खनिज मंत्री श्री जायसवाल ने गोपाल पुरूस्कार का किया वितरण


    देशी नस्ल के दुधारू पशुओं के पालन को प्रोत्साहन देने की गोपाल पुरूस्कार योजना मध्यप्रदेश शासन की एक अच्छी योजना है। इस योजना से पशुपालकों में दुग्ध उत्पादन की प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन मिल रहा है और जिले में दुग्ध उत्पादन निरंतर बढ़ रहा है। लेकिन हमें दुग्ध उत्पादन के साथ ही उसकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना होगा। दूध की क्वांटिटी के साथ क्वालिटी भी बनाये रखना पशुपालकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। यह बातें मध्यप्रदेश शासन के खनिज साधन मंत्री श्री प्रदीप जायसवाल ने आज 28 नवंबर को बालाघाट में जिला स्तरीय गोपाल पुरूस्कार प्रतियोगिता कार्यक्रम में पशुपालकों को संबोधित करते हुए कही। 
    कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती रेखा बिसेन, जनपद पंचायत वारासिवनी के अध्यक्ष श्री चिंतामन नगपुरे, कलेक्टर श्री दीपक आर्य, पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक तिवारी, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रजनी सिंह, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती मेघा किशोर बिसेन, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्री भीम फूलसूंघे, श्री विक्की एड़े, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ विनोद वाजपेयी, पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी कर्मचारी एवं जिला स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल पशुपालक उपस्थित थे। 
    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खनिज मंत्री श्री प्रदीप जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने प्रदेश में हाईटेक गौशाला निर्माण करने का निर्णय लिया है। इन गौशालाओं में पशुओं के लिए सभी सुविधायें उपलब्ध रहेंगी और इन्हें कार्पोरेट गौशाला की तरह संचालित किया जायेगा। इसका लाभ बालाघाट जिले की गौशालाओं को भी मिलेगा और प्रयास किया जायेगा कि बालाघाट जिले में बन रही गौशालाओं को प्रदेश की प्रथम कार्पोरेट गौशाला बनने का सौभाग्य मिले। मंत्री श्री जायसवाल ने कहा कि दुग्ध की हम सबको जरूरत होती है। लेकिन कम समय में अधिक दूध निकालने के चक्कर में पशुओं को इंजेक्शन लगाये जाते है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के कारण हमारा अनाज प्रदूषित हो गया है। अब इंजेक्शन के कारण पशुओं का दुग्ध भी प्रदूषित हो रहा है। हम सभी प्रयास करें कि दुग्ध उत्पादन के लिए केमिकल इंजेक्शन का उपयोग करने वाले पशु पालकों को हतोत्साहित करें। मंत्री श्री जायसवाल ने कहा कि प्रदूषित अनाज, सब्जियों एवं दुग्ध के कारण हमारी युवा पीढ़ी की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। यह बहुत ही चिंताजनक बात है। 
    कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के अंतर्गत जिले में दुग्ध एवं उससे बने उत्पाद के सेंपल लेकर प्रयोगशाला जांच के लिए भेजे गये थे। जांच में पाया गया कि दुग्ध या पनीर के कुछ नमूने खराब जरूर थे, लेकिन उनमें मिलावट नहीं थी। यह बालाघाट जिले के लिए एक अच्छी बात है कि यहां के दुग्ध उत्पादक मिलावट नहीं कर रहे है और नकली दूध नहीं बना रहे है। बालाघाट जिले में पशुओं की संख्या के साथ दुग्ध उत्पादन भी बढ़ा है, लेकिन अभी भी पूरी