गंगा-जमुनी तहजीब, आपसी भाईचारा, मिलनसारिता, एक-दूसरे के धर्म, आस्था और रीति रिवाजों का सम्मान हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर के प्रदेश प्रमुख जावेद बेग 


राष्ट्र शक्ति फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री नूरुल हसन बैग


और जाने-माने समाज सेवक ,शारिक सर ट्यूटोरियल इंस्टिट्यूट ,के शारिक सर ,ने पत्रकार बंधुओं से प्रेस कांफ्रेंस की।


                        प्रेस विज्ञप्ति


भोपाल। बेशक हमारा मुल्क शांति का गहवारा रहा है और हमेशा रहेगा। इस देश की गंगा-जमुनी तहजीब, आपसी भाईचारा, मिलनसारिता, एक-दूसरे के धर्म, आस्था और रीति रिवाजों का सम्मान हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा रहा है। इसी की वजह से इस देश को दुनियाभर का सिरमौर माना जाता है।डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर के प्रदेश प्रमुख जावेद बेग ने गुरुवार को आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान ये बात कही। उन्होंने कहा कि सदियों से चले आ रहे एक विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला आ चुका है। हिंदुस्तान ने अपनी गंगा-जमुनी तहजीब और आपसी भाईचारे की हमेशा की परंपरा को निभाते हुए अदालत के इस फैसले को सिर-माथे पर रख लिया है। कुछ होने वाला है की पशोपेश से मुल्क बाहर निकल चुका है।ऐसे में फैसले से असंतुष्ट होने वाले चंद लोगों ने 'पुनःयाचिका' की हवा देकर अस्थिरता की चिंगारी को भड़काने की कोशिश की है।सदियों पुरानी जिस कहानी का पटाक्षेप अदालत के फैसले से हो चुका है, उसे फिर से कुरेदने की कोशिश देश को फिर अस्थिरता के हवाले करने वाला कदम कहा जा सकता है।
जावेद बेग ने कहा कि लोगों की अकीदत और आस्थाओं के कंधों पर बंदूक रखकर सियासी निशाने बनने का दौर अब पीछे गुजर चुका है। कई पीढ़ियों ने मंदिर-मस्जिद के दर्द को भोगा है, इसके बड़े नुकसान भी लोगों ने उठाए हैं। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं, नई पीढ़ी तालीम के साथ आगे बढ़ रही है, रोजगार और तरक्की की नई सीढियां चढ़ने लगी है। ऐसे हालात चंद लोगों की जिद और दकियानूसी नजरिया ठहरे हुए हालात में फिर अस्थिरता के नजारे बना सकती है। पुनः याचिका के मायने एक बार फिर देश के माथे पर संशय की लकीरें बना देने के होंगे। फैसले को जिस सुकून, शांति, आपसी समझ से देश ने स्वीकार किया है, उसको बरकरार रखने की पहल की जाना ही देश की, समाज की, आम इंसान की तरक्की और बेहतरी का रास्ता हो सकती है।जावेद बेग ने कहा कि हम अमन पसंद लोग इस पुनः याचिका के फैसले का विरोध करते हैं। ये किसी कौम, समाज, सम्प्रदाय, जाति, वर्ग की आवाज नहीं है, बल्कि मुल्क के हर उस व्यक्ति की आवाज है, जो सुकून और शांति का पैरोकार है। हम उन सभी लोगों से गुजारिश करना चाहते हैं, जो पुनः याचिका का फैसला लेकर देश, समाज, कौम की अमन-सुकून की जिंदगी को एक बार फिर डिस्टर्ब करना चाहते हैं, वे अपने फैसले पर पुनरविचार करें और देश की शान्ति की बहाली के पैरोकार बनें।


 


                           भवदीय
                         जावेद बेग
                        प्रदेश प्रमुख


  डॉ एपीजे अब्दुल कलाम       सेंटर, भोपाल (मप्र) एवं 
नूरुलहसन बेग,
राष्ट्रीय अध्यक्ष,
राष्ट्र शक्ति फाउंडेशन


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