भारत की आजादी के लिए मुस्लिम उलेमाओं ने अपनी जान की क़ुर्बानी दी है उनका मक़सद आपसी भाईचारा और वतन से मोहब्बत था : हाफ़िज़ इस्माइल बैग

भारत की आजादी के लिए मुस्लिम उलेमाओं ने अपनी जान की क़ुर्बानी दी है उनका मक़सद आपसी भाईचारा और वतन से मोहब्बत था : हाफ़िज़ इस्माइल बैग

मध्य प्रदेश जमीयत उलेमा ए हिंद मध्य प्रदेश के जिला अध्यक्ष हाफिज इस्माइल ने कहा है कि जमीयत उलेमा ए हिंद की स्थापना भारत के संविधान और भाईचारे को कायम रखने की है
इसी उद्देश्य से जंगे आजादी में मुस्लिम उलेमाओं ने अपनी जान की कुर्बानी देश के लिए इस तरह से पेश की है कि वह स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है उनका मक़सद वतन से मोहब्बत और संविधान की सुरक्षा जिसमें सब को सम्मान और सब की सुरक्षा सभी धर्मों सभी वर्गों को संविधान के अनुसार अपना धर्म मानने की आजादी और भारतीय परंपरा अनुसार भाईचारा कायम रखने की दुनिया जमीयत उलेमा ए हिंद के दस्तूर में मौजूद है जमीयत उलेमा ए हिंद के जिला अध्यक्ष हाफ़िज़ इस्माइल का कहना है कि इतिहास बताता है कि जितनी शिद्दत से लोग नफरत फैलाते हैं उतनी ही शिद्दत से लोगौ में मोहब्बत भी हो जाती है थोड़ा देर लगती है लेकिन सच्चाई और ईमानदारी के आगे एक दिन झूठ और बनावटी लोगों को जोड़ना पड़ता है और महान देश की खूबसूरती है आपसी भाईचारा और सदियों पुरानी परंपरा को मिटाना भी कोई चाहे तो यहां की मिट्टी उसे मिटने नहीं दे सकती क्योंकि सभी वर्ग सभी धर्म ने
मिलकर इस देश को आजाद कराया था हाफिज इस्माइल ने कहा कि इतिहास के पत्रों में दर्ज है ख्वाजा हसन निज़ामी ने अपनी किताब में लिखा है जंगे आज़ादी में पंजाब का जंगल उलेमाओं की लाश से भरा ओर था
शायद ही कोई ऐसा रोड पर दरख्त हो जिस पर किसी आलिम की लाश ना बंदी हो और उस क्षेत्र में शायद ही ऐसा कोई कुआं हो जहां पर अलीमुद्दीन की लाश ना तैर रही हो हाफिज इस्माइल बैक ने कहा कि कुछ बुजुर्ग मुस्लिम आलिम का तो यह हाल था कि उनके पीठ से गोश्त गायब था जब उनको नहलाया लाया गया तो मालूम हुआ कि उनके पीठ पर मास नहीं है अंग्रेजों ने चाकू से उनका मांस निकाल दिया था सिर्फ हड्डी हड्डी थी ऐसी कुर्बानियों से हमारा देश आजाद हुआ है और यही देश की खूबसूरती है जिसमें सभी का सम्मान और सभी को न्याय यही भारत का संविधानिक अर्थ है इसी के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद प्रयासरत है और आपसी भाईचारा ही उसका मिशन है उल्लेखनीय है कि हाफिज इस्माइल बैग ने राजधानी में बड़े स्तर पर भाईचारा क़ायम करने के लिए उस स्थान से अपना कार्य शुरू किया है जो शहर से कटा हुआ है जिसका शुमार आज भी गांव में होता है भानपुर मगर अपनी सूझबूझ और दूरदृष्टि से वह भाईचारा कायम रखने में बहुत हद तक
कामयाब है वार्ड स्तर ब्लॉक स्तर पर उनके नुमाइंदे तैयार हो रहे हैं और- विशुद्ध रूप से वह गैर राजनीतिक है और आपसी भाईचारे पर ज़ोर देते हैं।

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