आज भी राजधानी भोपाल समेत संपूर्ण मध्यप्रदेश में शांति कायम है

भोपाल। अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के दूसरे दिन आज भी राजधानी भोपाल समेत संपूर्ण मध्यप्रदेश में शांति कायम है। बाजार खुले हुए हैं। लोग परिवार के साथ दुकानों पर सामान खरीदने पहुंच रहे हैं।हालाकि पुलिस और प्रशासन का अमला पूरे राज्य में स्थिति पर नजर बनाए हुए है।


राजधानी के पुराने शहर में आज अधिकांश छोटी दुकाने खुली हुई है।शहर के बाहरी इलाकों में स्थिति लगभग सामान्य सी हो गयी है। चाय-नाश्ते की दुकानों पर भीड़ है।



इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा, उज्जैन, मुरैना, भिंड, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और अन्य स्थानों से यहां पहुंची सूचनाओं के अनुसार कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। सभी 52 जिलों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है। इन सब जगहों पर भी स्थिति सामान्य होने आशा है।


भोपाल में जनजीवन रोज की तरह सामान्य


कलेक्टर तरुण पिथोडे़ और डीआईजी इरशाद वली अन्य अधिकारियों के साथ दिन रात गश्त कर रहे हैं तो कमिश्नर और एडीजीपी भी कंट्रोल रूम में रुककर और फील्ड में जाकर कानून व्यवस्था पर नजर रखे हुए हैं। नागरिकों से प्रशासन के अधिकारी लगतार सम्पर्क और संवाद कर रहे हैं।
कमिश्नर कल्पना श्रीवास्तव और एडीजीपी आदर्श कटियार ने सुबह पीरगेट के व्यस्ततम चौराहे पर सामान्य होते जन-जीवन को देखा। उन्होंने यहां नागरिकों से बातचीत की और जिला प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा भी लिया। इस अवसर पर डीआईजी ग्रामीण शैलेन्द्र सिंह चौहान तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।


दोनों अधिकारी बाद में काजीकैंप, डीआईजी बंगला, छोला, नादरा बस स्टैंड, मुख्य रेल्वे स्टेशन, भारत टाकीज, कालीघाट, जहांगीराबाद आदि क्षेत्रों का दौरा कर वहां के हालात से अवगत हुए। किसी भी क्षेत्र में कोई तनाव आदि नहीं देखा गया। नागरिक भी रोज की तरह अपने कामकाज में लगे हुए हैं। सिटी बस, मैजिक, आटो आदि भी सामान्य दिनों की तरह चल रहे हैं। अधिकतर बाजार भी खुले हुए हैं।


72वां आलमी तब्लीगी इज्तिमा, ईटखेड़ी भोपाल (22 से 25 नवंबर 2019)















देश में यह इज्तिमा सिर्फ भोपाल में ही होता है। इसके अलावा पाकिस्तान के रायविंड और बांग्लादेश के टोंगी में इस तरह का आयोजन किया जाता है। भोपाल का आयोजन दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे पुराना है।










(भोपाल से 15 किलोमीटर दूर स्थित है ईंटखेड़ी, यहां होगा 22नवंबर से चार दिन का दिनी आलमी तब्लीगी इज्तिमा।)




 

भोपाल। नवाबों के दौर से शुरू हुआ इज्तिमा अब दुनियाभर की पहचान बन गया है। दुनिया के पांच बड़े इस्लामिक आयोजन में से एक आलमी तब्लीगी इज्तिमा पहली बार 1944 में भोपाल के ही 14 लोगों के साथ शुरू हुआ था। यह कारवां अब साल-दर-साल आगे बढ़ा और दुनियाभर के लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। आस्था का आलम ये है कि इस बार 28 नवम्बर से शुरू हो रहे चार दिन का दिनी आयोजन में करीब 15 लाख लोगों के पहुंचने की संभावना है।

 

 

देश में ये इज्तिमा सिर्फ भोपाल में ही होता है। इसके अलावा पाकिस्तान के रायविंड और बांग्लादेश के टोंगी में इस तरह का आयोजन किया जाता है। भोपाल का आयोजन दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे पुराना है।






 


