अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का 
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे 
- जौन एलिया

मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना 
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है 
- बशीर बद्र

अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए 
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए 
- उबैदुल्लाह अलीम


मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा 
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए 
- कृष्ण बिहारी नूर

मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें 
ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें 
- जावेद सबा

 


बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर 
पलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर 
- अज्ञात

इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी 
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे 
- बशीर बद्र

तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा 
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो 
- बशीर बद्र

 


तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँ 
छूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ 
- साग़र आज़मी

वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा 
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा 
- परवीन शाकिर

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं 
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं 
- जिगर मुरादाबादी

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से 
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से 
- जाँ निसार अख़्तर

अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो 
न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो 
- अमीर मीनाई

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