ख़त्म हो गया वंश लेकिन नहीं ख़त्म हुआ 'क़र्ज़'

 


बरनाला: पंजाब के बरनाला जिले के अंतर्गत आने वाले गांव भोतना में पिछले 50 सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे कर्ज ने एक परिवार का वंश ही समाप्त कर दिया। कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से परिवार के छह पुरुष किसान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन उनका कर्ज समाप्त नहीं हुआ। अब परिवार में केवल तीन महिलाएं बची हैं। परदादा से लेकर परपौते तक सभी काल के गाल में समा चुके हैं। दरअसल, 10 सितंबर को ग्राम भोतना में इसी परिवार के 21 साल के लवप्रीत सिंह उर्फ लब्बू ने खेत में जहरीली स्प्रे पीकर ख़ुदकुशी कर ली थी।


अब इस परिवार में मृतक लवप्रीत सिंह की 70 साल की दादी गुलदीप कौर, 50 वर्षीय माता हरपाल कौर व 23 वर्षीय बहन मनप्रीत कौर ही बाकी बचे हैं। इस हृदयविदारक घटना के बाद से उनकी आंखों के आंसू भी रो-रोकर सूख चुके हैं। घर में अब कोई भी कमाने वाला पुरुष शेष नहीं बचा। गांव भोतना में परिवार की बुजुर्ग गुलदीप कौर ने मीडिया को बताया कि लवप्रीत के परदादा जोगिंदर सिंह ने आढ़ती से कुछ ऋण लिया था, जिसे वह चुका नहीं पाए थे। उसी वजह से 1970 में उन्होंने स्प्रे पीकर जान दे दी। इसके बाद लवप्रीत के परदादा के भाई भगवान सिंह पर इसी कर्ज का बोझ आ गया और उन्होंने 1980 में फंदा लगाकर ख़ुदकुशी कर ली।


दिन-प्रतिदिन लगते ब्याज के साथ कर्ज भी पहाड़ की तरह बढ़ता गया और परिवार के सदस्यों ने आगे बैंक व को-ऑपरेटिव सोसायटी से लोन ले लिया। इसे न चुका न पाने की वजह से लवप्रीत के दादा नाहर सिंह ने वर्ष 2000 में, 2010 में लवप्रीत के चाचा जगतार सिंह ने भी मौत को गले लगा लिया। मजबूर होकर आखिर लवप्रीत सिंह के पिता कुलवंत सिंह ने 6 जनवरी 2018 व इस साल 10 सितंबर को परिवार में बचे एकमात्र पुरुष लवप्रीत ने भी कर्ज के कारण मरने का रास्ता चुना। इतनी जिंदगियां जाने के बाद भी परिवार पर अब भी 15 लाख का ऋण बकाया है।


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