क्षमता को हासिल करना शेष है। पशु चिकित्सक देशी नस्ल के दुधारू पशु पालन को प्रोत्साहित करें और जिले में नये-नये मिल्क रूट बनायें। उन्होंने पशु पालकों से भी कहा कि वे दूध सहकारी समितियों को विक्रय करें। जिले में 5 गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है और माह दिसम्बर में वह प्रारंभ करने की स्थिति में आ जायेंगी। प्रदेश सरकार की 5 कार्पोरेट गौशाला विकसित करने की योजना में बालाघाट जिले की कम से कम दो गौशालाओं को शामिल करने का प्रयास किया जायेगा। क्योंकि बालाघाट जिला प्रदेश का प्रथम जिला है, जिसने गौशाला निर्माण के लिए सबसे पहले 50-50 हेक्टेयर जमीन आबंटित कर दी थी।
    उप संचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ विनोद वाजपेयी ने इस अवसर पर बताया कि पशु संगणना के अनुसार प्रदेश के अन्य जिलों में पशुओं की संख्या कम हुई है। लेकिन बालाघाट प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर पशुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। पशुओं की संख्या बढ़ने का मतलब है कि जिले में दुग्ध उत्पादन बढ़ रहा है। सम्पूर्ण मध्यप्रदेश्‍में प्रति व्यक्ति दूध की खपत 280 ग्राम है, लेकिन बालाघाट जिले में यह खपत 320 ग्राम प्रति व्यक्ति है। गोपाल पुरूस्कार योजना 10 वर्ष पहले प्रारंभ की गई है। पहली बार जिले में जब इस प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था तो दो-दो लीटर दुग्ध देने वाले पशुओं को ढूंढकर प्रतियोगिता में शामिल कराया गया था। लेकिन अब स्थिति बदल गई है और अब 19 से 20 लीटर तक प्रतिदिन दुग्ध देने वाले पशुओं को प्रतियोगिता में शामिल कराया जा रहा है। यह बालाघाट जिले के पशुपालकों की जागरूकता को दर्शाता है। कलेक्टर श्री दीपक आर्य द्वारा जिले के पशु चिकित्सालयों में सुविधायें उपलब्ध कराने से काम करने का अच्छा वातावरण निर्मित हुआ है। 
    कार्यक्रम में जिला स्तरीय गोपाल पुरूस्कार योजना के विजेताओं को प्रमाण पत्र एवं शील्ड प्रदान की गई। गौवंशीय पशुओं की प्रतियोगिता में किरनापुर विकासखंड के ग्राम नेवरगांव के धनराज चौहान को 50 हजार रुपये का प्रथम, रजेगांव के मितराम भोयर को 25 हजार रुपये का द्वितीय, खैरलांजी के अनिल को 15 हजार रुपये का तृतीय एवं ग्राम लिंगापौनार के ताराचंद, बालाघाट विकासखंड के ग्राम देवरी के ब्रजलाल, ग्राम गुनई के कोमेन्द्र व सुनील, ग्राम लावनी के पारसलाल, टेवझरी के ईश्वरी,  कोहका-बैहर के संतोष को 5-5 हजार रुपये का सांत्वना पुरूस्कार दिया गया। इसी प्रकार भैंसवंशीय पशुओं में खैरी के मधु लिल्हारे को 50 हजार रुपये का प्रथम, सिहराटोला-थानेगांव के शिवचरण पटले को 25 हजार रुपये का द्वितीय व कुम्हारी के एंचीलाल को 15 हजार रुपये का तृतीय व 5-5 हजार रुपये का सांत्वना पुरूस्कार खैरलांजी के रूपेश, गणेश, उम्मेद, साल्हे के धरमसिंह नगपुरे, उदासीटोला पांढरवानी के कमलकिशोर व ग्राम केशा के रोशनलाल बिसेन को दिया गया। 
    कार्यक्रम के प्रारंभ में मंत्री श्री जायसवाल एवं अतिथियों ने जिला स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल देशी नस्ल की गायों की पूजा अर्चना की और पशुपालकों से कहा कि वे दुग्ध उत्पादन के लिए देशी नस्ल के पशुओं का पालन करें और कठिन परिश्रम करें। कार्यक्रम का संचालन पशु चिकित्सक डॉ एन डी पुरी ने किया। 


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