हम अहल-ए-मोहब्बत हैं फ़ना हो नहीं सकते,, ,,"असद भोपाली,,







 








कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते


हम मुजरिम-ए-तौहीन-ए-वफ़ा हो नहीं सकते






ऐ मौज-ए-हवादिस तुझे मालूम नहीं क्या


हम अहल-ए-मोहब्बत हैं फ़ना हो नहीं सकते






इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले


वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते






इक आप का दर है मिरी दुनिया-ए-अक़ीदत


ये सज्दे कहीं और अदा हो नहीं सकते






अहबाब पे दीवाने 'असद' कैसा भरोसा


ये ज़हर भरे घूँट रवा हो नहीं सकते


 



 




जब अपने पैरहन से ख़ुशबू तुम्हारी आई


घबरा के भूल बैठे हम शिकवा-ए-जुदाई






फ़ितरत को ज़िद है शायद दुनिया-ए-रंग-ओ-बू से


काँटों की उम्र आख़िर कलियों ने क्यूँ न पाई






अल्लाह क्या हुआ है ज़ोम-ए-ख़ुद-एतमादी


कुछ लोग दे रहे हैं हालात की दुहाई






ग़ुंचों के दिल बजाए खिलने के शक़ हुए हैं


अब के बरस न जाने कैसी बहार आई






इस ज़िंदगी का अब तुम जो चाहो नाम रख दो


जो ज़िंदगी तुम्हारे जाने के बाद आई








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