भोपाल। 72वां आलमी तब्लीगी इज्तिमा इस बार कई मायनों में अनूठा होगा। पहले की तुलना में व्यवस्थाओं में व्यापक परिवर्तन किया गया है। 22 से 25 नवंबर तक होने वाले इज्तिमा की थीम 'क्लीन इज्तिमा-ग्रीन और प्रदूषण मुक्त इज्तिमा' है। इसे मूर्तरूप देने बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों की टीमें यहां दिन-रात जुटी हैं।



यहां आगंतुकों की सुविधा के लिए 42 स्थानों पर कुल 223 एकड़ में पार्किंग होगी। फूड जोन में 70 दुकानें होंगी। इसकी विशेषता यह है कि विभिन्न राज्यों के पकवानों का जायका आप यहां ले सकेंगे। आयोजन स्थल पर दस बिस्तरों का एक अस्पताल रहेगा, जिसमें पैथोलॉजी लैब भी होगी। चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे से निगाह रखी जाएगी।


जल गुणवत्ता परीक्षण के साथ ही चल रहा है क्लोरिनेशन का काम
इज्तिमा इंतजामिया कमेटी के अतीक उल इस्लाम का कहना है कि मुख्य पंडाल में टेंट लगाने और फूड जोन में दुकानों के काम छोड़कर ज्यादातर काम अब अंतिम दौर में है। इज्तिमा स्थल पर सरकारी महकमों के अमले के साथ ही स्वंयसेवक भी बड़ी संख्या में हाथ बंटा रहे हैं।


अभी यहां मिट्टी को समतलीकरण करने का काम चल रहा है। परंपरागत मार्गों को भी सुधारा जा रहा हैं। जगह-जगह पीने के पानी की खातिर हैंडपंप और ट्यूबवेल का खनन किया गया है। जल गुणवत्ता परीक्षण एवं क्लोरिनेशन का काम सरकारी अमला कर रहा है। पीने के पानी और सीवरेज नेटवर्क की लाइन बिछाने का काफी काम हो गया है।


350 एकड़ में आयोजन स्थल, 54 देशों से जमातें आएंगी



  • 70 दुकानें होंगी दो फूड जोन में

  • 10 बिस्तरों का अस्पताल भी होगा

  • 22 ट्रेनों में 2-2 अतिरिक्त कोच जोड़ेंगे

  • 50 हैंडपंप का खनन पीने के पानी के लिए

  • 25 स्थानों पर लैंडलाइन-इंटरनेट सुविधा

  • मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराने यहां टॉवर लगाने का काम किया जा रहा है। एसटीडी-आईएसडी के तीन पीसीओ, 25 स्थानों पर लैंडलाइन एवं इंटरनेट सुविधा मिलेगी।



आयोजन स्थल पर बनाए हैं दो हजार से ज्यादा वुजूखाने


आज श्रमदान करेंगे स्वयंसेवक रविवार को इज्तिमा स्थल ईंटखेड़ी (घासीपुरा) में श्रमदान करने बड़ी संख्या में समाज के लोग पहुंचेंगे। सबकी कोशिश यही है कि कोई कसर न छूट जाए।



वेस्ट वाटर निकालने के लिए वी-शेप ड्रेन
70 फूड जोनों का वेस्ट वाटर निकालने के लिए व्हीशेप ड्रेन 1200 मीटर का अस्थाई निर्माण पूरा होने को है। जल प्रदाय एवं मल जल निकासी को 9 जोन में बांटा गया है।


दो गायों को लेकर मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड की ब्रांच में पहुंचा गोल्ड-लोन लेने पहुंचा

पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां भाजपा के नेता दिलीप घोष के एक बयान के बाद एक शख्स अपनी दो गायों को लेकर मणप्पुरम फाइनेंस लिमिटेड की ब्रांच में पहुंच गया।उसने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वो अपनी दो गायों के बदले गोल्‍ड-लोन लेना चाहता था। दरअसल, उसका मानना था कि अगर गाय के दूध में सोना होता है तो उसे गायों के बदले गोल्‍ड-लोन मिलना चाहिए।


एक न्‍यूज चैनल के अनुसार, उस शख्स ने बातचीत के दौरान कहा, “मैं गोल्ड लोन के लिए यहां आया हूं और इसलिए मैं अपनी गायों को अपने साथ लाया हूं। क्योंकि मैंने सुना था कि गाय के दूध में सोना होता है।” उन्होंने यह भी कहा, “मेरा परिवार इन गायों पर निर्भर है। मेरे पास 20 गायें हैं और अगर मुझे कर्ज मिल जाए तो मैं अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकूंगा।”


