बस इतनी सी बात पे मशहूर हो गई हूं में  के तुझसे दूर बहोत दूर हो गई हूं में 

 

                     

                         ग़ज़ल

बस इतनी सी बात पे मशहूर हो गई हूं में 

के तुझसे दूर बहोत दूर हो गई हूं में 

 

वोह आने वाला है शमा वफा जलाने को 

बस इस ख़याल से पूरनूर हो गई हूं में 

 

अब आके लोग मेरे दर पे दस्तके देंगे 

जहाने इश्क़ का दस्तुर हो गई हूं में 

 

मेरे वजूद में यादे हैं इन्की खुशबू है

जो कह रहे है के अब दूर हो गई हूं में 

 

मुझे यक़ीन है ,शाइस्ता, इस के आने का

ये क्या है सबब है के रन्जूर हो गई हूं मे 

 

               

             शाइस्ता जमाल

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