सिर्फ जुड़वां बच्चे यहां पैदा होते हैं दुनिया का रहस्यमयी गांव,

दुनिया में कई तरह की अजीबोगरीब जगहें मौजूद हैं। लेकिन अगर हम आपसे ये कहें कि एक ऐसी भी जगह है जहां सिर्फ जुड़वां लोग पैदा होते हैं तो? शायद आपको विश्वास ना हो, लेकिन ऐसी जगह कहीं और नहीं, बल्कि इंडिया में ही मौजूद है। 

कोई नहीं समझ पाया इसका रहस्य

केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित कोडिन्ही गांव में पैदा होने वाले ज्यादातर बच्चे जुड़वां होते है। पूरी दुनिया में 1000 बच्चों पर 4 जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन इस रहस्यमयी गांव में 1000 बच्चों पर 45 बच्चे पैदा होते हैं। 

औसत के हिसाब से यह पूरी दुनिया में दूसरा तथा एशिया में पहला है। इस मामले चीन-पाकिस्तान भी पीछे है। हालांकि, विश्व में पहला नंबर नाइजीरिया का इग्बो-ओरा है, जहां पर 1000 में से 145 जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। 

भारत के केरल प्रांत में स्थित इस मुस्लिम बहुल गांव की कुल आबादी 2000 है। इनमें से 250 से ज्यादा जुड़वां लोग हैं। ऐसे में आपको इस गांव में, स्कूल में और पास के बाजार में कई हमशक्ल बच्चे नजर आ जाएंगे। 

लगभग 70 साल पहले हुई थी शुरुआत 

इस गांव में रहने वाले जुड़वां जोड़ों में सबसे उम्रदराज 65 साल के अब्दुल हमीद और उनकी जुड़वा बहन कुन्ही कदिया है। ऐसा माना जाता है इस गांव में तभी से जुड़वां बच्चे पैदा होने शुरू हुए थे। शुरू में तो सालों में कोई इक्का दुक्का जुड़वा बच्चे पैदा होते थे लेकिन बाद में इसमें तेज़ी आई और अब तो बहुत ही ज्यादा रफ़्तार से जुड़वां बच्चे पैदा हो रहे हैं। इसका अंदाजा आप से लगा सकते है की कुल जुड़वां के आधे पिछले 10 सालो में पैदा हुए हैं।


कवित....... हवा मैं , बसंती हवा हूं।

भारत के महान कवियों में से एक कवि थे l कवि:- केदारनाथ अग्रवाल जिन्होंने अपने जीवन में काफी कविता लिखी जिनमे एक कविता                                                   


 हवा मैं , बसंती हवा हूं।      


सुनो बात मेरी अनोखी हवा हूं


बड़ी बावली हूं , बड़ी मस्त मौली


नहीं कुछ फिकर हैं, बड़ी ही निडर हूं


जिधर चाहती हूं , उधर घूमती हू


मुसाफिर अजब हूं ।


न घर बार मेरा, ना उद्देश्य मेरा


न इच्छा किसी की, न आशा किसी की


न प्रेमी न दुश्मन,


जिधर चाहती हूं, उधर घूमती हूं


हवा हूं हवा मैं, बसंती हवा हूं


जहां से चली मैं,जहां को गई मैं,


शहर,राम,गांव,बस्ती,नदी,रेट निर्जन


हरे खेत,पोखर,


झूलती चली मैं, झूमती चली मैं


हवा हूं हवा मैं, बसंती हवा हूं I


चढ़ी पेड़ महुआ, थपथप मचाया,


गिरी काम से फिर, चडी आम ऊपर


उसे भी साकड़ा, किया कान में को


उतरकर भागी में, हरे खेत पहुंची


वहां गेहूं में, लहर खूब मारी


पहड़   दो  पहर  क्या,


अनेकों पहर तक, इसी में रही मै।


देख खरी अलसी, लिए सिस कलसी,


मुझे खूब सुजी,    हिलाया मिला


गिर पर न कलसी ।


इसी हार को प, हलाई न सरसों,


जुलाई ना सरसो।ं


हवा हूं हवा म, बसंती हवा हूं


मुझे देखते ही, हरहरी लजाई


मनाया बनाया ना, मनी ना मानी


उसे भी ना छोड़ा ,पथिक आ रहा था


उसी पर धकेला , हंसी जोर से मैं


हंसी सब दिशाएं, हंसे लहलआते


हरे खेत सार।


हंसी चमचमाती , भरी दुपी


बसंती हवा हूं मैं, हंसी सृष्टि सारी


हवा हूं हवा मैं ,बसंती हवा हू।


PMC घोटाला बेहद चिंताजनक है लोगों का बैंकों से भरोसा उठना स्वाभाविक

इन दिनों पीएमसी बैंक घोटाला बेहद चर्चे में है .घोटाले के बारे में पता चलते ही खाताधारकों के पैरो तले जमीन खिसक गयी .कुछ लोग सदमे में चले गए ,कुछ विवश हो कर आंदोलन पर उतर आये .पीएमसी खाताधारकों को अपने ही पैसे निकालने के लिए RBI अनुमति देती है वह भी शिमित .ऐसे में लोगों की चिंता स्वाभाविक है


PMC ने अपने कुल 8800 करोड़ रुपये के कर्ज में से 73% सिर्फ एक ही कंपनी HDML को दे राखी है .HDML का दिवालिया हो चुका है साथ ही पीएमसी बैंक का भी .कम्पनी बकाया लोन नहीं चूका पायी थी फिर भी उसे लोन दिया गया .ऐसा इसलिए संभव हो पाया कि्योंकि PMC बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर BJP के मेंबर हैं .आरोप है की बैंक के प्रबंधक ने अपने नॉन परफार्मिंग एसेट और लोन वितरण के बारे में RBI को गलत जानकारी दी थी .इसके बाद RBI ने बैंक के नियुक्ति कारोबारी ट्रांसक्शन सहित अधिकांश कारोबार पर छह महीने तक के लिए पाबन्दीयाँ लगा दी है .PMC बैंक की 137 शाखाएं हैं जिसके खाताधारकों के लिए RBI ने रकम निकासी की सीमा बढाकर 40 हाजर रुपये कर दी गयी है जो पहले 25 हजार रुपये थी .बैंक ने 21000 फर्जी खाता खोले जिससे RBI की ऑडिटिंग से बची रही .कुल घोटाला 6500 करोड़ का है जिसमे डिपॉज़िटर की राशि 11000 करोड़ है .


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहती हैं कि सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं है .जब सरकार को इमरजेंसी फण्ड लेना होता है तो सरकार और RBI एक होता है जैसा कि देखा गया .लेकिन जब PMC घोटाले की बात आती है तो सारकार यह कह कर निकल जाती है की RBI इसे रेगुलेट कर रही है .देश में कई ऐसे घोटाले हुए हैं जिससे देश अभी तक उभर नहीं पाया है. • महाराष्ट्र सहकारी बैंक :25000 करोड़ की गड़बड़ी . • माधवपुरा सहकारी बैंक :45000 लोग परेशान . • पंजाब नेशनल बैंक घोटाला :11400 करोड़


ओशिवारा के रहने वाले संजय गुलाटी के PMC बैंक में 90 लाख रुपया जमा था .वह रकम निकासी पर लगायी गयी पावंदियों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गयी .परिवार में पत्नी के अलावा दो छोटे बच्चे हैं .संजय गुलाटी के अलावा और तीन लोग मर चुके हैं . भारत में डिपोसिट इन्सोरैंस सिर्फ 1 लाख रुपए की है .यानि अगर कोई बैंक के साथ घोटाला होता है तो डिपॉज़िटर्स को सिर्फ 1 लाख रुपए वापस मिलने की गारंटी है USA में यह 2 करोड़ है .सरकार हमें पहले कैशलेस इण्डिया का सपना दिखती है ,पैसे बैंक में जमा करने को कहती है और बैंक हमारी पैसे की गारंटी नहीं देती .ऐसे में लोगों का बैंकों से भरोसा उठना स्वाभाविक है . जिस तरह लोग सदमे में मारे जा रहें हैं ,PMC घोटाला बेहद चिंताजनक है ,और यह मीडिआ का सबसे सनसनीखेज खबर होना चाहिए था.


दुनिया का सबसे छोटा इन्सान , जानते हैं कौन है ।

आपको हम आज एक ऐसे इन्सान के बारे में बताने जा रहे है जो की दुनिया का सबसे छोटे इन्सान जिनका नाम चंद्र बहादुर दन्गी । जिनकी उँचाई 1 फिट 9,5 इंच है और इनका वजन सिर्फ 14 किलो ग्राम था जिसके बाद इनहोने सबसे छोटे इन्सान का रिकार्ड बनाया । ये इसलिये हुआ हुक्योकि बड़ने कि शक्ति मेडिकल मे कुच अज्ञात ओपरेसन के कारण रुक गया और कई छोटे बड़े डॉक्टर भी ये नहीं पता लगा पाए कि इनकी ग्रौथ क्यों रुक गई जो की रुक हि गया जिसके बाद और बड़ा हि नहीं दरहसल इनकी बड़ने कि छमता और रुक गई । वही ये इतने बड़े हस्ती हो गए की इन्होनें दुनिया केसबसे लम्बे इन्सान के साथ फोटो खीचाया जो की दुनिया कि सबसे छोटे और सुनिया की सबसे लम्बे इन्सान के मिलन को दिखाता हैं ।


चिड़ियाघर के बाड़े में कूदे युवक को शेर ने नहीं बनाया निवाला

शेर के बाड़े में कूदने की घटना चिड़ियाघर के कर्मचारियों में चर्चा का विषय बन गई है। हर किसी का कहना है कि रेहान की किस्मत अच्छी थी कि वह मौत के मुंह से बच निकला।


बचाव दल के एक कर्मचारी ने बताया कि 17 नंबर बाड़े में हर रोज शेर सुंदरम के लिए भोजन रखा जाता है। शाम करीब 4 से 5 बजे के आसपास उसे खाना दिया जाता है और कुछ भोजन सुबह के लिए उसके बाड़े में रख दिया जाता है। सुबह करीब 9 से 10 बजे के बीच शेर के टहलने के लिए बाड़े में मौजूद उसके पिंजरे को खोला जाता है। सुबह का खाना इसलिए रख देते हैं ताकि शेर को भूख लगे तो मांसाहारी भोजन उसे समय पर मिल सके। 


कर्मचारियों का कहना था कि बृहस्पतिवार को शेर सुंदरम ने सुबह का भोजन कर लिया था। उसका पेट भरा हुआ था और वह बाड़े में टहल रहा था। कर्मचारियों की मानें तो शेर को जब भूख नहीं होती है तो वह अपना शिकार ऐसे ही छोड़ देता है जैसा कि उसने रेहान के साथ किया। शेर भूखा होता तो इतने करीब होने के बाद शिकार के सही सलामत बचने की कोई गुंजाइश नहीं होती है।


चिड़ियाघर में शेर के बाड़े में घुसे रेहान को पता चला कि सुरक्षाकर्मी उसे बचाने आ रहे है तो उसने कहा कि मुझे मत बचाना मैं मरने आया हूं। बचाव दल ने उसे बाड़े से बाहर निकलने के लिए सीढ़ी भी दी, लेकिन वह किसी बात को मानने के लिए तैयार नहीं था। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने शेर का ध्यान भटकाकर बाड़े के दूसरे हिस्से में किया और फिर जाकर उसकी जान बचाई जा सकी।


क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) के ही एक सदस्य ने बताया कि शेर को बेहोश करने के बाद जब टीम रेहान को बाहर निकालने का प्रयास कर रही थी तो वह भागकर झाड़ी और पेड़ों के पीछे छिपने की कोशिश कर रहा था। बाड़े से बाहर निकालने के लिए कर्मचारियों ने उसकी ओर रस्सी भी फेंकी, लेकिन उसने रस्सी को पकड़ने की जरूरत ही नहीं समझी। यह देख कर्मचारी भी चकरा गए। 

इसी बीच कुछ कर्मचारी बाड़े में कूदे और रेहान को पकड़ने लगे तो वह उनसे बचने के लिए पेड़ों के पीछे जाकर छिपने लगा। दर्शक विकास यादव ने बताया कि रेहान की हरकतों से ही उसके मानसिक स्तर का पता चल रहा था। वह जब बाड़े में कूद रहा था तो गार्ड शत्रुघ्न ने उसे रोका भी था, लेकिन वह नहीं माना।