दरअसल, भाजपा के सांसद दिलीप घोष ने बर्दवान में गोपाल अष्टमी के कार्यक्रम के दौरान सोमवार को कहा था कि भारतीय नस्ल की देसी गायों में एक खासियत होती है कि इनके दूध में सोना मिला होता है। यही कारण है कि इनका दूध सुनहरे (हल्का पीला) रंग का होता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दूध में इतना कुछ होता है कि एक व्यक्ति सिर्फ इसके उपयोग से स्वस्थ जीवन बीता सकता है।


घोष के इस अजीबोगरीब बयान की आलोचना करते हुए गरालगाछा ग्राम पंचायत के प्रधान मनोज सिंह ने कहा कि दिलीप घोष के इस बयान के बाद अब लोग पंचायत में अपनी-अपनी गायों के साथ आ रहे हैं। लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि उनकी गायों के बदले में उन्हें कितना लोन मिल सकता है। साथ ही उनका कहना होता है कि उनकी गाय रोजाना 15-16 लीटर दूध देती है तो उन्हें लोन मिलना चाहिए।


बेस्ट बॉलीवुड सदाबहार जो दर्शकों को अब तक है याद

फिल्म इंडस्ट्री सालों से फिल्में बनती आ रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में बनी पहली फिल्म का नाम ish राजा हरिश्चंद्र 'था, यह फिल्म वर्ष 1913 में आई थी। पुराने समय की फिल्मों में एक अलग स्वाद और एक अलग मेकिंग होती है। हालाँकि, आज के दौर में बॉलीवुड काफी आगे बढ़ चुका है। आज, बॉलीवुड फिल्में देश और विदेश में भी रिलीज़ होती हैं और अच्छा व्यवसाय करती हैं। बॉलीवुड सिनेमा को अब तक 100 साल हो चुके हैं। इन 100 सालों में अनगिनत फिल्में आई हैं। लेकिन आज हम आपको तब से अब तक बनी 25 बेहतरीन फिल्मों के बारे में बताएंगे। जिन्हे आपको एक बार जरूर देखना चाहिए।25) दो बीघा जमीन: 1953 में आई ये फिल्म भारतीय किसानों के हालात की कहानी सुनाने वाली फिलम थी और शायद आज भी उतनी ही रेलिवेंट है। बलराज साहनी स्टारर बिमल रॉय की इस फिल्म को 1954 में कांस फिल्म फेस्टिवल में प्रिक्स इंटरनेशनल फिल्म का पुरस्कार दिया गया था।24) प्यासा: गुरूदत्त, वहीदा रहमान और माला सिन्हा स्टारर ये ट्रेजडी फिल्म, इकलौती भारतीय फिल्म है जो टाइम्स की 100 ऑल टाइम मूवी लिस्ट और साइट एंड साउंडस 250 ग्रेटेस्ट फिल्म लिस्ट में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुई। 1957 में एक भावुक कवि और कठोर समाज के बीच के दर्द भरे रिश्तों को दिखाने वाली प्यासा पहली इंडियन फिल्म थी जो वेनिस फिल्म फेस्टिवल में दिखाने के लिए भेजी गई थी। 23) मदर इंडिया: ऑस्कर अवॉर्ड के फॉरेन फिल्म कैटेगरी में नॉमिनेट होने के लिए सबसे पहले यही भारतीय फिल्म पहुंची थी। 1957 में आई मदर इंडिया को भारत के लिहाज से यहां की गॉन विद द विंड कहा जाता है।22) साहब बीबी और गुलाम: बिमल मित्र के बंगाली नॉवल साहब बीबी और गुलाम पर बेस्ड ये फिल्म 1962 की सबसे क्रिटिकली एक्लेम फिल्म थी। खास तौर पर मीना कुमारी के अभिनय की सबने तारीफ की थी।21) मुगल-ए-आजम20) पाकीजा 19) वक्त 18) गाइड17) गरम हवा16) शोले15) आंधी14) गोलमाल (1979)13) मासूम12) सारांश11) कयामत से कयामत तक10) हम आपके हैं कौन9) दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे8) स्वदेश 7) लगान6) द लंच बॉक्स 5) क्वीन4) रोटी कपड़ा और मकान3) क्रांति2) दिलजले 1) गदर दोस्तों इनमें से आपकी फेवरेट फिल्म कौन सी है


