बैतूल, छिन्दवाड़ा, बालाघाट और सिवनी जिले में शुरू हुई काजू की खेती

पाल . काजू और कोको विकास निदेशालय, कोच्ची (केरल) ने प्रदेश के बैतूल, छिन्दवाड़ा, बालाघाट और सिवनी जिले की जलवायु को काजू की खेती के लिए उपयुक्त पाया है. इन जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 'रफ्तार' में इस वर्ष काजू क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम लागू कर दिया गया है. इन जिलों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग के किसानों ने कुल 1430 हेक्टेयर क्षेत्र में काजू के एक लाख 60 हजार पौधों का रोपण किया है. काजू और कोको विकास निदेशालय, कोच्ची (केरल) द्वारा किसानों को अभी तक रोपित पौधों के अतिरिक्त एक लाख 26 हजार पौधे और उपलब्ध कराये जा रहे हैं.


क्र. जिला भौतिक लक्ष्य (हेक्टेयर) वित्तीय लक्ष्य (राशि लाख में)
सामा. अजजा अजा योग सामा. अजजा अजा योग
1 बैतूल 650 250 100 1000 78.00 30.00 12.00 12.00
2 छिन्दवाड़ा 15 10 5 30 1.80 1.20 0.60 3.60
3 बालाघाट 130 40 30 200 15.60 4.80 3.60 24.00
4 सिवनी 130 40 30 200 15.60 4.80 3.60 24.00
योग 925 340 165 1430 111.00 40.80 19.80 171.60
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने इन जिलों में काजू की खेती के लिये 171.666 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है. बैतूल जिले में 1000 हेक्टेयर, छिन्दवाड़ा में 30 हेक्टेयर, बालाघाट में 200 हेक्टेयर तथा सिवनी जिले में 200 हेक्टेयर में काजू के पौधे लगाए जा रहे हैं. प्रति हेक्टेयर 200 पौधों का रोपण 7 X 7 मीटर की दूरी पर किया जा रहा है.


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