के दो माह बाद अचानक उसके पिता का निधन हो गया। घर में एक मात्र वही कमाने वाले थे। किसी के पास रोजगार नहीं था। घर में जो कुछ रकम जमा थी, वह घर चलाने में खर्च हेा गई। खाने के लाले पड़ गए। दिनों दिन घर की स्थिति खराब होती चली गई और कहीं रोजगार भी नहीं मिल रहा था। बेरोजगारी के चंगुल में फंसा पवन इस दौरान मानसिक रूप से परेशान हो गया था। घर का खर्च चलाने के लिए अब परिवार के सारे सदस्य मजदूरी पर जाने की सोचने लगे थे।
पहले कभी पवन का जिला अंत्यावसायी सहकारी समिति आना-जाना था, इसलिए वहां थोड़ी बहुत पहचान थी। जब सभी ओर से दरवाजे बंद मिले, तो वह एक दिन जिला अंत्यावसायी सहकारी समिति आ पहुंचा। जिला अंत्यावसायाी सहकारी समिति ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत दो लाख रूपये के अनुदान समेत कुल सात लाख रूप्ये की ऋण राशि से पवन को किराना एवं जनरल स्टोर का कारोबार शुरू कराया, तब से हालात बदलने शुरू हुए। सरकार की इस मदद से पवन के परिवार की आर्थिक स्थिति में बदलाव स्पष्ट नजर आता है।
दरअसल, यह कारोबार इस परिवार के सदस्यों के लिए आजीविका का आकर्षक साधन बन कर उभरा है। पवन की मासिक कमाई बीस हजार रूपये हो जाती है। शादियों-तीज-त्यौहार के सीजन में यह कमाई और बढ़ जाती है। इस कारोबार में पैर जमा चुके पवन का कहना है कि दुकान से उनकी जिंदगी ही बदल गई है। दुकान शुरू करने के बाद उसके जीवन में पंख लगे। अब लोग उसे एक कारोबारी के रूप में बुलाने लगे हैं। जिला अंत्यावसायी सहकारी समिति के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हीरेन्द्र सिंह कुशवाह कहते हैं, ''समिति की योजनाओं ने कई जरूरतमंदों के जीवन में आर्थिक समृद्वि दिला दी है। इनने तमाम लोगों की रोजी-रोटी का इंतजाम भी कर दिया है।''
भोपाल में लोन ऐप के झांसे में फंसे एक शख्स ने अपने पूरे परिवार सहित खुदकुशी कर ली। आत्महत्या करने वाले पति-पत्नी ने अपने बच्चों को जहर पिलाकर खुद फांसी लगा ली। भोपाल: कर्ज के दुष्चक्र में फंसे परिवार ने की आत्महत्या, बच्चों को जहर देकर पति-पत्नी ने लगाई फांसी भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां कर्ज के दुष्चक्र में फंसे एक पति-पत्नी ने अपने दो बच्चों के साथ मौत को गले लगा लिया। बताया जा रहा है कि पति-पत्नी ने पहले अपने बच्चों को जहर दिया और इसके बाद खुद फांसी लगा ली। परिवार के इतना बड़ा कदम उठाने के पीछे की वजह कर्ज बताया जा रहा है। मामला भोपाल के रातीबड़ थाना क्षेत्र के नीलबड़ इलाके का है। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट और सल्फास की गोलियों का पैकेट भी मिला है। एसीपी चंद्र प्रकाश पांडे के मुताबिक पहले 8 साल और 3 साल के बच्चों को सल्फास की गोलियां दी गयीं और उसके बाद पति-पत्नी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार मृतक निजी इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन कुछ नुकसान होने के चलत...
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