मजदूरी करने वाली श्रीमती माया बाई चौधरी ने कभी सोचा नहीं था कि उनकी स्वयं की मनिहारी एवं किराना दुकान होगी। जनपद पंचायत चीचली की ग्राम कनवास में रहने वाली श्रीमती माया बाई चौधरी अपनी आर्थिक स्थिति मजदूर करने का निरंतर ख्याल करती थी, किंतु कुछ सकारात्मक पहल नहीं हो पा रही थी। आजीविका मिशन की जानकारी उन्हें मिली और वैभव लक्ष्मी नामक स्वसहायता समूह से जुड़ी। इससे प्राप्त ऋण से उन्होंने घर पर ही छोटी सी किराने की दुकान खोली। धीरे- धीरे व्यापार बड़ता गया और उन्होंने इसे मनिहारी की दुकान में तब्दील कर लिया। उनकी बेटी ने आरसेटी के माध्यम से ड्रेस डिजायनिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर सिलाई का कार्य सीखा। इसके पश्चात आजीविका मिशन के माध्यम से उन्हें मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजनांतर्गत 50 हजार रूपये का ऋण बैंक से प्राप्त किया, जिससे उन्होंने सिलाई मशीन एवं दुकान के लिए कुछ कपड़ों की खरीददारी की। घर में ही संचालित दुकान में सिलाई का कार्य प्रारंभ किया। वे बताती हैं कि उनका सिलाई का कार्य अच्छा चल रहा है और लगभग 8 से 9 हजार रूपये की आय प्राप्त हो रही है। उनका बेटा आमगांव में मनिहारी की बड़ी दुकान भी संचालित कर रहा है। वे और उनका परिवार आजीविका मिशन का धन्यवाद कर रहा है।
भोपाल में लोन ऐप के झांसे में फंसे एक शख्स ने अपने पूरे परिवार सहित खुदकुशी कर ली। आत्महत्या करने वाले पति-पत्नी ने अपने बच्चों को जहर पिलाकर खुद फांसी लगा ली। भोपाल: कर्ज के दुष्चक्र में फंसे परिवार ने की आत्महत्या, बच्चों को जहर देकर पति-पत्नी ने लगाई फांसी भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां कर्ज के दुष्चक्र में फंसे एक पति-पत्नी ने अपने दो बच्चों के साथ मौत को गले लगा लिया। बताया जा रहा है कि पति-पत्नी ने पहले अपने बच्चों को जहर दिया और इसके बाद खुद फांसी लगा ली। परिवार के इतना बड़ा कदम उठाने के पीछे की वजह कर्ज बताया जा रहा है। मामला भोपाल के रातीबड़ थाना क्षेत्र के नीलबड़ इलाके का है। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट और सल्फास की गोलियों का पैकेट भी मिला है। एसीपी चंद्र प्रकाश पांडे के मुताबिक पहले 8 साल और 3 साल के बच्चों को सल्फास की गोलियां दी गयीं और उसके बाद पति-पत्नी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार मृतक निजी इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन कुछ नुकसान होने के चलत...
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