माया चौधरी की सफलता की कहानी

   मजदूरी करने वाली श्रीमती माया बाई चौधरी ने कभी सोचा नहीं था कि उनकी स्वयं की मनिहारी एवं किराना दुकान होगी। जनपद पंचायत चीचली की ग्राम कनवास में रहने वाली श्रीमती माया बाई चौधरी अपनी आर्थिक स्थिति मजदूर करने का निरंतर ख्याल करती थी, किंतु कुछ सकारात्मक पहल नहीं हो पा रही थी। आजीविका मिशन की जानकारी उन्हें मिली और वैभव लक्ष्मी नामक स्वसहायता समूह से जुड़ी। इससे प्राप्त ऋण से उन्होंने घर पर ही छोटी सी किराने की दुकान खोली। धीरे- धीरे व्यापार बड़ता गया और उन्होंने इसे मनिहारी की दुकान में तब्दील कर लिया। उनकी बेटी ने आरसेटी के माध्यम से ड्रेस डिजायनिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर सिलाई का कार्य सीखा। इसके पश्चात आजीविका मिशन के माध्यम से उन्हें मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजनांतर्गत 50 हजार रूपये का ऋण बैंक से प्राप्त किया, जिससे उन्होंने सिलाई मशीन एवं दुकान के लिए कुछ कपड़ों की खरीददारी की। घर में ही संचालित दुकान में सिलाई का कार्य प्रारंभ किया। वे बताती हैं कि उनका सिलाई का कार्य अच्छा चल रहा है और लगभग 8 से 9 हजार रूपये की आय प्राप्त हो रही है। उनका बेटा आमगांव में मनिहारी की बड़ी दुकान भी संचालित कर रहा है। वे और उनका परिवार आजीविका मिशन का धन्यवाद कर रहा है।


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