यूं घुसा बाड़े में
पुलिस के अनुसार बाड़े की एक तरफ लोहे की ग्रिल थी वहीं, दूसरी साइड में बांस की लकड़ी का बाड़ा बनाया हुआ था। रेहान बांस की लकड़ी के बाड़े पर चढ़ गया था और फिर अंदर की ओर कूद गया। पुलिस और चिड़ियाघर प्रबंधन को बाड़े के बाहर लकड़ी की बल्ली टूटी मिली है। बताया जा रहा है कि बल्ली के टूटे होने का कारण पता लगाया जा रहा है कि आखिर इसे रेहान ने तोड़ या फिर बल्ली कमजोर थी, जो उसके भार से टूट गई।

5 साल पहले बाघ विजय ने युवक को मार डाला था
चिड़ियाघर में घुसकर शेर के बाड़े में कूद जाने की घटना ने चिड़ियाघर प्रबंधन पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। सुरक्षा से जुड़ी इस तरह की लापरवाही पर फिलहाल प्रबंधन खामोश हैं। 

इससे पहले भी दिल्ली चिड़ियाघर में ऐसी घटना देखने को मिल चुकी है। शेर के बाड़े में रेहान के कूदने और वहां से बच निकलने की घटना के बाद हर किसी के जेहन में पांच साल पहले घटी घटना ताजा हो गई। सितंबर 2014 में विजय नामक सफेद बाघ एक युवक को गर्दन से खींचते हुए अपने बाड़े में ले गया था और फिर उसको मार दिया था। उस वक्त भी युवक को बचाने के लिए दर्शक चीखते रह गए। 

उन्हीं में से कुछ ने फोन पर वीडियो बनाई थी जो सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हुई थी। वीडियो में युवक हाथ जोड़ता हुआ बाघ के सामने बैठा था। उस घटना में युवक की जान चली गई थी। बाद में पुलिस ने उसकी पहचान मकसूद के रूप में सार्वजनिक की थी। मकसूद चिडिय़ाघर घूमने आया था और बाघ को पत्थर मार रहा था।

फतेह सिंह को कर दिया घायल
कुछ ही समय पहले चिड़ियाघर कर्मचारी फतेह सिंह भी बंगाल टाइगर के हमले के शिकार हुए थे। हालांकि टाइगर के बीमार होने के कारण उनका बचाव हो गया। वह बंगाल टाइगर के बाड़े में पानी रख रहे थे। इसी बीच उसने हमला कर दिया। इस घटना में फतेह सिंह का एक हाथ लहुलूहान हो गया था।


ग्वालियर के डबरा के समूदन में 17 गायों की मृत्यु की खबर बेहद दुखद

मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में बीस दिन तक कमरे में बंद कर भूखा-प्यासा रखे जाने से सत्रह गायों की मौत का मामला सामने आया है। बेदर्द गांव वालों ने इन गायों को ऐसे कमरे में बंद किया था जहां सूर्य का उजाला तक नहीं था। ऐसे में बीस दिन चारा-पानी नहीं मिलने से उनकी मौत हो गई। पुलिस ने मामले में 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

जानकारी के अनुसार जिले के डबरा शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर समूदन गांव में कमरे में बंद रखी गईं 17 गायों की भूख-प्यास से तड़पकर मौत होने की खबर है। इन गायों को ग्रामीणों ने ही कमरे में बंद किया था। इस कमरे के पास ही दो स्कूल, पंचायत भवन, जनमित्र केंद्र और आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं। बुधवार को कमरे से बदबू आने पर गांव की सरपंच के पति बलवीर सिंह, पंचायत सचिव प्रदीप राणा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रेमाबाई को गायों की मौत की जानकारी मिली थी। आरोप है कि इन सभी ने मामले को दबाने का प्रयास किया।

इसके लिए रात में ही कमरे की दीवार जेसीबी से तोड़ी गई और आंगनबाड़ी केंद्र के बाहर ही मरी गायों को दफनाने का प्रयास किया। इसके लिए रात में ही कमरे की दीवार जेसीबी से तोड़ी गई और आंगनबाड़ी केंद्र के बाहर ही मरी गायों को दफनाने का प्रयास किया। गुरुवार को प्रदेश की मंत्री इमरती देवी, कलेक्टर अनुराग चौधरी मौके पर पहुंचे और एसडीएम को जांच करने के निर्देश देते हुए शुक्रवार को रिपोर्ट देने के लिए कहा।

मुख्यमंत्री कमलनाथ के ट्वीट पर जागा प्रशासन
घटना को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दोपहर में एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- ग्वालियर के डबरा के समूदन में 17 गायों की मृत्यु की खबर बेहद दुखद है। निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं। हम गो माता की रक्षा और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत और वचनबद्ध हैं। ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जा सकती हैं। इस ट्वीट के बाद रात में कलेक्टर-एसपी सहित अधिकारी मौके पर पहुंचे।


मोदी मिलें तो क्या कहोगी', मॉडल के जवाब ने.....................

ब्यूटी कॉन्टेस्ट में पूछा गया, 'मोदी मिलें तो क्या कहोगी', मॉडल के जवाब ने इंटरनेट तोड़ दिया


कोहिमा. नागालैंड की राजधानी है. यहां पर 5 अक्टूबर को मिस कोहिमा ब्यूटी पीजेंट 2019 का फाइनल राउंड हो रहा था. इसमें तीन विनर्स को चुना जा रहा था. उनसे सवाल किए जा रहे थे. अब इसमें एक कंटेस्टेंट थीं, उनसे जज ने सवाल किया. पूछा कि


इस पर जो उस कंटेस्टेंट ने जवाब दिया, अब वो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.


इसमें कह रही हैं कि अगर उन्हें पीएम मोदी बातचीत के लिए आमंत्रित करेंगे तो मैं उनसे कहूंगी कि वह गायों के बजाय महिलाओं पर ज़्यादा ध्यान दें. उन पर फोकस करें. इस सवाल से ये कंटेस्टेंट पहले स्थान पर तो नहीं आईं, पर इन्हें सेकेंड रनरअप का खिताब जरूर मिला. इनकी उम्र 18 साल है और ये एक स्टूडेंट हैं.


भारत के इतिहास में रजिया सुल्तान का नाम स्वर्ण अक्षरों में इसलिए लिखा जाता है क्योंकि उसे भारत की प्रथम महिला शाषक होने का गर्व प्राप्त है |

भारत के इतिहास में रजिया सुल्तान का नाम स्वर्ण अक्षरों में इसलिए लिखा जाता है क्योंकि उसे भारत की प्रथम महिला शाषक होने का गर्व प्राप्त है | दिल्ली सल्तनत  के दौर में जब बेगमो को सिर्फ महलो के अंदर आराम के लिए रखा जाता था वही रजिया सुल्तान  से महल से बाहर निकलकर शाषन की बागडोर सम्भाली थी |  रजिया सुल्तान ने अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान भी लिया था जिसकी बदौलत उसे दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शाषक बनने का गौरव मिला था | उसने दुसरे सुल्तान की पत्नियों की तरह खुद को “सुल्ताना” कहलवाने के बजाय सुल्तान कहलवाया था क्योंकि वो खुद को किसी पुरुष से कम नही मानती थी | आइये आज आपको उसी जाबांज महिला शाषक की जीवनी से आपको रूबरू करवाते है |


रज़ीया सुल्ततान ने सबसे पहले अपने करिश्माई व्यक्तित्व का प्रदर्शन दिल्ली की प्रजा को अपने सुल्तान पद पर स्थापित होने के लिए समर्थन प्राप्त करने के लिए किया. उसने दिल्ली की प्रजा से न्याय मांग पर रुकनुदीन फिरोज के विरुध विद्रोह का माहौल पैदा कर दिया. वह कूटनीति में चतुर थी अत: अपनी चतुराई का प्रदर्शन करते हुए उसने तुर्क ए चहलगानी की महत्वकांक्षा और एकाधिकार को तोड़ने का प्रयास किया.इसके अलावा विद्रोही अमीरों में आपस में फूट पैदा करवा दी और उन्हें राजधानी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और दिल्ली में सुल्तान के पद पर आसीन हुई.


रज़ीया सुल्ततान ने शासन पर 3 साल 6 महीने तथा 6 दिन राज किया. रज़िया ने पर्दा प्रथा का त्याग किया तथा पुरुषो की तरह खुले मुंह ही राजदरबार में जाती थी. रज़िया के शासन का बहुत जल्द अंत हो गया लेकिन उसने सफलता पूर्वक शासन चलाया, रज़िया में शासक के सभी गुण मौजूद थे लेकिन उसका स्त्री होना इन गुणों पर भारी था. अत: उसके शासन का पतन उसकी व्यकतिगत असफलता नहीं थी.


रज़िया सुल्तान ने शासन पर 3 साल 6 महीने तथा 6 दिन राज किया. रज़िया ने पर्दा प्रथा का त्याग किया तथा पुरुषो की तरह खुले मुंह ही राजदरबार में जाती थी. रज़िया के शासन का बहुत जल्द अंत हो गया लेकिन उसने सफलता पूर्वक शासन चलाया, रज़िया में शासक के सभी गुण मौजूद थे लेकिन उसका स्त्री होना इन गुणों पर भारी था. अत: उसके शासन का पतन उसकी व्यकतिगत असफलता नहीं थी.


रजिया सुल्तान के कार्य :


अपने शाषनकाल में  रजिया सुल्ततान अपने पुरे राज्य में कानून की व्यवस्था को उचित ढंग से करवाया | उसने व्यापार को बढ़ाने के लिए इमारतो के निर्माण करवाए , सडके बनवाई और कुवे खुदवाए | उसने अपने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई विद्यालयों , संस्थानों , खोज संस्थानों और राजकीय पुस्तकालयों का निर्माण करवाया | उसने सभी संस्थानों में मुस्लिम शिक्षा के साथ साथ हिन्दू शिक्षा का भी समन्वय करवाया | उसने कला और संस्कृति को बढ़ाने के लिए कवियों ,कलाकारों और संगीतकारो को भी प्रोत्साहित किया था |


सरदारों की मनमानी :


इल्तुतमिश के इस फ़ैसले से उसके दरबार के सरदार अप्रसन्न थे। वे एक स्त्री के समक्ष नतमस्तक होना अपने अंहकार के विरुद्ध समझते थे। उन लोगों ने मृतक सुल्तान की इच्छाओं का उल्लघंन करके उसके सबसे बड़े पुत्र रुकुनुद्दीन फ़ीरोज़शाह को, जो अपने पिता के जीवन काल में बदायूँ तथा कुछ वर्ष बाद लाहौर का शासक रह चुका था, सिंहासन पर बैठा दिया। यह चुनाव दुर्भाग्यपूर्ण था। रुकुनुद्दीन शासन के बिल्कुल अयोग्य था। वह नीच रुचि का था। वह राजकार्य की उपेक्षा करता था तथा राज्य के धन का अपव्यय करता था। 


उसकी माँ शाह तुर्ख़ान के, जो एक निम्न उदभव[1] की महत्त्वाकांक्षापूर्ण महिला थी, कार्यों से बातें बिगड़ती ही जा रही थीं। उसने सारी शक्ति को अपने अधिकार में कर लिया, जबकि उसका पुत्र रुकनुद्दीन भोग-विलास में ही डूबा रहता था। सारे राज्य में गड़बड़ी फैल गई। बदायूँ, मुल्तान, हाँसी, लाहौर, अवध एवं बंगाल में केन्द्रीय सरकार के अधिकार का तिरस्कार होने लगा। दिल्ली के सरदारों ने, जो राजमाता के अनावश्यक प्रभाव के कारण असन्तोष से उबल रहे थे, उसे बन्दी बना लिया तथा रज़िया को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा दिया। रुकनुद्दीन फ़िरोज़ को, जिसने लोखरी में शरण ली थी, क़ारावास में डाल दिया गया। जहाँ 1266 ई. में 9 नवम्बर को उसके जीवन का अन्त हो गया।


अमीरों से संघर्ष :


अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए रज़िया को न केवल अपने सगे भाइयों, बल्कि शक्तिशाली तुर्की सरदारों का भी मुक़ाबला करना पड़ा और वह केवल तीन वर्षों तक ही शासन कर सकी। यद्यपि उसके शासन की अवधि बहुत कम थी, तथापि उसके कई महत्त्वपूर्ण पहलू थे। रज़िया के शासन के साथ ही सम्राट और तुर्की सरदारों, जिन्हें चहलग़ानी (चालीस) कहा जाता है, के बीच संघर्ष प्रारम्भ हो गया।


कब्र पर विवाद :


        दिल्ली के तख्त पर राज करने वाली एकमात्र महिला शासक रजिया सुल्तान व उसके प्रेमी याकूत की कब्र का दावा तीन अलग अलग जगह पर किया जाता है। रजिया की मजार को लेकर इतिहासकार एक मत नहीं है। रजिया सुल्ताना की मजार पर दिल्ली, कैथल एवं टोंक अपना अपना दावा जताते आए हैं। लेकिन वास्तविक मजार पर अभी फैसला नहीं हो पाया है। वैसे रजिया की मजार के दावों में अब तक ये तीन दावे ही सबसे ज्यादा मजबूत हैं। इन सभी स्थानों पर स्थित मजारों पर अरबी फारसी में रजिया सुल्तान लिखे होने के संकेत तो मिले हैं लेकिन ठोस प्रमाण नहीं मिल सके हैं। राजस्थान के टोंक में रजिया सुल्तान और उसके इथियोपियाई दास याकूत की मजार के कुछ ठोस प्रमाण मिले हैं।

यहां पुराने कबिस्तान के पास एक विशाल मजार मिली है जिसपर फारसी में 'सल्तने हिंद रजियाह' उकेरा गया है। पास ही में एक छोटी मजार भी है जो याकूत की मजार हो सकती है। अपनी भव्यता और विशालता के आकार पर इसे सुल्ताना की मजार करार दिया गया है। स्थानीय इतिहासकार का कहना है कि बहराम से जंग और रजिया की मौत के बीच एक माह का फासला था। इतिहासकार इस एक माह को चूक वश उल्लेखित नहीं कर पाए और जंग के तुरंत बाद उसकी मौत मान ली गई। जबकि ऐसा नहीं था। जंग में हार को सामने देख याकूत रजिया को लेकर राजपूताना की तरफ निकल गया। वह रजिया की जान बचाना चाहता था लेकिन आखिरकार उसे टोंक में घेर लिया गया और यहीं उसकी मौत हो गई।


भारतीय मुसलमानों द्वारा बनाई गयी ये इमारतें अमर हैं

हिन्दुस्तान: हमेशा से विशाल और अनैक धर्मो की एकता के लिए विश्व में प्रसिद्ध है| आज भी यहाँ कई ऐसी इमारते और स्मारक मौजूद है जो की भारत के गौरवशाली इतिहास की कहानियों को बयां करती है| भारत हमेशा से ही अपनी ऐतिहासिक इमारतों को लेकर विश्व में मशहूर है जिसकी वजह से आये दिन हज़ारों विदेशी यात्री और पर्यटक भारत घूमने आते हैं| यह इमारतें कोई और नहीं बल्कि मुस्लिम राजाओं द्वारा बनवाई गयी थी जिनको आज तक ना तो कोई नक़ल कर सका है और शायद आगे भी नहीं हो पायेगी| हम बात कर रहे हैं ऐसी ही कुछ इमारतों की जिन्हें दुनियां के कई देशो में दोबारा बनाने की कोशिश तो की गई लेकिन वह सफल नहीं हो पाये।


भारत की 10 सबसे मशहूर इमारतें और स्मारक जिनको मुसलमानों द्वारा बनवाया गया-



ताज महल: यह दुनिया की वो इमारत है जिसको दुनिया के साथ अजूबों में शामिल किया है| पूरी दुनियां इसको मोहब्बत की निशानी के नाम से जानती है क्यूंकि इसको मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में बन बाया था| बता दें कि ताजमहल के अन्दर बादशाह शाहजहाँ और मुमताज़ का मकबरा है जो ताजमहल का मुख्य आकषण है|


 



लाल किला: लाल किला प्रसिद्ध किले 'ए' मोअल्ला का नया नाम है जो शाहजानाबाद का केंद्र बिंदु होने के साथ उस समय की राजधानी भी था| लाल किले को 17 वीं सदी के दौरान स्थापित किया गया था| बता दें कि इस किले का निर्माण उस्ताद अहमद द्वारा 1639 में शुरू हुआ जो 1648 तक जारी रहा|यह किला दुनियां के विशाल महलो में से एक है जो 2.41 किलोमीटर में फैला हुआ है| वहीँ इस किले में दो मुख्य द्वार है जिन को लाहौर गेट और दिल्ली गेट कहा जाता है जिसे उस्ताद अहमद के शाही परिवार के लिए बनवाया गया था



क़ुतुब मीनार: दिल्ली के क़ुतुब परिसर में मौजूद यह सबसे प्रसिद्ध संरचना है| इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में यह देश की सबसे ऊंची मीनार है| जानकारी के लिए बता दें कि इस की ऊंचाई 72.5 मीटर है| इसे 1193 से 1368 के बीच में क़ुतुब-अल-दीन ऐबक ने एक विजय स्तंभ के रूप में बन बया था जो आज भी भारत की एक देखने वाली संरचना है।


 



चार मीनार : यह इमारत हैदराबाद की खास पहचान मानी जाती है जिसको मोहम्मद क़ुतुब शाही द्वारा 1591 में बनवाया था| जिस के नाम से साफ जाहिर होता है की इस इमारत में चार टावर है| यह भब्य ईमारत प्राचीन काल की वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना माना जाता है| आपको बता दें कि इस टावर में चार चमक-धमक वाली मीनारे है जो चार मेहराब से जुडी हुई है जो मीनार को सहारा देती है| बता दें कि जब क़ुतुब शाही ने गोलकुंडा के स्थान को अपनी नई राजधानी बनाया था यह उस वक़्त बनवाई गयी थी और यह वाकई में आज भी काबिले तारीफ है।


 



बड़ा इमाम बाड़ा : लखनऊ मे गोमती नदी के किनारे पर बना यह बड़ा इमाम बाड़ा नवाब आसफुद्दोला द्वारा बनवाया गया था| बता दें कि इस इमारत को बनाने मे कोई धातु या लोहे का इस्तेमाल नहीं हुआ और न ही किसी खम्बे का इस्तेमाल किया गया लेकिन इसके बावजूद भी यह इमारत 50 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़ा हॉल है इसे सिर्फ ईटो से बनाकर निर्माण किया गया था| आपको बता दें कि इसकी उचाई 15 मीटर है और लगभग 20,000 टन बजनी छत बिना किसी बीम के सहारे मजबूती से टिकी हुई है|बता दें कि इसको देखकर दुनिया के बड़े बड़े इंजीनियर भी सोचते रह जाते है आखिर ये कैसे संभव है| इस इमारत को खाद्य पद्धार्तो से मिलकर बनाया गया है और इसकी दीवारे उडद की दाल चुने आदि का मिश्रण से तैयार किया गया है|



जामा मस्जिद : यह दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और विशाल मस्जिदों में से एक है| यह दिल्ली में स्थित है जिसमे एक बार में 25,000 से ज्यादा लोग समा सकते हैं| इसको मुग़ल शासक शाह जहाँ द्वारा 1644 में बनवाया गया था जिसने ताज महल और लाल किला जैसी प्रसिद्ध इमारतों का निर्माण किया था| इस मस्जिद में तीन मुख्य द्वार, चार टावर और दो 40 मीटर विशाल मीनारें मौजूद हैं| जिसको लाल पत्थर और सफ़ेद संग्गेमर्मर से बनवाया गया था|


 



हुमायूँ का मकबरा : यह दुनिया भर में मुग़ल शासक हुमायूँ की आखरी मंज़िल के नाम से भी जानी जाती है क्यूंकि इसके अंदर हुमायूं का मकबरा मौजूद है| यह दिल्ली में स्थित है और मुग़ल शासन काल द्वारा बनाई गयी इमारतों में से एक है| इसे मुग़ल शासकों द्वारा बनवाई गयी पहेली इमारत के लिए भी मशहूर है जिससे प्रेरित हो कर शाह जहाँ ने ताज महल बनवाया था|


 



ताज-उल-मसाजिद : यह एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है जो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है| इस मस्जिद का काम मुग़ल शासक भहदुर शाह ज़फर ने अपनी बेगम के नाम पर 1844–1860 में शुरू किया था जिसको बाद में उनकी बेटी सुलतान जहाँ बेगम ने पूरा किया था| बता दें कि यह विशाल मस्जिद का निर्माण पैसों की कमी की वजह से रुक गया था जिसे बाद में बहादुर शाह ज़फर की बेटी ने पूरा करवाया था|


गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का पूरा सच

गांधी के जिस हत्यारे को आजकल महिमामंडित करने का प्रयास किया जा रहा है, उसके बारे में यह जानना दिलचस्प है कि वह गांधी की हत्या से पहले तक क्या था? क्या वह चिंतक था, ख्याति प्राप्त राजनेता था, हिंदू महासभा का जिम्मेदार पदाधिकारी या स्वतंत्रता सेनानी था?

 



महात्मा गांधी की हत्या के मुख्य अभियुक्त नाथूराम गोडसे को महिमामंडित करने के जो प्रयास इन दिनों किए जा रहे हैं, वे नए नहीं हैं। गोडसे का संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बताया जाता रहा है और इसीलिए गांधीजी की हत्या के बाद देश के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था।





हालांकि संघ गोडसे से अपने संबंधों को हमेशा नकारता रहा है और अपनी इस सफाई को पुख्ता करने के लिए वह गोडसे को गांधी का हत्यारा भी मानता है और उसके कृत्य को निंदनीय करार भी देता है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के सत्तारूढ़ होने के बाद ही गोडसे को महिमामंडित करने का सिलसिला तेज हो गया?


इस सिलसिले में एकाएक उसका मंदिर बनाने के प्रयास शुरू हो गए। उसकी 'जयंती' और 'पुण्यतिथि' मनाई जाने लगी। उसे 'चिंतक' और यहां तक कि 'स्वतंत्रता सेनानी' और 'शहीद' भी बताया जाने लगा। सवाल है कि पांच साल पहले केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के साथ ही गोडसे भक्तों के इस पूरे उपक्रम के शुरू होने को क्या महज संयोग माना जाए या कि यह सबकुछ किसी सुविचारित योजना के तहत हो रहा है?


गांधी के जिस हत्यारे को इस तरह महिमामंडित किया जा रहा है, उसके बारे में यह जानना दिलचस्प है कि वह गांधी की हत्या से पहले तक क्या था? क्या वह चिंतक था, ख्याति प्राप्त राजनेता था, हिंदू महासभा का जिम्मेदार पदाधिकारी या स्वतंत्रता सेनानी था? दरअसल नाथूराम गोडसे कभी भी इतनी ऊॅंचाइयों के दूर-दूर तक भी नहीं पहुंच पाया था। पुणे शहर के उसके मोहल्ले सदाशिव पेठ के बाहर उसे कोई नहीं जानता था, जबकि तब वह चालीस वर्ष की आयु के समीप था।


नाथूराम स्कूल से भागा हुआ छात्र था। नूतन मराठी विद्यालय में मिडिल की परीक्षा में फेल हो जाने पर उसने पढ़ाई छोड दी थी। उसका मराठी भाषा का ज्ञान कामचलाऊ था। अंग्रेजी का ज्ञान होने का तो सवाल ही नहीं उठता। उसके पिता विनायक गोडसे डाकखाने में बाबू थे, जिनकी मासिक आय पांच रुपये थी। नाथूराम अपने पिता का लाडला था क्योंकि उसके पहले जन्मे उनके सभी पुत्र मर गए थे।


इसीलिए अंधविश्वास के वशीभूत होकर मां ने नाथूराम की परवरिश बेटी की तरह की। उसे नाक में नथ पहनाई जिससे उसका नाम नाथूराम हो गया। नाथूराम के बाद उसके माता-पिता को तीन और पुत्र पैदा हुए थे जिनमें एक था गोपाल, जो नाथूराम के साथ गांधी-हत्या में सह अभियुक्त था।