बागमुगालिया में फांसी लगाकर जान देने वाली नवविवाहिता के मामले में पुलिस ने दहेज हत्या का केस दर्ज किया





 












भोपाल। बागमुगालिया में फांसी लगाकर जान देने वाली नवविवाहिता के मामले में पुलिस ने दहेज हत्या का केस दर्ज किया है। जांच में खुलासा हुआ कि शादी के बाद से ही महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा था। जब वह खाना बना लेती थी तो नाबालिग ननद उसमें जानबूझकर और नमक डाल देती थी, जिससे उसे डांट पड़ती थी।



एसडीओपी अनिल त्रिपाठी के मुताबिक 24 वर्षीय ज्योति अहिरवार ने एक नवंबर को फांसी लगाकर जान दे दी थी। दो साल पहले उसकी शादी बागमुगालिया निवासी प्यारेलाल अहिरवार से हुई थी। मामला नवविवाहिता का था, इसलिए एसडीओपी ने जांच की। ज्योति के परिजनों और साथ रहने वाले छोटे भाई के बयान लिए गए। इस दौरान सामने आया कि ज्योति को शादी के बाद से ही दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था।


कई बार ऐसा भी हुआ कि ज्योति ने सब्जी बना ली और इसके बाद छिपकर ननद ने उसमें नमक डाल दिया। सब्जी में ज्यादा नमक होने से लोग उसे फटकारते थे। प्रताड़नाओं के कारण उसने फांसी लगा ली। पुलिस ने प्यारेलाल, ससुर गणेश, सास मन बाई और ननद के खिलाफ दहेज हत्या का केस दर्ज किया है।








भडकाऊ पोस्ट डालने के आरोप में आज चार लोगों को गिरफ्तार किया

उत्तर प्रदेश की रायबरेली पुलिस ने चेतावनी के बावजूद सोशल मीडिया पर भडकाऊ पोस्ट डालने के आरोप में आज चार लोगों को गिरफ्तार किया है।


 


पुलिस प्रवक्ता ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद सामाजिक सौहार्द और शांति व्यवस्था को भंग करने वाली पोस्ट डालने वाले चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।


गिरफ्तार लोगों में एक शहर कोतवाली पुलिस ने जबकि तीन को बछरांवा पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है।


 


गौरतलब है कि अयोध्या फैसले के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने लोगो से सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी से बचने और भडकाऊ पोस्ट नहीं डालने की अपील की थी। ऐसा करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।


दिल्ली से भोपाल के बीच संचालित की जा रही ईवनिंग फ्लाइट को दिसंबर अंत तक प्रति मंगलवार कैंसिल रखने का निर्णय लिया




 







  • भोपाल। एअर इंडिया ने ऑपरेशनल कारणों से दिल्ली से भोपाल के बीच संचालित की जा रही ईवनिंग फ्लाइट को दिसंबर अंत तक प्रति मंगलवार कैंसिल रखने का निर्णय लिया है। वहीं, स्पाइस जेट की 30 नवंबर तक बंद की गई भोपाल-जयपुर फ्लाइट में अब एक दिसंबर से बुकिंग मिलने लगी है।












एअर इंडिया की रात 8 बजे दिल्ली से चलकर 9.20 बजे भोपाल आने वाली फ्लाइट संख्या एआई-437 दिल्ली-भोपाल और रात 10 बजे भोपाल से चलकर 11.25 बजे दिल्ली पहुंचने वाली एआई-438 दिसंबर अंत तक हर मंगलवार कैंसिल रहेगी। सूत्रों के अनुसार नए साल के लिए कुछ एयरक्राफ्ट्स को एअर इंडिया ने गोवा आदि स्थानों पर लगा दिया है, इसलिए हर रीजन की फ्लाइट्स को एक-एक दिन कैंसिल कर एडजस्टमेंट किए जा रहे हैं।








बाबरी मस्जिद गिराए जाने की साज़िश रचने वालों पर फैसला आना अभी बाकी: रामदत्त त्रिपाठी

40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि ज़मीन विवाद का फ़ैसला सुना दिया. पांचों न्यायधीशों ने सर्वसम्मति से 2.77 एकड़ की पूरी विवादित ज़मीन हिंदू पक्ष के हवाले करने का आदेश दिया जबकि मुसलमानों को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन देने के लिए कहा है.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वो मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए. लेकिन वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने सवाल उठाया कि, बाबरी मस्जिद गिराए जाने की साज़िश रचने वालों को सज़ा कब मिलेगी।


अमरीका में हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भारतीय भाषा

अमरीका में हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भारतीय भाषा


टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ही एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार हिंदी, अमरीका में बोली जाने वाली सबसे लोकप्रिय भारतीय भाषा है.


