कांग्रेस ने पकड़ी RSS की राह


भगवा ब्रिगेड की विशाल चुनावी मशीनरी का सामना करने के लिए अब देश की सबसे पुरानी पार्टी संघ के प्रचारकों की काट ढूंढने में लगी है. पार्टी सदस्यता अभियान और ट्रेनिंग ड्राइव के जरिए जमीन पर अपना काडर खड़ा करेगी.


लोकसभा चुनाव-2019 में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस अब दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रही है. गुरुवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में संगठन को मजबूत करने के मास्टर प्लान पर चर्चा हुई. इसको लेकर ट्रेनिंग इंचार्ज सचिन राव द्वारा बनाया गया चार पन्ने का नोट जारी किया गया. पार्टी नेताओं का ये विचार है कि कांग्रेस की विचारधारा, मुद्दों पर उसकी राय को लेकर जनता तक संदेश पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़ने और उनको प्रशिक्षण देने की जरूरत है.


भगवा ब्रिगेड की विशाल चुनावी मशीनरी का सामना करने के लिए अब देश की सबसे पुरानी पार्टी संघ के प्रचारकों की काट ढूंढने में लगी है. पार्टी सदस्यता अभियान और ट्रेनिंग ड्राइव के जरिए जमीन पर अपना काडर खड़ा करेगी. पार्टी का मानना है जनता का विश्वास जीतने के लिए नेताओं को जमीनी लड़ाई लड़ने की जरूरत है.


पार्टी के वरिष्ठ लोग होंगे 'प्रेरक'


इसके लिए कार्यकर्ताओं का समूह बनाया जाएगा जिनको 'प्रेरक' कहा जाएगा. इसको इत्तेफाक कहिए या संघ को लेकर कांग्रेस की उलझन पर 'प्रेरक' शब्द संघ के प्रचारक से बिल्कुल मिलता-जुलता है. यह 'प्रेरक' संगठन से जुड़े हुए वरिष्ठ लोग होंगे, जिनको कांग्रेस की विचारधारा और पार्टी के बारे में अच्छी जानकारी होगी.


'प्रेरक' के जरिए कांग्रेस पार्टी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं तक पहुंचेगी और उनको रेगुलर ट्रेनिंग देगी. यह प्रेरक पार्टी के वे लोग हैं, जिनको कार्यकर्ताओं का विश्वास प्राप्त होगा. वह सम्मानित नेताओं में से चुने जाएंगे और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अंतर्गत ही काम करेंगे.


'कोऑर्डिनेटर' और 'सहयोगी' शब्द की चर्चा


सूत्रों की मानें तो बैठक में 'प्रेरक' शब्द को लेकर कुछ नेताओं ने चिंता जाहिर की और सबकी सहमति से यह तय किया गया कि 'प्रेरक' शब्द को बदल के 'कोऑर्डिनेटर' या 'सहयोगी' कर दिया जाएगा. सूत्रों का कहना था कि सबसे पहले मुकुल वासनिक ने कहा कि 'प्रेरक' शब्द की जगह दूसरे शब्द का प्रयोग किया जाए. शब्द कोई भी हो मगर हकीकत यह है कि भाजपा को उसी के खेल में मात देना आसान नहीं होगा वो भी तब जब भाजपा के साथ संघ की विशाल मशीनरी जुड़ी हुई है.


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