कहाँ कहता हूँ महलों की जगह झुग्गी बसाने दो
मुझे इज़्ज़त से बस दो वक़्त की रोटी कमाने दो
तुम्हारा घर रहे रौशन तुम्हारे चाँद सूरज से
मेरे घर के चराग़ों को भी थोड़ा झिलमिलाने दो
शहर में आ गिरा है इक परिंदा गाँव का शायद
बहुत रोयेगी उसकी माँ, उसे घर लौट जाने दो
लहर के साथ बह जाने का फ़न सीखा नहीं मैंने
करूँगा सामना गर डूबता हूँ, डूब जाने दो
मेरे पाँवों के छाले देखकर मुँह फेरने वालो!
दिखा दूँगा तुम्हें रफ़्तार अपनी, वक़्त आने दो
वो कहता है झुका लूँ सर तो मुझको ज़िन्दगी देगा
यही क़ीमत है मेरी जां की तो फिर मर ही जाने दो
ग़ज़लकार-डॉ. मनोज कुमार
भोपाल में लोन ऐप के झांसे में फंसे एक शख्स ने अपने पूरे परिवार सहित खुदकुशी कर ली। आत्महत्या करने वाले पति-पत्नी ने अपने बच्चों को जहर पिलाकर खुद फांसी लगा ली। भोपाल: कर्ज के दुष्चक्र में फंसे परिवार ने की आत्महत्या, बच्चों को जहर देकर पति-पत्नी ने लगाई फांसी भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां कर्ज के दुष्चक्र में फंसे एक पति-पत्नी ने अपने दो बच्चों के साथ मौत को गले लगा लिया। बताया जा रहा है कि पति-पत्नी ने पहले अपने बच्चों को जहर दिया और इसके बाद खुद फांसी लगा ली। परिवार के इतना बड़ा कदम उठाने के पीछे की वजह कर्ज बताया जा रहा है। मामला भोपाल के रातीबड़ थाना क्षेत्र के नीलबड़ इलाके का है। पुलिस को मौके से सुसाइड नोट और सल्फास की गोलियों का पैकेट भी मिला है। एसीपी चंद्र प्रकाश पांडे के मुताबिक पहले 8 साल और 3 साल के बच्चों को सल्फास की गोलियां दी गयीं और उसके बाद पति-पत्नी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार मृतक निजी इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन कुछ नुकसान होने के चलत...
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