उप संचालक कृषि श्री आर.एस. गुप्ता ने कपास उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि वे गुलाबी इल्ली से अपनी फसल को बचाने के लिए आवश्यक उपाय करें। उन्होंने बताया कि कपास की फसल में लगने वाली पूर्ण परिपक्व इल्ली की लंबाई 11-13 मि.मी. होती है। इल्ली के प्रत्येक वलय पर गुलाबी पट्टा होता है जो बाद में शरीर पर फैल जाता है जिसके फलस्वरुप इल्ली का रंग गुलाबी दिखता है। शंखी अवस्था गहरे लाल रंग की दिखती है तथा पतंगे के पंख धूसर रंग के दिखते हैं। उपसंचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया कि शुरुआती अवस्था में कीट फूलों तथा कलियों पर आश्रय लेता है। ग्रसित फूल पूर्ण रुप से नही खुलता है तथा गुलाब की कली की तरह दिखता है जिसको रोजेटी फूल बोलते हैं। प्रकोप बढ़ने पर डंेडू गल कर गिर जाते हैं या परिपक्व होने से पहले ही फूटने लगते हैं। इल्ली डेंडू के अंदर बीजों को खाती है तथा बिनोला और रेषा बांध देती है जिसकी कौडीनुमा आकृति बन जाती है। इसके सांथ यह इल्ली रुई को भी कतर कर रेषा की गुणवत्ता को भी नुकसान पहूँचाती है तथा रुई का वजन भी कम प्राप्त होता है। उपसंचालक कृषि श्री गुप्ता ने ब...