कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि वर्तमान समय में मौसम की प्रतिकूलता के कारण गेहूँ फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप होने की संभावना है। अतः किसान अपने खेतों की सतत् निगरानी करें।
जड़ माहू कीट की पहचान -यह कीट हल्के पीले रंग से गहरे पीले रंग का होता है जो जड़ों का रस चूसता है। गेहूँ के पौधों को जड़ से उखाड़ कर देखने पर यह कीट जड़ों में आसानी से दिखाई देता है। इसके लक्षण है कि यह कीट गेहूँ के पौधों की जड़ों से रस चूसता है, जिसके कारण पौधा पीला पड़ने लगता है और धीरे-धीरे सूखने लगता है। शुरूआत में खेतों में जगह-जगह पीले पड़े हुए पौधें दिखाई देते हैं। धीरे-धीरे पूरे में में इस कीट का प्रकोप फैल जाता है और खेत सूखने की संभावना रहती है।
जड़ माहू कीट से बचाव हेतु किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इस कीट के प्रबंधन हेतु इमीडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. की 70 एम.एल. मात्रा 150 ली से 250 ली. पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें या थायोमिथक्जाम 25 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. की 50 ग्राम मात्रा 150 ली से 250 ली. पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जड़ माहू कीट व्याधि के फसल प्रकोप का निरीक्षण एवं नियंत्रण के लिए निगरानी दल का गठन किया गया है। साथ ही जड़ माहू के नियंत्रण के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है जिसका दूरभाष नंबर 07562-224044 है।
गठित दल में पौध सरंक्षण वैज्ञानिक श्री दीपक कुशवाह, शश्य वैज्ञानिक श्री देवेन्द्र पाटिल, सहायक संचालक कृषि गन्ना श्री अनिल जाट, सहायक संचालक कृषि श्री एस.के.राठौर, अनुविभागीय कृषि अधिकारी बुधनी श्री राघवेन्द्र सिंह राठौर एवं संबंधित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी सीहोर, आष्टा, इछावर, बुदनी तथा नसरुल्लागंज शामिल हैं।
गठित दल के अधिकारी रबी 2019-20 में जड़ माहू की निगरानी के साथ-साथ फसलों की स्थिति/कीट व्याधि का निरीक्षण एवं नियंत्रण के संबंध में समय-समय पर कृषकों का सुझाव देंगे एवं उनकी समस्याओं का निराकरण कर प्रतिवेदन किसान कल्याण तथा कृषि विकास कार्यालय को प्रस्तुत करेंगे।
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