नाथूराम की युवावस्था किसी खास घटना अथवा विचार के लिए नहीं जानी जाती। उस समय उसके हमउम्र लोग भारत में क्रांति का अलख जगा रहे थे, जेल जा रहे थे, शहीद हो रहे थे। स्वाधीनता संग्राम की इस हलचल से नाथूराम का जरा भी सरोकार नहीं था। अपने नगर पुणे में वह रोजी-रोटी के ही जुगाड में लगा रहता था। इस सिलसिले में उसने सांगली शहर में दर्जी की दुकान खोल ली थी। उसके पहले वह बढ़ई का काम भी कर चुका था और फलों का ठेला भी लगा चुका था।


पुणे में मई 1910 में जन्मे नाथूराम के जीवन की पहली खास घटना थी सितम्बर 1944 में जब हिंदू महासभा के नेता लक्ष्मण गणेश थट्टे ने सेवाग्राम में धरना दिया था। उस समय महात्मा गांधी भारत के विभाजन को रोकने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना से वार्ता करने मुंबई जाने वाले थे। चौतीस वर्षीय नाथूराम, थट्टे के सहयोगी प्रदर्शनकारियों में शरीक था।


उसका इरादा ख़ंजर से बापू पर हमला करने का था, लेकिन आश्रमवासियों ने उसे पकड़ लिया था। उसके जीवन की दूसरी बड़ी घटना थी एक वर्ष बाद यानी 1945 की, जब ब्रिटिश वायसराय ने भारत की स्वतंत्रता पर चर्चा के लिए राजनेताओं को शिमला आमंत्रित किया था। तब नाथूराम पुणे की किसी अनजान पत्रिका के संवाददाता के रूप मे वहां उपस्थित था।


गांधीजी की हत्या के बाद जब नाथूराम के पुणे स्थित आवास तथा मुंबई में उसके के घर पर छापे पडे थे तो मारक अस्त्रों का भंडार पकडा गया था जिसे उसने हैदराबाद के निजाम पर हमला करने के नाम पर बटोरा था। यह अलग बात है कि इन असलहों का उपयोग कभी नहीं किया गया। मुंबई और पुणे के व्यापारियों से अपने हिंदू राष्ट्र संगठन के नाम पर नाथूराम ने बेशुमार पैसा जुटाया था जिसका उसने कभी कोई लेखा-जोखा किसी को नहीं दिया।


उपरोक्त सभी तथ्यों का बारीकी से परीक्षण करने पर निष्कर्ष यही निकलता है कि अत्यंत कम पढ़ा-लिखा नाथूराम एक टपोरी किस्म का व्यक्ति था जिसे कतिपय हिंदू उग्रवादियों ने गांधी की हत्या के लिए भाड़े पर रखा हुआ था।


जेल में उसकी चिकित्सा रपटों से पता चलता है कि उसका मस्तिष्क अधसीसी के रोग से ग्रस्त था। यह अड़तीस वर्षीय बेरोज़गार, अविवाहित और दिमागी बीमारी से त्रस्त नाथूराम किसी भी मायने में सामान्य मन:स्थिति वाला व्यक्ति नहीं था। उसने 30 जनवरी, 1948 से पहले गांधीजी की हत्या का प्रयास 20 जनवरी, 1948 को भी किया था। अपने सहयोगी मदनलाल पाहवा के साथ मिलकर नई दिल्ली के बिडला भवन पर बम फेंका था, जहां गांधीजी दैनिक प्रार्थना सभा कर रहे थे। बम का निशाना चूक गया था। पाहवा पकड़ा गया था, मगर नाथूराम भागने में सफल होकर मुंबई में छिप गया था।


दस दिन बाद वह अपने अधूरे काम को पूरा करने करने के लिए फिर दिल्ली आया था। नाथूराम को उसके प्रशंसक एक धर्मनिष्ठ हिंदू के तौर पर भी प्रचारित करते रहे हैं लेकिन तीस जनवरी की ही शाम की एक घटना से साबित होता कि नाथूराम कैसा और कितना धर्मनिष्ठ था? गांधीजी पर तीन गोलियां दागने के पूर्व वह उनका रास्ता रोककर खड़ा हो गया था।


पोती मनु ने नाथूराम से एक तरफ हटने का आग्रह किया था क्योंकि गांधीजी को प्रार्थना के लिए देरी हो गई थी। धक्का-मुक्की में मनु के हाथ से पूजा वाली माला और आश्रम भजनावाली जमीन पर गिर गई थी। लेकिन नाथूराम उसे रौंदता हुआ ही आगे बढ़ गया था, 20वीं सदी का जघन्यतम अपराध करने।


जो लोग नाथूराम गोडसे से जरा भी सहानुभूति रखते हैं उन्हें इस निष्ठुर हत्यारे के बारे में एक और प्रमाणित तथ्य पर गौर करना चाहिए। गांधीजी को मारने के दो सप्ताह पहले नाथूराम ने काफी बड़ी राशि का अपने जीवन के लिए बीमा करवा लिया था ताकि उसके पकड़े और मारे जाने पर उसका परिवार आर्थिक रूप से लाभान्वित हो सके। एक कथित ऐतिहासिक मिशन को लेकर चलने वाला व्यक्ति बीमा कंपनी से हर्जाना कमाना चाहता था।


अदालत में मृत्युदंड से बचने के लिए नाथूराम के वकील ने दो चश्मदीद गवाहों के बयानों में विरोधाभास का सहारा लिया था। उनमें से एक ने कहा था कि पिस्तौल से धुआं नहीं निकला था। दूसरे ने कहा था कि गोलियां दगी थी और धुआं निकला था। नाथूराम के वकील ने दलील दी थी कि धुआं नाथूराम की पिस्तौल से नहीं निकला, अत: हत्या किसी और की पिस्तौल से हो सकती है। मामले को कुछ मुंबइयां फिल्मों जैसा रचने का एक भौंडा प्रयास था। मकसद था कि नाथूराम संदेह का लाभ पाकर छूट जाए।


नाथूराम का मकसद कितना पैशाचिक रहा होगा, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि गांधीजी की हत्या के बाद पकड़े जाने पर खाकी निकर पहने नाथूराम ने अपने को मुसलमान बताने की कोशिश की थी। इसके पीछे उसका मकसद देशवासियों के रोष का निशाना मुसलमानों को बनाना और उनके खिलाफ हिंसा भड़काना था।


ठीक उसी तरह जैसे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के साथ हुआ था। पता नहीं किन कारणों से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हत्यारे के नाम का उल्लेख नहीं किया लेकिन उनके संबोधन के तुरंत बाद गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने आकाशवाणी भवन जाकर रेडियो पर देशवासियों को बताया कि बापू का हत्यारा एक हिंदू है। ऐसा करके सरदार पटेल ने मुसलमानों को अकारण ही देशवासियों का कोपभाजन बनने से बचा लिया।


कोई भी सच्चा क्रांतिकारी या आंदोलनकारी जेल में अपने लिए सुविधाओं की मांग नहीं करता है। लेकिन नाथूराम ने गांधीजी को मारने के बाद अंबाला जेल के भीतर भी अपने लिए सुविधाओं की मांग की थी, जिसका कि वह किसी भी तरह से हक़दार नहीं था। वैसे भी उसे स्नातक या पर्याप्त शिक्षित न होने के कारण पंजाब जेल नियमावली के मुताबिक साधारण कैदी की तरह ही रखा जाना था।


नाथूराम और उसके सह अभियुक्तों की देशभक्ति के पाखंड की एक और बानगी देखिए: वह आजाद भारत का बाशिंदा था और उसे भारतीय कानून के तहत ही उसके अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। फिर भी उसने अपने मृत्युदंड के फैसले के ख़िलाफ़ लंदन की प्रिवी कांउसिल में अपील की थी। उसका अंग्रेज वकील था जान मेगा। अंग्रेज जजों ने उसकी अपील को खारिज कर दिया था।


गांधीजी की हत्या का षडयंत्र रचने में नाथूराम का भाई गोपाल गोडसे भी शामिल था, जो अदालत में जिरह के दौरान खुद को गांधी-हत्या की योजना से अनजान और बेगुनाह बताता रहा। अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। गोपाल जेल में हर साल गांधी जयंती के कार्यक्रम में बढ-चढकर शिरकत करता था। ऐसा वह प्रायश्चित के तौर पर नहीं बल्कि अपनी सजा की अवधि में छूट पाने के लिए करता था, क्योंकि जेल के नियमों के मुताबिक ऐसा करने पर सजा की अवधि में छूट मिलती है।


तो इस तरह गोपाल गोडसे अपनी सजा की पूरी अवधि के पहले ही रिहाई पा गया था। महात्मा गांधी को मुस्लिम परस्त मानने वाले इस तथाकथित हिंदू ह्दय सम्राट के पुणे में सदाशिव पेठ स्थित घर का नंबर 786 था जिसके मायने होते हैं : बिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रहीम। सदाशिव पेठ में वह अक्सर गुर्राता था कि उसका भाई नाथूराम शहीद है। वह खुद को भी एक राष्ट्रभक्त आंदोलनकारी बताता था और बेझिझक कहा करता था कि एक अधनंगे और कमजोर बूढ़े की हत्या पर उसे कोई पश्चाताप अथवा अफ़सोस नहीं है।


नाथूराम के साथ जिस दूसरे अभियुक्त को फांसी दी गई थी वह था नारायण आप्टे। नाथूराम का सबसे घनिष्ठ दोस्त और सहधर्मी। ब्रिटिश वायुसेना में नौकरी कर चुका आप्टे पहले पहले गणित का अध्यापक था और उसने अपनी एक ईसाई छात्रा मनोरमा सालवी को कुंवारी माँ बनाने का दुष्कर्म किया था। हालांकि उसकी पत्नी और एक विकलांग पुत्र भी था। शराबप्रेमी आप्टे ने गांधी हत्या से एक दिन पूर्व यानी 29 जनवरी, 1948 की रात पुरानी दिल्ली के एक वेश्यालय में गुजारी थी और उस रात को उसने अपने जीवन की यादगार रात बताया था। यह तथ्य उससे संबंधित अदालती दस्तावेजों में दर्ज है।


गांधी हत्याकांड का चौथा अभियुक्त विष्णु रामकृष्ण करकरे हथियारों का तस्कर था। उसने अनाथालय में परवरिश पाई थी। गोडसे से उसका परिचय हिंदू महासभा के कार्यालय में हुआ था। एक अन्य अभियुक्त दिगम्बर रामचंद्र बडगे जो सरकारी गवाह बना और क्षमा पा गया, पुणे में शस्त्र भण्डार नामक दुकान चलाता था। नाटे कद वाले बडगे ने अपनी गवाही में विनायक दामोदर सावरकर को हत्या की साजिश का सूत्रधार बताया था लेकिन पर्याप्त सबूतों के अभाव में सावरकर बरी हो गए थे।


इन दिनों कुछ सिरफिरे और अज्ञानी लोग योजनाबद्ध तरीके से नाथूराम गोडसे को उच्चकोटि का चिंतक, देशभक्त और अदम्य नैतिक ऊर्जा से भरा व्यक्ति प्रचारित करने में जुटे हुए हैं। यह प्रचार सोशल मीडिया के माध्यम से चलाया जा रहा है। उनके इस प्रचार का आधार नाथूराम का वह दस पृष्ठीय वक्तव्य है जो बड़े ही युक्तिसंगत, भावुक और ओजस्वी शब्दों में तैयार किया गया था और जिसे नाथूराम ने अदालत में पढ़ा था। इस वक्तव्य में उसने बताया था कि उसने गांधीजी को क्यों मारा। कई तरह के झूठ से भरे इस वक्तव्य में दो बड़े और हास्यास्पद झूठ थे।


एक यह कि गांधीजी गोहत्या का विरोध नहीं करते थे और दूसरा यह कि वे राष्ट्रभाषा के नहीं, अंग्रेजी के पक्षधर थे। दरअसल, यह वक्तव्य खुद गोडसे का तैयार किया हुआ नहीं था। वह कर भी नहीं सकता था, क्योंकि न तो उसे मराठी का भलीभांति ज्ञान था, न ही हिंदी का, अंग्रेजी का तो बिल्कुल भी नहीं। अलबत्ता उस समय दिल्ली में ऐसे कई हिंदूवादी थे जिनका हिंदी और अंग्रेजी पर समान अधिकार और प्रवाहमयी शैली का अच्छा अभ्यास था। इसके अलावा वे वैचारिक तार्किकता में भी पारंगत थे। माना जा सकता है कि उनमें से ही किसी ने नाथूराम की ओर से यह वक्तव्य तैयार कर जेल में उसके पास भिजवाया होगा और जिसे नाथूराम ने अदालत में पढ़ा होगा।


