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Priya rajvansh murder mystery ! जुहू का बंगला बना हत्या का कारण। प्रिया राजवंश बॉलीवुड एक्ट्रेस।

Priya rajvansh murder mystery ! जुहू का बंगला बना हत्या का कारण। प्रिया राजवंश बॉलीवुड एक्ट्रेस।



कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता कहीं जमीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता।

दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकारा वीरा सुन्दर सिंह की जिन्हें लोग
प्रिया राजवंश के नाम से जानते है। प्रिया राजवंश का
जन्म साल 1937 में शिमला में हुआ था। शिमला में ही प्रिया ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई की थी। बचपन से ही
कला में रुचि रखने वाली प्रिया ने पढ़ाई के दौरान कई
नाटकों में हिस्सा लिया था।
प्रिया राजवंश ने शिमला से ग्रेजुएशन करने के बाद लंदन की रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट से पढ़ाई की। उसी दौरान लंदन में एक फोटोग्राफर द्वारा क्लिक प्रिया की फोटो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री तक पहुंच गई। फिर क्या था उनकी खूबसूरती के चर्चे बॉलीवुड में होने लगे। 
और वही निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद अपनी आने वाली फिल्म "हक़ीक़त" के लिए नए चेहरे की तलाश कर रहे थे

और जब प्रिया राजवंश की तस्वीर उनके हाथ में आई। तो चेतन आनंद की तलाश खत्म हुई और उन्होंने फौरन प्रिया राजवंश से संपर्क कर उन्हें अपनी फिल्म में हीरोइन का रोल दे दिया। 

फिल्म हक़ीक़त बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी। 
इस फिल्म का एक गाना आज भी लोकप्रिय है जो मोहम्मद रफ़ी साहब ने गाया था कर चले हम फिदा जानो तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।
प्रिया राजवंश को भी लोगों ने खूब पसंद किया और वह एक स्टार बन गईं। 
और इसके बाद हीर रांझा भी दर्शकों को बहुत पसंद आई।

हकीकत, फ़िल्म की शूटिंग के दौरान चेतन और प्रिया के बीच नजदीकियां बढ़नी शुरू होती हैं। चेतन पहले से शादीशुदा थे लेकिन उनकी अपनी पत्नी के साथ रिश्ते अच्छे नहीं थे। दोनों अलग रह रहे थे। चेतन के दोनों बेटे केतन और विवेक अपनी मां के साथ रहते थे।
और आपको बताते चलें कि चेतन आनंद ने प्रिया राजवंश से शादी नहीं की थी। चेतन आनंद ने अपनी बीवी बच्चों से नाता नहीं तोड़ा था। यही वजह थी चेतन आनंद ने प्रिया राजवंश से शादी नहीं की।
हालांकि चेतन आनंद प्रिया राजवंश को बहुत चाहते थे और उनके लिए एक बंगला बनवाया था। और कई सालों तक चेतन आनंद और प्रिया राजवंश लिव-इन रिलेशन में साथ साथ रहे।
जबकि इंडस्ट्री के लोग उनको पति-पत्नी के रूप में ही देखते थे। और प्रिया राजवंश चेतन आनंद से 21 साल छोटी थी।
प्रिया राजवंश बहुत खूबसूरत थीं और उनका अभिनय भी दमदार था इसके बावजूद वह बहुत कम फिल्मों में नज़र आईं। इसकी वजह यह थी कि चेतन ने उन्हें बाहर की किसी फिल्मो में काम करने नहीं दिया। उन्होंने जितनी भी फिल्में कीं सभी चेतन आनंद के साथ ही की थीं।  हिंदुस्तान की कसम,हंसते ज़ख्म,साहब बहादुर ,क़ुदरत,हाथों की लकीरें   कुल 7 फिल्मों में प्रिया राजवंश ने काम किया।  
आपको बताते चलें कि निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद देव आनंद के भाई हैं।
चेतन प्रिया को इस क़दर चाहते थे कि उन्होंने खासकर प्रिया के लिए मुंबई के जुहू में एक शानदार बंगला खरीदा। दोनों की जिंदगी खुशहाल बीत रही थी। मामला तब बिगड़ता है जब चेतन ने अपने जीते जी वसीयत लिखी और उसमें अपने दोनों बेटों के साथ प्रिया राजवंश को भी हिस्सा दिया। साथ ही चेतन ने जो बंगला खरीदा था वह काफ़ी बड़ा बंगला था उसमें एक हिस्सा उनके दोनों बेटों का था और एक हिस्सा प्रिया राजवंश के नाम किया।

प्रिया राजवंश के लिए मुसीबत तब शुरू होती है जब चेतन आनंद की मौत हो जाती है। छह जुलाई 1997 को बीमारी की वजह से चेतन की मौत हुई थी।


चेतन के दोनों बेटे वसीयत में प्रिया की भागीदारी से नाराज़ थे। इस बात को लेकर घर में बहुत झगड़ा भी हुआ। उन्हें लगता था कि प्रिया उनके परिवार का हिस्सा नहीं है ऐसे में वसीयत में उन्हें हिस्सा नहीं देना चाहिए था। 

चेतन आनंद के दोनों बेटों ने प्रिया की हत्या के लिए नौकरों को पैसे का लालच दिया। नौकर-नौकरानी मान गए और गला घोंटकर मारने का प्लान बनाया। 26 मार्च 2000 की रात को माला चौधरी चाय में कुछ नशीली चीज मिलाकर प्रिया को देती है। प्रिया जब बेहोशी की हालत में होती हैं तब अशोकन स्वामी उनका गला घोंट देता है। इसी बीच माला चौधरी को लगता है कि प्रिया जिंदा हैं, तब वह बाथरूम में जाती है और कपड़े धोने वाले पट्टे से सिर पर जोर से दो-तीन बार मारती है। जिसके बाद प्रिया की मौत हो जाती है। 27 मार्च की सुबह पड़ोसियों को पता चलता है कि प्रिया की मौत हो गई है

दो साल बाद, 31 जुलाई 2002 को, माला चौधरी और अशोक चिन्नास्वामी, बंगले में घरेलू सहायिका, को  हत्या  का दोषी ठहराया गया था, जबकि विवेक और केतन को राजवंश की हत्या की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था, शुरुआत में 2001 में आरोपों से मुक्त होने के बाद । चारों ने फैसले के खिलाफ 2002 में बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, और उन्हें जमानत दे दी गई, फिर 2011 में, उच्च न्यायालय ने दोनों भाइयों द्वारा उनके दोषी फैसले के ख़िलाफ़ दायर अपील को स्वीकार कर लिया।

 अपील अभी भी उच्च न्यायालय में अटकी हुई है.

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