कल रात की है बात

कल रात की है बात


कि  अकस्मात


एक ब्यूटी गर्ल ने


हमारा रास्ता रोका


हम समझे पहचान ने


में खा गई धोखा


हम शरिफ़ ज़ादे वहां


से गुज़र गये


गुस्से  से कन्या के


के केश बिखर गए


ज़ोर--ज़ोर से चिल्लाने लगी


ए शहर के जवां मर्दो आओ


और मुझे इस शरीफ़ ज़ादे से बचाओ


मैं अपनी ज़ुल्फो में अवध की सुबह और


बनारस की शाम और चेहरे पे कश्मीर 


का पानी रखती हूं


इस लफंगे मुझे क्यों नहीं छेड़ा 


क्या मैं इसकी मां लगती हू


 


आज के हालात पर


 


 


 


 


 


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