आप्टे की फांसी के दिन (15 नवम्बर 1949) अम्बाला जेल के दृश्य का आंखों देखा हाल न्यायमूर्ति जीडी खोसला ने अपने संस्मरणों में लिखा है, जिसके मुताबिक गोडसे तथा आप्टे को उनके हाथ पीछे बांधकर फांसी के तख्ते पर ले जाया जाने लगा तो गोडसे लड़खड़ा रहा था। उसका गला रूधा था और वह भयभीत और विक्षिप्त दिख रहा था।


आप्टे उसके पीछे चल रहा था। उसके भी माथे पर डर और शिकन साफ दिख रही थी। तो ऐसे 'बहादुर', 'चरित्रवान' और 'देशभक्त' थे ये हिंदू राष्ट्र के स्वप्नदृष्टा, जिन्होंने एक निहत्थे बूढे, परम सनातनी हिंदू और राम के अनन्य-आजीवन भक्त का सीना गोलियों से छलनी कर दिया। ऐसे हत्यारों को प्रतिष्ठित करने के प्रयास तो शर्मनाक है ही, ऐसे प्रयासों पर सत्ता में बैठे लोगों की चुप्पी भी कम शर्मनाक और ख़तरनाक नहीं।


(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं।)


(नोट : यह लेख महात्मा गांधी की हत्या के सह अभियुक्त और नाथूराम गोडसे के छोटे भाई गोपाल गोडसे की पुस्तक 'गांधी वध क्यों?', गांधी हत्या की पुलिस में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर), गांधी हत्याकांड के अभियुक्तों पर मुकदमे की कार्यवाही, गांधी हत्याकांड में सह अभियुक्त और बाद में सरकारी गवाह बने रामचंद्र बडगे के कोर्ट में दिए गए बयान, मुकदमे की सुनवाई करने वाले जज न्यायमूर्ति जीडी खोसला की संस्मरणात्मक पुस्तक 'द मर्डर ऑफ महात्मा' में दी गई जानकारियों पर आधारित है।)




एक भैंसा गाड़ी का चालान कर हद कर दी हैं, भैंसा गाड़ी का चालान कहीं भी मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता

उत्तराखंड पुलिस ने एक भैंसा गाड़ी का चालान कर हद कर दी हैं, भैंसा गाड़ी का चालान कहीं भी मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता है।पुलिस ने दून के सहसपुर के छरबा क्षेत्र में शीतला नदी के किनारे में खेत में खड़ी एक किसान की भैंसा बुग्गी का एमवी एक्ट में एक हजार रुपये का चालान काट दिया। बुग्गी रियाज पुत्र हुसनद्दीन की है। दरअसल एमवी एक्ट के तहत कहीं भी भैंसा गाड़ी का चालान काटने का प्रावधान नहीं है, भैंसा गाड़ी के मालिक का आरोप है कि पुलिस ने भैंसा गाड़ी से उसका सामान भी फेंक दिया। भैंसा गाड़ी के मालिक का कहना है कि वह किसी भी हालत में यह जुर्माना नहीं भरेगा, वहीं पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि अगर चालान गलत कट गया होगा तो इसे निरस्त कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि जिस समय इस भैंसा गाड़ी का चालान काटा गया उस वक्त यह सड़क पर भी नहीं थी । भैंसा गाड़ी के मालिक ने इसको नदी के किनारे खड़ा किया हुआ था। 


आधार कार्ड से जुड़ी आपको अब कोई भी परेशानी हो तो डायल करें ये नंबर


आधार कार्ड से जुड़ी आपको अब कोई भी परेशानी हो तो डायल करें ये नंबर





लोग अब अपना आधार कार्ड बनवाने या उसमें कोई सुधार लाने के लिए ऑनलाइन अपना समय निर्धारित (अप्वाइंटमेंट बुक) कर सकते हैं। यह अप्वाइंटमेंट उन्हें राजधानी के आधार सेवा केन्द्र से लेना होगा। वे आधार से जुड़ी समस्याओं का निदान मु‌फ्त फोन नंबर 1947 के माध्यम से कर सकते हैं।


भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा शहर में यह सेवा केन्द्र साईं टावर, न्यू डाकबंगला रोड पर शुरू किया गया है। यह केन्द्र बिहार का पहला और देश का दसवां है। 


उप निदेशक, आईईसी राजेश कुमार प्रसाद के अनुसार अप्वाइंटमेंट ask.uidai.gov पर बुक किया जा सकता है। केन्द्र में खुले 16 काउंटरों में रोजाना एक हजार लोग आधार पंजीकरण, अपडेट संबनधी अपनी कठिनाई दूर करा सकते हैं। इसके आलावा help@uidai.gov.in और biharuid@uidai.net.in पर भी मेल कर लोग अपनी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं। कहा कि यह केन्द्र मंगलवार को छोड़ कर सप्ताह में सभी दिन शाम 5.30 बजे तक खुला रहता है। दिन की कार्यावधि में फोन 0612-2545678 पर भी जानकारी ली जा सकती है।


खो जाए आधार कार्ड तो ऐसे करें लॉक, UIDAI ने निकाला नया फीचर
लोगों की निजता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए UIDAI ने आधार को लॉक और अनलॉक करने का फीचर शुरू किया है। एक बार आधार नंबर लॉक किए जाने के बाद के उसकी प्रमाणिकता खत्म हो जाएगी। ऐसे में आप प्रमाणिकता के लिए वर्चुअल आईडी का प्रयोग कर सकते हैं। 


इस फीचर को आधार का दुर्उपयोग होने से रोकने के लिए शुरू किया गया है। वहीं इस आधार नंबर के अनलॉक किए जाने के साथ ही इसकी प्रमाणिकता वापस शुरू हो जाएगी। आधार कार्ड ऑनलाइन या एसएमएस की मदद से लॉक या अनलॉक किया जा सकता है। 


अपना आधार कार्ड लॉक करने के लिए आधार यूजर को UIDAI के दिए गए नंबर 1947 पर SMS करना होगा। SMS में 'GETOTP' लिखकर स्पेस दें और अपने आधार के आखिरी 4 नंबर लिखकर 1947 पर भेजें। ओटीपी मिलने के बाद आप LOCKUID लिखें स्पेस देकर आधार कार्ड के अंत के चार नंबर और प्राप्त ओटीपी टाइप करें और 1947 पर भेज दें।


इसके बाद UIDAI आपके आधार को Lock कर देगा और आपको इसका SMS भी मिल जाएगा। Unlock करने की विधि भी मिलती जुलती है। इसके लिए पहले GETOTP लिखें स्पेस अपने आधार कार्ड के आखिरी के 6 नंबर लिखें। ओटीपी मिलने के बाद LOCKUID लिखें और फिर ओटीपी टाइप करें और 1947 पर भेज दें।जैसे ही आप ओटीपी कोड लिखकर भेजेंगे आपका डेटा अनलॉक हो जाएगा। 




हिदुस्तान जिंदाबाद

*हा  मैं Manish Tiwari भारतीय हिंदू हुँ,  और ये कड़वा सच भी जानता हूँ*
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ताज महल = मुसलमानों ने बनाया;
लाल किला = मुसलमानों ने बनाये ;
कुतुबमीनार = मुसलमानों ने बनाई;
चार मीनार = मुसलमानों ने बनाई;
गोल गुम्बज = मुसलमानों ने बनाया;
लाल दरवाजे = मुसलमानों ने बनाये;
मिसाइल= मुस्लिम ने बनाई (डा.कलाम);


इंडिया गेट = अंग्रेजो ने बनाया
गेटवे ऑफ इंडिया = अंग्रेजो ने बनाया
हावड़ा ब्रिज= अंग्रेजो ने बनाया;
पार्लियामेंट हाउस= अंग्रेजों ने बनाया ;
राष्ट्रपति भवन = अंग्रेजों ने बनाया;
नॉर्थ-साऊथ ब्लॉक= अंग्रेजों ने बनाया ;
कनॉट प्लेस = अंग्रेजों ने बनाया
.
संविधान= SC ने बनाया (डॉ. अम्बेडकर);


*तो ये हिन्दू लीडर भारत में करते क्या आ रहे है ?*


कड़वा सच


(A)हिन्दू भाइयों को देश के इतिहास के नाम पर बेवक़ूफ़ बनाते आरहे है 
(B) देश को गुलाम बनाते रहे हैं !
(C) देश, धर्म, संस्कृति, सभ्यता और समाज को कमजोर करते रहे हैं !
(D) देश में जाति-धर्म के नाम पर दंगा कराते रहे हैं !
(E) देश को तोड़ते रहे हैं !
(F) *देश का धन और धार्मिक भय के नाम पर मंदिरों में इकट्ठा करते रहे हैं !*


काँग्रेस जब सत्ता मे थी तब बीजेपी विरोधी पक्ष मे बैठी थी और सभी हो रहे भ्रष्टाचार देख रही थी।
मतलब यही होता हें बीजेपी और काँग्रेस मिलकर भारत को लूट रही हैं !
👇👇👇
1987 - बोफोर्स तोप घोटाला, 960 करोड़
1992 - शेयर घोटाला, 5,000 करोड़।।
1994 - चीनी घोटाला, 650 करोड़
1995 - प्रेफ्रेंशल अलॉटमेंट घोटाला, 5,000 करोड़
1995 - कस्टम टैक्स घोटाला, 43 करोड़
1995 - कॉबलर घोटाला, 1,000 करोड़
1995 - दीनार / हवाला घोटाला, 400 करोड़
1995 - मेघालय वन घोटाला, 300 करोड़
1996 - उर्वरक आयत घोटाला, 1,300 करोड़
1996 - चारा घोटाला, 950 करोड़
1996 - यूरिया घोटाला, 133 करोड
1997 - बिहार भूमि घोटाला, 400 करोड़
1997 - म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला, 1,200 करोड़
1997 - सुखराम टेलिकॉम घोटाला, 1,500 करोड़
1997 - SNC पॉवेर प्रोजेक्ट घोटाला, 374 करोड़
1998 - उदय गोयल कृषि उपज घोटाला, 210 करोड़
1998 - टीक पौध घोटाला, 8,000 करोड़
2001 - डालमिया शेयर घोटाला, 595 करोड़
2001 - UTI घोटाला, 32 करोड़
2001 - केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला, 1,000 करोड़
2002 - संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला, 600 करोड़
2002 - कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला, 120 करोड़
2003 - स्टाम्प घोटाला, 20,000 करोड़
2005 - आई पि ओ कॉरिडोर घोटाला, 1,000 करोड़
2005 - बिहार बाढ़ आपदा घोटाला, 17 करोड़
2005 - सौरपियन पनडुब्बी घोटाला, 18,978 करोड़
2006 - ताज कॉरिडोर घोटाला, 175 करोड़
2006 - पंजाब सिटी सेंटर घोटाला, 1,500 करोड़
2008 - काला धन, 2,10,000 करोड
2008 - सत्यम घोटाला, 8,000 करोड
2008 - सैन्य राशन घोटाला, 5,000 करोड़
2008 - स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र, 95 करोड़
2008 - हसन् अली हवाला घोटाला, 39,120 करोड़
2009 - उड़ीसा खदान घोटाला, 7,000 करोड़
2009 - चावल निर्यात घोटाला, 2,500 करोड़
2009 - झारखण्ड खदान घोटाला, 4,000 करोड़ 2009 - झारखण्ड मेडिकल उपकरण घोटाला, 130 करोड़
2010 - आदर्श घर घोटाला, 900 करोड़
2010 - खाद्यान घोटाला, 35,000 करोड़
2010 - बैंड स्पेक्ट्रम घोटाला, 2,00,000 करोड़
2011 - 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, 1,76,000 करोड़
2011 - कॉमन वेल्थ घोटाला, 70,000 करोड़
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ये कोई विदेशी आक्रमण नही है 
या किसी मुसलमान ने नही किया है 


*ये सब वही देशभक्तो ने किया है जो मुसलमानों से देशभक्ति का सर्टिफिकेट मांगते हैं ।*


इस देश की *हिंदू-मुस्लिम एकता* को अगर ज़िंदा रखना है तो इस सन्देश को हर देश भगत  को ज़रूर भेजें| 🙏🙏🙏


हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद 
हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद 
हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद 
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सड़क हादसे में 4 खिलाड़ियों की हुई मौत खेल जगत में छाया मातम,

होशंगाबाद : हॉकी के लिए आज काला दिन है. एमपी के होशंगाबाद में आज सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसे में 4 हॉकी खिलाड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई है जबकि 3 गंभीर रूप से घायल हैं. घायल खिलाड़ियों को इलाज के लिए नर्मदा अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. मिली जानकारी के अनुसार सभी सात खिलाड़ी एक कार में सवार होकर ध्यानचंद ट्रॉफी में खेलने होशंगाबाद आ रहे थे इसी दौरान उनकी कार अनियंत्रित होकर एक पेड़ से टकरा गई जिस कारण ये हादसा हुआ है. सभी खिलाड़ी एमपी एकडेमी के खिलाड़ी थे.