जुलाई 2018 के आंकड़ों के अनुसार अमरीका में 8.74 लाख लोग हिंदी बोलते हैं और 2017 के मुकाबले हिंदी बोलने वालों की संख्या में 1.3 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.


हिंदी के बाद गुजराती और तेलुगू का स्थान है.


नीरव मोदी ने कहा भारत भेजा गया तो कर लेंगे आत्महत्याः प्रेस रिव्यू

टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपने पहले पन्ने पर यह ख़बर दी है कि लंदन की अदालत में एक बार फिर ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने के दौरान भारत के हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने कोर्ट में कहा कि अगर उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया गया तो वे आत्महत्या कर लेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में उन्हें निष्पक्ष ट्रायल की उम्मीद नहीं है.


अख़बार ने लिखा कि नीरव मोदी ने कोर्ट को बताया कि जेल में उन्हें तीन बार पीटा गया.


नीरव के वकील हुगो कीथ क्यूसी ने कहा, "मंगलवार की सुबह नौ बजे के ठीक बाद जेल में ही बंद दो अन्य कैदी उसके सेल में आए. उन्होंने दरवाजा बंद करके उसे घूंसा मारा और ज़मीन पर गिराकर लातों से पीटा. इसके साथ ही उसे लूटने की भी कोशिश की."



कीथ ने डॉक्टर की नीरव के डिप्रेशन की कॉन्फिडेंशल रिपोर्ट के लीक हिस्से का ज़िक्र करते हुए ये बातें कहीं.


हालांकि इन सब दलीलों का कोर्ट पर कोई असर नहीं हुआ और उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी गई.


वर्धा यूनिवर्सिटी में धरना देने और पीएम को पत्र लिखने वाले छात्रों को निकाला: प्रेस रिव्यू

इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक महाराष्ट्र के वर्धा में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में धरना आयोजित करने वाले और प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखने वाले छह छात्रों को निकाल दिया गया है.


ये छात्र मॉब लिंचिंग और रेप के आरोपी नेताओं को बचाने के ख़िलाफ़ धरना दे रहे थे.


9 अक्टूबर को कार्यवाहक रजिस्ट्रार ने इस संबंध में आदेश ज़ारी किया है. इसके मुताबिक छात्रों को धरना आयोजित करके 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर लागू आचार संहिता के उल्लंघन और न्यायिक प्रक्रिया में दख़ल देने के चलते निकाला गया है.


छह छात्रों में से एक छात्र चंदन सरोज ने अख़बार से कहा है कि 9 अक्टूबर को हुए धरने में करीब 100 छात्र शामिल थे लेकिन ख़ास तौर पर तीन दलित और तीन ओबीसी छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है.


करतारपुर में इमरान के सामने सिद्धू ने की मोदी की तारीफ़

"क्या मिलेगा मार कर किसी को जान से, मारना हो तो मार डालो एहसान से. दुश्मन मर नहीं सकता कभी नुक़सान से और सिर उठाकर चल नहीं सकता मरा हुआ एहसान से."


करतापुर कॉरिडोर के उद्घाटन के मौक़े पर बतौर ख़ास अतिथि पहुंचे कांग्रेस नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने ऐसी बहुत सी बातें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की तारीफ़ में कहीं. हालांकि दो बार उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को भी शुक्रिया कहा.


 


सिद्धू अपने लतीफ़ों और काव्यात्मक भाषणों के लिए जाने जाते हैं और इस बार भी उनका अंदाज़ वही था.


सिद्धू पहले भी खुलकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की तारीफ़ करते रहे हैं और इस बार भी उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. इमरान ख़ान को वो अपना दोस्त बताते रहे हैं और इस बार भी उनका अंदाज़ वैसा ही दोस्ताना था.


सिद्धू को जब मंच पर आमंत्रित किया गया तो उनका परिचय कुछ इस तरह दिया गया.


दिग्विजय सिंह का ट्वीट, पूछा- क्या दोषियों को मिलेगी सजा?




अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसका स्वागत किया। वहीं, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया। इसी बीच उन्होंने एक बार फिर कुछ ऐसा कह दिया है जिसकी वजह से वो सुर्खियों में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद तोड़े जाने को गैरकानूनी बताया क्या अब दोषियों को सजा मिल पाएगी? देखते है 27 साल हो गए है

कांग्रेस नेता दिग्विजय ने ट्वीट में लिखा कि राम जन्म भूमि के निर्णय का सभी ने सम्मान किया हम आभारी हैं। कांग्रेस ने हमेशआ से ही यही कहा था कि हर विवाद का हल संविधान द्वारा स्थापित क़ानून व नियमों के दायरे में ही खोजना चाहिये।  विध्वंस और हिंसा का रास्ता किसी के हित में नहीं है। एक ट्वीट का जवाब देते हुए उन्होंने लिखा कि सभी धर्मों के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन, मंजिल सभी की एक है और वो है इंसानियत।




अयोध्या फैसला: पूर्व जस्टिस एके गांगुली बोले- अल्पसंख्यकों के साथ गलत हुआ

जस्टिस गांगुली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये संवैधानिक कर्तव्य है कि वो सभी के अधिकारों की रक्षा करे. इसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, "इस देश के लोग क्या देखेंगे...यहां एक मस्जिद थी, जिसे 1992 में तोड़ दिया गया...उस जमीन पर कोर्ट एक मंदिर बनाने की इजाजत दे रही है.



  • अयोध्या फैसले पर जस्टिस गांगुली के सवाल

  • 'मुसलमानों के साथ गलत हुआ है'

  • 'संविधान का छात्र होने के नाते फैसला समझ नहीं पा रहा'


अयोध्या के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए के गांगुली ने कहा कि इस मामले में मुसलमानों के साथ गलत हुआ है. कोलकाता में आजतक से बात करते हुए रिटायर्ड जज एके गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे इस फैसले से व्यथित हैं.


जस्टिस गांगुली ने कहा कि अयोध्या में आखिर मस्जिद गिराई गई थी. कोई भी कहेगा कि मुसलमानों की मस्जिद गिराई गई थी. सरकार इस मस्जिद को बचाना चाहती थी. इस मामले में अदालत में अभी भी केस चल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान जब अस्तित्व में आया तो नमाज यहां पढ़ी जा रही थी. एक वैसी जगह जहां नमाज़ पढ़ी, जहां पर मस्जिद थी, अब इस जगह को सुप्रीम कोर्ट मंदिर के लिए देने को कह रहा है. ये सवाल मेरे दिमाग में उठ रहा है. उन्होंने कहा कि संविधान का एक छात्र होने के नाते फैसले को समझने में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही है.


जस्टिस गांगुली ने कहा कि मस्जिद लगभग 500 सालों से थी. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने ये नहीं पाया है कि मस्जिद, मंदिर तोड़कर बनाई गई थी. इसके अलावा इस बात के भी पुरातात्विक सबूत नहीं हैं कि मस्जिद के नीचे मंदिर था. वहां पर कोई ढांचा जरूर था. लेकिन इस ढांचे के हिंदू ढांचा होने के सबूत नहीं हैं.


बता दें कि जस्टिस गांगुली वही हैं, जिन्होंने 2012 में टू-जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में अपना जजमेंट सुनाया था. जस्टिस गांगुली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये संवैधानिक कर्तव्य है कि वो सभी के अधिकारों की रक्षा करे, इसमें अल्पसंख्यक भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, "इस देश के लोग क्या देखेंगे...यहां एक मस्जिद थी, जिसे 1992 में तोड़ दिया गया...उस जमीन पर कोर्ट एक मंदिर बनाने की इजाजत दे रही है...किन सबूतों के आधार पर...यह उस आस्था के आधार पर दिया गया कि ये जमीन रामलला से जुड़ी हुई थी, लेकिन क्या आस्था के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है." 


जस्टिस गांगुली ने आगे कहा कि जो सबूत मिले हैं और जो फैसला आया है, उससे मैं अपने को संतुष्ट नहीं कर पा रहा हूं. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उनकी समझ में कुछ खामियां हो, लेकिन उनके विचार से इस जजमेंट में कई सवालों के जवाब अनुत्तरित रह गए हैं. 


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