स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी सूचना:
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग मौके पर पहुंच गए और राहत बचाव का कार्य शुरू किया.


साथ ही स्थानीय लोगों ने हादसे की जानकारी होशंगावाद पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल खिलाड़ियों को गाड़ी से निकालकर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया है.


सभी हॉकी खिलाड़ी भोपाल साई हॉस्टल टीम से खेल रहे थे:
सभी हॉकी खिलाड़ी भोपाल साई हॉस्टल टीम से खेल रहे थे और रविवार को इन्होंने मैच भी जीता था और आज सुबह इनका फिर से मैच था. जिन खिलाड़ियों की मौके पर मौत हो गई है उनमे शाहनवाज खान, आदर्श हरदुआ, आशीष लाल और अनिकेत का नाम शामिल है.


एकतरफा प्यार में असफल रहने पर युवक ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली.

मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक विधवा से एकतरफा प्यार में असफल रहने पर युवक ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली. उज्जैन के माधव नगर थाना क्षेत्र के राजीव गांधी नगर में आज सुबह एक तरफा प्रेम प्रसंग के चलते छतरपुर के युवक ने विधवा महिला के सामने खुद को गोली मार ली.


युवक विधवा युवती से शादी करना चाहता था, लेकिन युवती ने उससे शादी करने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद युवक ने ख़ुद को गोली मारकर की आत्महत्या।


महिला ने दोबारा शादी से किया इंकार


दरअसल, पति की मौत के बाद विधवा महिला अपने ससुराल में ही रहती है. महिला को एक बेटी भी है. महिला के ससुराल वाले उसकी कम उम्र को देखते हुए दूसरी शादी करवाना चाहते थे और इस दौरान उसके लिए छतरपुर निवासी युवक जितेंद्र वर्मा का भी रिश्ता आया था, लेकिन महिला ने दोबारा शादी से मना कर दिया.


शादी का दबाब बना रहा था युवक


हालांकि, इसके बावजूद युवक तब से महिला पर एकतरफा प्यार के चलते शादी का दबाव बना रहा था. पुलिस को दिए बयान में महिला ने बताया कि शनिवार सुबह जितेंद्र अचानक उसके घर आ धमका और किचन में घुसकर शादी के लिए दबाव बनाने लगा.महिला के मुताबिक, जब उसने शादी से मना किया तो जितेंद्र ने देसी कट्टा पहले तो उसकी तरफ किया फिर खुद के पेट में गोली मार ली. गोली चलने की आवाज सुनकर आस-पास रहने वाले जमा हो गए और जितेन्द्र की लाश देखकर पुलिस को सूचना दी.


महिला से पूछताछ कर रही पुलिस


पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और सभी के बयान दर्ज कर लिए हैं. हालांकि, पुलिस ने अभी विधवा महिला को क्लीनचिट नहीं दी है और उससे लगातार पूछताछ कर रही है.


बंगाल में मारे गये टीचर का परिवार आया सामने, जिसने खोली भाजपा की पोल

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बंधु प्रकाश पाल, उनकी पत्नी और पांच साल के बेटे की हत्या ने बड़ा राजनीतिक बवंडर खड़ा कर दिया है। बीजेपी ने इस तिहरे हत्याकांड को लेकर पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही दावा किया कि पाल एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता थे। हालांकि, पाल के परिवार ने बीजेपी के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। परिवार का कहना है कि उनका किसी राजनीतिक पार्टी या संगठन से कोई संबंध नहीं था। परिवार ने दोनों राजनीतिक दलों पर इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए आलोचना की।


बता दें कि 40 वर्षीय स्कूल अध्यापक पाल के अलावा उनकी पत्नी ब्यूटी (30) और बेटे अंगन (5) की मंगलवार की जियागंज के लेबू बागान इलाके स्थित घर पर हत्या कर दी गई थी। बंधु प्रकाश पाल की 68 वर्षीय मां माया पाल ने कहा, 'वह कोरे कागज की तरह था। आपसे किसने कहा कि वह बीजेपी मेंबर था? वह कभी बीजेपी या तृणमूल कांग्रेस से नहीं जुड़ा रहा। वह कभी आरएसएस में नहीं रहा। ये सब झूठ फैलाया जा रहा है।' पाल की मां सागरदीघी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले साहापुर के बराला गांव में रहती हैं।


पाल और उनके बेटे का शव एक कमरे में मिला था, जबकि पत्नी ब्यूटी की लाश दूसरे कमरे में मिली थी। पुलिस का कहना है कि पहले पति और पत्नी की हत्या की गई। इसके बाद बेटे अंगन का गला घोंटा गया और किसी भारी चीज से उसपर वार किया गया ताकि वह जिंदा न बचे। पुलिस के मुताबिक, चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। दो को बाद में रिहा कर दिया गया। गवाहों के बताए हुलिया के आधार पर स्केच भी तैयार किए जा रहे हैं।


पुलिस को शक है कि हत्या की वजह निजी रंजिश हो सकती है। बीजेपी ने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। वहीं, तृणमूल ने कहा है कि पाल बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई का शिकार हुए हैं। उधर, बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मारे गए परिवार की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए। वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने राज्य के डीजीपी को चिट्ठी लिखा है।


पाल के मौसेरे भाई बंधु कृष्ण घोष ने कहा, दिलीप घोष ने कल कहा कि मेरा भाई बीजेपी परिवार से ताल्लुक रखता है। वह झूठ बोल रहे हैं। वह सिर्फ हमारे परिवार के थे। मैंने उन्हें बचपन से देखा है। वह मेरे भाई होने के अलावा मेरे बेस्ट फ्रेंड भी थे। हम जब भी राजनीति की बातें करते थे, वह वहां से चले जाते थे। यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस भी कह रही है कि यह बीजेपी की आंतरिक लड़ाई का नतीजा है। वे सत्ताधारी पार्टी वाले हैं इसलिए उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस पता लगाए कि किसने मेरे भाई, उसकी पत्नी और मासूम बच्चे की हत्या की।


किसी को इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। वहीं, द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बंगाल के सीनियर आरएसएस पदाधिकारी विद्युत रॉय ने कहा, 'वह बीते चार महीनों से हमारे संपर्क में थे और हमारे कुछ कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। वह एक नौसिखिए थे। मुझे विश्वास नहीं होता कि उनकी हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि वह हमारे संपर्क में थे। हम इस हत्या की निंदा करते हैं। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।


अक्सर झोपड़ी पे लिखा होता है: "सुस्वागतम" और महल वाले लिखते हैं: "कुत्तों सॆ सावधान"


एक हसीन लडकी राजा के दरबार में डांस कर रही थी...


( राजा बहुत बदसुरत था ) लडकी ने राजा से एक सवाल की इजाजत मांगी . राजा ने कहा , " चलो पुछो ." . लडकी ने कहा , "जब हुस्न बंट रहा था तब आप कहां थे..?? . राजा ने गुस्सा नही किया बल्कि मुस्कुराते हुवे कहा ~ जब तुम हुस्न की लाइन् में खडी हुस्न ले रही थी , ~ . ~ तो में किस्मत की लाइन में खडा किस्मत ले रहा था . और आज तुझ जैसीे हुस्न वालीयां मेरी गुलाम की तरह नाच रही है........... . इसलीय शायर खुब कहते है, . " हुस्न ना मांग नसीब मांग ए दोस्त , हुस्न वाले तो अक्सर नसीब वालों के गुलाम हुआ करते है... " जो भाग्य में है , वह भाग कर आएगा, जो नहीं है , वह आकर भी भाग जाएगा....!!!!!." यहाँ सब कुछ बिकता है , दोस्तों रहना जरा संभाल के, बेचने वाले हवा भी बेच देते है, गुब्बारों में डाल के, सच बिकता है , झूट बिकता है, बिकती है हर कहानी, तीनों लोक में फेला है , फिर भी बिकता है बोतल में पानी , कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे , टूट कर बिखर्र जाओगे , जीना है तो पत्थर की तरह जियो ; जिस दिन तराशे गए ,


" भगवान " बन जाओगे...!!!


बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर, अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा। 


आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर, अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता! 


गिद्ध भी कहीं चले गए, लगता है उन्होंने देख लिया, कि इंसान हमसे अच्छा नोंचता है! 


कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर, क्या मस्त तलवे चाटता है इंसान! 


कोई टोपी, तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है, मिले अगर भाव अच्छा, जज भी कुर्सी बेच देता है! 


जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी, जिसकी खातिर बाप किडनी बेच देता है!


ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें, कली, फल, फूल, पेड़, पौधे सब माली बेच देता है!


 धन से बेशक गरीब रहो, पर दिल से रहना धनवान, अक्सर झोपड़ी पे लिखा होता है: "सुस्वागतम" और महल वाले लिखते हैं: "कुत्तों सॆ सावधान"


करियर के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन 800 रुपए की नौकरी करते थे

अमिताभ बच्चन के जन्म दिन पर ।


महानायक अमिताभ बच्चन को अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह दिन भी देखना पड़ा था, जब उनकी आवाज को आकाशवाणी ने नकार दिया था।


करियर के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन ने 'आकाशवाणी' में भी आवेदन किया लेकिन वहां काम करने का अवसर नहीं मिला। यहां तक कि फिल्म ..रेशमा और 'शेरा' में अपनी अच्छी आवाज के बावजूद उन्हें मूक भूमिका भी स्वीकार करनी पड़ी।


800 रुपए की नौकरी करते थे बिग बी-


11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्मे अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकत्ता में बतौर सुपरवाइजर की जहां उन्हें 800 रुपये मासिक वेतन मिला करता था। वर्ष 1968 में कलकत्ता की नौकरी छोड़ने के बाद मुंबई आ गये।  बचपन से ही अमिताभ बच्चन का झुकाव अभिनय की ओर था और दिलीप कुमार से प्रभावित रहने के कारण वह उन्हीं की तरह अभिनेता बनना चाहते थे।


न्यूज एजेंसी वार्ता के मुताबिक 1969 में अमिताभ बच्चन को पहली बार ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिंदुस्तानी में काम करने का मौका मिला। लेकिन इस फिल्म के असफल होने के कारण वह दर्शकों के बीच कुछ खास पहचान नहीं बना पाये। वर्ष 1971 में अमिताभ बच्चन को राजेश खन्ना के साथ फिल्म आनंद में काम करने का मौका मिला। राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार के रहते हुये भी अमिताभ बच्चन दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे। इस फिल्म के लिये उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया


इस फिल्म के बाद अमिताभ बने सुपरस्टार-


निमार्ता प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर' अमिताभ बच्चन के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। फिल्म की सफलता के बाद बतौर अभिनेता अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। दिलचस्प तथ्य यह है कि फिल्म जंजीर में अमिताभ बच्चन को काम करने का मौका सौभाग्य से ही मिला। साल 1973 मे निमार्ता-निदेर्शक प्रकाश मेहरा अपनी जंजीर फिल्म के लिये अभिनेता की तलाश कर रहे थे। पहले तो उन्होंने इस फिल्म के लिये देवानंद से गुजारिश की और बाद में अभिनेता राजकुमार से काम करने की पेशकश की लेकिन किसी कारणवश दोनों अभिनेताओं ने जंजीर में काम करने से इंकार कर दिया।


रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों को बड़ा झटका देते हुए कॉलिंग के लिए पैसे लेने का एलान किया

रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों को बड़ा झटका देते हुए कॉलिंग के लिए पैसे लेने का एलान किया है। जियो के ग्राहकों को अब फोन पर बात करने के लिए पैसे देने होंगे। जियो के एक बयान के मुताबिक जियो के ग्राहकों को किसी दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर कॉल करने के  लिए प्रति मिनट 6 पैसे देने होंगे, हालांकि जियो से जियो के नेटवर्क पर कॉलिंग पहले की तरह ही फ्री रहेगी।


वहीं जियो ने कहा है कि वह अपने 35 करोड़ ग्राहकों को आश्वस्त करता है कि आउटगोइंग ऑफ-नेट मोबाइल कॉल पर 6 पैसा प्रति मिनट का शुल्क केवल तब तक जारी रहेगा जब तक TRAI अपने वर्तमान रेगुलेशन के अनुरूप IUC को समाप्त नहीं कर देता। हम TRAI के साथ सभी डाटा को साझा करेंगे ताकि वह समझ सके कि शून्य IUC यूजर्स के हित में है।


वर्तमान में 6 पैसे प्रति मिनट है IUC शुल्क



बता दें कि यह पूरा मामला इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज से जुड़ा है। IUC एक मोबाइल टेलिकॉम ऑपरेटर द्वारा दूसरे को भुगतान की जाने वाली रकम है। जब एक टेलीकॉम ऑपरेटर के ग्राहक दूसरे ऑपरेटर के ग्राहकों को आउटगोइंग मोबाइल कॉल करते हैं तब IUC का भुगतान कॉल करने वाले ऑपरेटर को करना पड़ता है। दो अलग-अलग नेटवर्क के बीच ये कॉल मोबाइल ऑफ-नेट कॉल के रूप में जानी जाती हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा IUC शुल्क निर्धारित किए जाते हैं और वर्तमान में यह 6 पैसे प्रति मिनट हैं।




जियो नेटवर्क पर हर रोज आते हैं 40 करोड़ मिस्ड कॉल



जियो नेटवर्क पर मुफ्त वॉयस कॉलिंग और 2G नेटवर्क पर अत्यधिक टैरिफ होने की वजह से Airtel और Vodafone-Idea के 35 - 40 करोड़ 2G ग्राहक, Jio ग्राहकों को मिस्ड कॉल देते हैं। Jio नेटवर्क पर रोजाना 25 से 30 करोड़ मिस्ड कॉल प्राप्त होते हैं। अन्य नेटवर्क से जियो पर रोजाना होने वाले 25 से 30 करोड़ कॉलिंग (मिस्ड कॉल) से Jio को 65 से 75 करोड़ मिनट इनकमिंग ट्रैफिक मिलना चाहिए था।




जारी हुए 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के प्लान





अन्य कंपनियों के नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए जियो 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के टॉप अप वाउचर भी जारी करेगी। 10 रुपये वाले प्लान में दूसरे नंबर पर 124 मिनट कॉलिंग की जा सकेगी। वहीं 20 रुपये वाले प्लान में 249 मिनट, 50 रुपये वाले प्लान में 656 मिनट और 100 रुपये वाले प्लान में 1,362 मिनट कॉलिंग की जा सकेगी।




टॉप वाउचर के बदले ग्राहकों को मिलेगी फ्री डाटा



वहीं जियो अपने ग्राहकों को इस टॉप वाउचर के बदले फ्री में डाटा दे रही है। 10 रुपये वाले प्लान के साथ 1 जीबी डाटा, 20 रुपये के साथ 2 जीबी डाटा, 50 रुपये के साथ 5 जीबी डाटा और 100 रुपये वाले प्लान के साथ 10 जीबी डाटा मिलेगा।





कश्मीर में सब कुछ सामान्य है तो राज्य में 9 लाख सैनिक क्या कर रहे हैं। मेहबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर के जरिए भाजपा पर जमकर निशाना साधा। एक के बाद एक कई ट्वीट करके महबूबा ने भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है। ट्वीट के जरिए लिखा कि अगर कश्मीर में सब कुछ सामान्य है तो वहां 9 लाख सैनिक क्या कर रहे हैं।


महबूबा ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से होने वाले हमले को रोकने के लिए सैनिक यहां नहीं हैं, बल्कि विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए सैनिकों को रोका गया है। इसके बाद वह लिखती हैं कि सेना की प्राथमिक जिम्मेदारी सीमाओं की सुरक्षा करना है, न कि असंतोष को कुचलना। बता दें कि पीडीपी मुखिया इन दिनों नजरबंद हैं। उनकी बेटी इल्तिजा उनके ट्विटर अकाउंट पर सक्रिय हैं।

एक और ट्वीट में महबूबा की बेटी लिखती हैं कि बीजेपी वोट पाने के लिए जवानों के कार्ड का इस्तेमाल करती है। लेकिन सच्चाई यह है कि कश्मीरियों को तोपों का चारा समझा जाता है, घाटी में अशांति फैलाने के लिए सेना मोहरा बन गई है। सत्तारूढ़ दल जवानों या कश्मीरियों की परवाह नहीं करता है। उनकी एकमात्र चिंता चुनाव जीतना है।


महबूबा मुफ्ती ने इन बांड पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया



गुरुवार को रिहा किए गए तीन कश्मीरी नेताओं को लेकर भी महबूबा ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आज रिहा किए गए नेताओं को बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान महबूबा ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए हिरासत को ही अवैध बताया। साथ ही ट्विटर अकाउंट के जरिए यह बात भी सामने आई कि महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं ने इन बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए स्पष्ट रूप से मना कर दिया है।

सिद्धांतों और लोकतंत्र की वकालत करते हुए महबूबा ने कहा कि भारत जिसने हमेशा स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांतों के लिए लड़ाई लड़ी, वह आज कश्मीर में अपने क्रूर कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठघरे में खड़ा है। सरकारें आएंगी और जाएंगी लेकिन इस देश की प्रतिष्ठा और नैतिक ताने-बाने को क्या नुकसान होगा?


हिरासत में लिए गए तीन नेताओं को किया गया रिहा


बता दें कि राज्य प्रशासन ने पांच अगस्त से हिरासत में लिए गए तीन नेताओं को आज रिहा कर दिया है। इन नेताओं में यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोयब लोन शामिल हैं। अधिकारियों ने बुधवार देर रात बताया कि ये तीनों नेता पांच अगस्त से हिरासत में थे और इनको रिहाई के लिए मुचलका भी भरना होगा।
 

यावर मीर रफियाबाद विधानसभा सीट से पीडीपी के पूर्व विधायक हैं। जबकि शोयब लोन ने उत्तरी कश्मीर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा बाद में पार्टी से इस्तीफा दे दिया। लोन को पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन का करीबी माना जाता था।

तीसरे नेता नूर मोहम्मद नेशनल कांफ्रेंस कार्यकर्ता हैं और श्रीनगर शहर के उग्रवाद प्रभावित बटमालू क्षेत्र में पार्टी का चेहरा हैं। तीनों नेता शांति और अच्छे व्यवहार बनाए रखने के लिए हलफनामा भी देंगे। इससे पहले 21 सितंबर को पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के इमरान अंसारी और सैयद अखून को स्वास्थ्य आधार पर राज्य प्रशासन ने रिहा किया था।

बीजेपी सासंद साध्वी प्रज्ञा ने अदालत का फैसला मानने से किया इंकार, बोली बजेगा डीजे और लाउडस्पीकर!

बीजेपी सासंद साध्वी प्रज्ञा ने अदालत का फैसला मानने से किया इंकार, बोली बजेगा डीजे और लाउडस्पीकर!


मध्यप्रदेश के भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कोर्ट की अवमानना करते हुए देर रात तक लाउडस्पीकर और डीजे बजाने पर लगे प्रतिबंध को लगाने से और रोक लगाने से मना कर दिया है।


आपको बता दें कि इस मामले को लेकर मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक, प्रज्ञा ठाकुर ने नवरात्र पर लाउडस्पीकर और डीजे देर रात तक बजाने को कहा है कि सारे नियम कानून क्या केवल हिंदुओं के लिए है, हम ये नहीं मानेंगे, इस नवरात्री पर हम लाउडस्पीकर डीजे सब चालू रहेंगे और कोई गाइडलाइंस नहीं है।


इसके बाद जब उन्हें अदालत का फैसला याद दिलाया गया तो साध्वी प्रज्ञा ने उसकी बात सुनकर यही कहा कि अदालत का फैसला उन्हें स्वीकार नहीं है।


न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, साध्वी प्रज्ञा भोपाल में मीडिया से बात कर रही थी और इसी दौरान किए गए एक प्रश्न के उत्तर में प्रज्ञा ठाकुर ने यह बात कही है। उल्लेखनीय है कि प्रज्ञा ठाकुर ने इससे पहले भी कई ऐसे बयान दिए हैं जिन पर बखेड़ा खड़ा हुआ है।


इससे पहले उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और मध्य प्रदेश के सीएम बाबूलाल गौर की श्रद्धांजलि सभा में उन्होंने विपक्ष द्वारा भाजपा नेताओं पर मारक शक्ति के प्रयोग की बात भी कही थी।


इसके बाद भी 30 जुलाई के महीने में उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह यह कहती हुई दिखाई दे रही थी कि सांसद नाली और शौचालय साफ करने के लिए नहीं बने हैं, आपको बता दें कि प्रज्ञा ठाकुर पर मालेगांव में बम हमले और धमाके करवाने का भी आरोप है और इसी के लिए उनकी अदालत में सुनवाई भी जारी है और वह इस वक्त जमानत पर बाहर हैं।


अपने रब की कौन कौन सी नेमतों को झुठलाओगे

अस्पताल में ऑक्सीजन का बिल देखकर ज़ारो कतार रोने लगा 


सऊदी अरब के शहर रियाद में एक 78 साला बूढ़े शख्स को शदीद थकन की वजह से गिर जाने पर एक हॉस्पिटल में भर्ती किया गया उसे 24 घण्टे ऑक्सीजन पर रखा गया..


बाद में उसकी तबियत ठीक होने पर डॉक्टर ने उसे 600 रियाल का बिल थमा दिया बिल देखने के बाद वो बूढ़ा शख़्स ज़ारो कतार रोने लगा सब डॉक्टर बूढ़े को रोता देख ये समझने लगे कि बिल में मौजूद 600 रियाल की रक़म देख कर रोने लग गया है...


लेक़िन उस बूढ़े शख़्स ने सब डॉक्टरों की ग़लत फ़हमी को दूर करते हुए बताया कि वो बिल की रक़म देख कर नही रो रहा है बल्की वो इस रक़म को बहुत आसानी से अदा कर सकता है, हक़ीक़त में वो ये देख कर हैरान है कि हॉस्पिटल वालों ने मुझे 24 घण्टे ऑक्सीजन मुहैय्या करने के 600 रियाल वसूल कर लिये लेक़िन मेरा खुदा मुझे गुज़िश्ता 78 सालों से बगैर किसी मुवावज़े के ऑक्सीजन मुहैय्या कर रहा है जिसने मुझे ज़िन्दा रखा हुआ है लिहाज़ा मैं ये सोंच कर रो रहा हुँ कि मैं अपने अल्लाह तआला  का कितना वाजिबुल हक अदा  कर रहा हूं


अल्लाह तआला की नेअमतों का जितना शुक्र अदा किया जाए वो कम है


अपने रब की कौन कौन सी नेमतों को झुठलाओगे


रोजाना नाइट शिफ्ट लक्ष्मी भोपाल स्टेशन पर काम करती हैं

हौसलों की कई कहानियां आपने देखी और सुनी होगी लेकिन भोपाल की रहने वाली लक्ष्मी की कहानी संघर्ष की ऐसी दास्तां है, जिसे देखकर हर कोई उनके हौसले की दाद दे रहा है. हम बात कर रहे हैं भोपाल की पहली महिला कुली लक्ष्मी की जिसने अपने परिवार का पेट पालने और बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए दूसरों का बोझ उठाने वाले कुली का पेशा चुना, जिसपर आमतौर पर पुरुषों का वर्चस्व रहता है.


दरअसल, लक्ष्मी की शादी भोपाल रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुली राकेश से हुई थी. पति की मौत के बाद लक्ष्मी को रेलवे अधिकारियों ने नियमानुसार कुली की नौकरी दी. जहां लक्ष्मी की पहचान बना बिल्ला नंबर 13. इसी बिल्ला नंबर 13 को पहनकर लक्ष्मी भोपाल रेलवे स्टेशन पर रोजाना नाइट शिफ्ट करती है.


कुली का काम करने से होने वाली कमाई से लक्ष्मी अपने घर का खर्चा भी चलाती है और बच्चों की शिक्षा से लेकर उनकी परवरिश भी करती है. हालांकि लक्ष्मी को इस बात का मलाल है कि उसकी कमाई इतनी नहीं है कि वो अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिला सके. हालांकि उसका कहना है कि सरकारी स्कूल में भी अच्छी शिक्षा आजकल मिलने लगी है तो उसको इस बात का भरोसा है कि उसके बच्चे का भविष्य उज्जवल होगा.


आपको बता दें कि लक्ष्मी रोजाना नाइट शिफ्ट में ही काम करती है और दिन में घर के जरूरी काम पूरे करती है. लक्ष्मी करीब 6 घंटे काम करती है. अमूमन लक्ष्मी शाम 6 बजे से अपनी ड्यूटी की शुरुआत करती है लेकिन कभी-कभी देर रात तक ड्यूटी करनी पड़ती है क्योंकि रात को आने वाली राजधानी और प्रीमियम ट्रेनों के यात्रियों से ठीक-ठाक कमाई हो जाती है.


रोजाना होती है इतनी कमाई


लक्ष्मी के मुताबिक बीमार होने पर भी वो काम करने आती है लेकिन इस बात का ध्यान रखती है कि ज्यादा काम न करके वो जल्दी घर चली जाए ताकि तबीयत पर ज्यादा असर न पड़े क्योंकि रोज रुपये कमाने के लिए जरूरी है कि सेहत साथ दे. लक्ष्मी के मुताबिक अमूमन वो 300-400 रुपये तक सामान्य तौर पर रोज कमा लेती है लेकिन कई बार ऐसा होता है जब उसकी कमाई बमुश्किल ही 100-200 रुपये तक हो पाती हो.


वहीं महिला को कुली का काम करते देख लोग प्रभावित तो होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि हर कोई लक्ष्मी से सामान ही उठवाता हो. लक्ष्मी ने बताया कि कई बार लोग उसकी ऐसे ही मदद करने की कोशिश करते हैं लेकिन वो उनको मना कर देती है. हालांकि कई बार लोग उसको सामान उठवाने के साथ-साथ बतौर इनाम ज्यादा रुपये दे देते हैं, जिससे लक्ष्मी को मदद मिल जाती है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निवास पर विशाल धरना

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आवास पर विशाल धरना।


मध्य प्रदेश की राजधानी जिलों की नगरी भोपाल की मध्य विधानसभा की सीट के विधायक श्री आरिफ मसूद के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर धरना दिया गया है।


मध्य प्रदेश की सात करोड़ पचास लाख लोगो का 32 लाख 171 करोड़ रुपए रिलीज करने की मांग को लेकर यह धरना दिया जा रहा है।


मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों का यह विशाल धरना है।


जोमैटो अब उड़कर फूड डिलीवरी करेगा

जोमैटो कंपनी ने कहा है अब जो है फूड डिलीवरी ड्रोन से कीजाएगी ।


जोमैटो कंपनी ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी है जो ऑनलाइन ऑर्डर को कस्टमर  तक फूड सप्लाई करती है।


कंपनी की तरफ से कहां गया है कि ड्रोन डिलीवरी का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया गया है परीक्षण के लिए एक हाइब्रिड ड्रोन का इस्तेमाल किया गया।


ड्रोन की मदद से 5 किलोमीटर की दूरी 10 मिनट में तय की जा सकती है इसकी गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से होगी।


इस ड्रोन की मदद से ग्राहकों के पास कम समय में फूड डिलीवरी की जा सकती है।


प्रदूषण और ट्राफिक की समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाएगा।


सपना नहीं जल्द हकीकत में बदलेगी ड्रोन फूड डिलीवरी
जोमेटो ने बताया कि ड्रोन की टेस्टिंग एक हफ्ते पहले रिमोट साइट पर की गई, सह साइट डीजीसीए से अप्रूव्ड है फूड डिलीवरी कंपनी के अनुसार इस तरह के परीक्षण रिमोट साइट पर ही किए जाते हैं, जिन्हें ऐसे परीक्षण के लिए तैयार किया जाता है।


डॉक्टर कफ़ील ख़ान को मिली क्लीनचिट

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निलंबित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील ख़ान विभागीय जांच में निर्दोष पाए गए हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हुई थी. डॉक्टर कफ़ील को लापरवाही, भ्रष्टाचार और ठीक से काम नहीं करने के आरोप में सस्पेंड किया गया था. लेकिन अब विभागीय जांच रिपोर्ट में डॉक्टर कफ़ील को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. इससे पहले डॉक्टर कफ़ील ख़ान इन्हीं आरोपों में 8 महीने की जेल काट चुके हैं. ये जांच रिपोर्ट भी इस साल 18 अप्रैल को ही आ गई थी लेकिन डॉ कफ़ील को कल ही दी गई.  क्लीनचिट मिलने के बाद डॉ. कफील ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि क्लीनचिट मिलने से वह काफी खुश हैं. जांच रिपोर्ट में आने में दो साल लग गए हालांकि उनको न्याय की उम्मीद थी. लेकिन 2 सालों तक उनके परिवार ने प्रताड़ना बर्दाश्त की है.


ट्रंप के बिगड़े बोल ट्रंप ने कहा भारत के साथ व्यापार करना मूर्खतापूर्ण है

वाशिंगटन अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से कारोबार को लेकर कड़ा बयान दिया।


भारत द्वारा  अमेरिका के उत्पादों पर 100% से ज्यादा शुल्क लिया जा रहा है


डोनाल्ड ट्रंप ने इस कारोबार को मूर्खतापूर्ण कारोबार बताया। और अधिकारियों को निर्देश जारी किए के इस तथ्य पर ग़ौर किया जाए ।


राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लास वेगास में कहा कि महान भारत देश और महान मेरे दोस्त नरेंद्र मोदी अमेरिका के कई उत्पादों पर 100% से ज्यादा शुल्क वसूल रहे हैं वही ट्रंप ने दावा किया अमरीका में भारतीय उत्पादों पर शुल्क ना के बराबर वसूला जा रहा है


एक दिन पहले ही ट्रंप ने भारत की आलोचना करते हुए कहा कि भारत  पूरे विश्व में सबसे ज्यादा टैक्स वसूल कर रहा है।



दिल्ली के जंतर मंतर पर आज कश्मीर को लेकर एक विशाल प्रदर्शन किया गया

दिल्ली के जंतर मंतर पर आज कश्मीर को लेकर एक विशाल प्रदर्शन किया गया जिसमें देश की विभिन समाज सेविका संस्थाओं द्वारा भाग लेकर भारत सरकार से मांग की गई कि जल्द से जल्द कश्मीर में हालात नॉर्मल बनाए जाएं, प्रदर्शन में म प्र मुस्लिम विकास परिषद की ओर से बुरहानपुर के परिषद ज़िला अध्यक्ष आसिफ़ खान व उनके साथियों ने प्रतिनिधित्व किया।


यह माटी है बलिदान की

इस माटी को पलित ना करो


यह माटी है बलिदान की


आपस में बैर रखना


नहीं सिखाती है ज़ात इंसान की


भारत में इस्लामी आतंकवाद का फर्जी हव्वा कांग्रेस ने खड़ा किया था

# हिमांशु कुमार
इस्लामी आतंकवाद मोदी जी के आते ही खत्म हो गया


इसलिये नहीं कि मोदी जी के आते ही मुसलमान डरकर शरीफ बन गये


असल में भारत में कोई इस्लामी आतंकवाद था ही नहीं


इस्लामी आतंकवाद का फर्जी हव्वा कांग्रेस ने खड़ा किया था


इस्लामी आतंकवाद का हव्वा सारी दुनिया में खड़ा किया गया था


मरते पूंजीवाद और पश्चिम की आर्थिक मंदी से निकलने का एक ही रास्ता था


नये देशों पर कब्ज़े करो और हथियार बेचो तथा मुनाफा कमाओ


अमेरिका ने आतंकवादी खड़े किये


कौन नहीं जानता ओसामा एक अंग्रेजी बोलने वाला अमेरिका का नागरिक और एक सफल व्यापारी था


जिसे अमेरिका ने रूस को तोड़ने के लिए अफगानिस्तान भेजा उसे ट्रेनिंग दी और हथियार दिए


इराक पर कब्जा करने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर रासायनिक हथियारों का झूठा हव्वा खड़ा किया और इराक पर कब्जा कर लिया


हालांकि इराक के पास से एक तेजाब की बोतल तक नहीं मिली


लेकिन अमेरिका ने इराक में घुसकर एक चुने हुए राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया


यह अंतरराष्ट्रीय गुंडागर्दी की इंतेहा थी


इस खेल में भारत की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस अमेरिका की पार्टनर बनी


क्योंकि भारत की कांग्रेस भी पूंजीपतियों की गुलाम बन चुकी थी


जिस समय अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्लामी आतंकवाद का झूठा हव्वा खड़ा किया


कांग्रेस ने भारत ने भी वैसा ही इस्लामी आतंकवाद का झूठा हव्वा खड़ा किया


भारत की आईबी के लोग मुस्लिम लड़कों को भड़का कर उनका रेडिकलाइजेशन करते थे


उत्तर प्रदेश के संगठन रिहाई मंच ने इस तरह के अनेकों मामले पकड़े जिसमें आईबी खुद मुस्लिम लड़कों को जाकर भड़काने का काम करती थी


बाद में मुस्लिम लड़कों को जेलों में बंद कर दिया जाता था


भारत में ऐसे अनेकों मामले हैं जिसमें सरकारी सुरक्षा एजेंसियां शामिल रही हैं


कौन नहीं जानता कि चिदंबरम के समय में इंडियन मुजाहिदीन नाम का संगठन भारत के गृह मंत्रालय ने फर्जी तौर पर फाइलों के भीतर बनाया था और अपने ही एजेंटों के द्वारा जगह-जगह वारदातें करवाई थी


जामा मस्जिद इलाके से लियाकत को गिरफ्तार किया गया और उसके पास से एके-47 बरामद दिखाई गई बाद में सीसीटीवी फुटेज में दिल्ली पुलिस के सिपाही उसके कमरे में हथियार रखते हुए रिकॉर्ड किए गए


उस समय भारत का गृहमंत्री चिदंबरम मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे


असल में आतंकवाद हमेशा से सरकार का ही धंधा रहा है


आतंकवाद के नाम पर सरकार हमेशा जनता को डरा कर रखती है और उसे यह अहसास कराती रहती है कि सरकार नहीं होगी तो आपकी सुरक्षा कौन करेगा?


इस तरह आपकी सुरक्षा को सबसे बड़ा सरकार की उपलब्धि बना दिया जाता है


और उसकी आड़ में गरीबी मिटाना बेरोजगारी मिटाना मुफ्त शिक्षा देना जैसे मुद्दे पीछे कर दिए जाते हैं


सरकार पूंजीपतियों की सेवा करती रहती है


आतंकवाद पूरी तरह से पूंजीवाद का हथियार है


इसलिए चाहे वो इस्लामी आतंकवाद हो या भगवा आतंकवाद दोनों ही सरकार के धंधे हैं


असल में आप वोट देकर आतंकवादियों को ही सत्ता में बिठाते हैं सरकार बनती ही पूंजी पतियों की सेवा करने के लिए है


पार्टियां करोड़ों रुपया खर्च करके सत्ता में आपकी सेवा करने के लिए नहीं आती


राजनीति एक बहुत बड़ा बिजनेस है वह आपकी सेवा के लिए नहीं है


लेकिन आपको तो यह सब इसलिए समझ में नहीं आएगा क्योंकि आप हिंदू मुसलमान बड़ी जात छोटी जात में बंटे हुए हैं


और राजनीति आपके बंटे हुए होने को और ज्यादा बढ़ा रही है


इसलिए हम नौजवानों को इस सब से निकालने की कोशिश कर रहे हैं


ताकि वह समझ जाए और उनके ऊपर बैठे हुए इन लुटेरे पूंजी पतियों के दलाल राजनीतिज्ञों को उतार फेंकें
#हिमानशु_कुमार


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